सड़क बन रही थी तो वन विभाग ने रोका क्यों नहीं : एससी

पीडब्ल्यूडी के खिलाफ दर्ज करेंगे मुकदमा : सीसीएफ

सड़क बन रही थी तो वन विभाग ने रोका क्यों नहीं : एससी

वन विभाग ने नोटिस देकर पूछा- किसकी स्वीकृति से बनाई सड़क।

कोटा। रामगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में नियम विरुद्ध बनाई गई 2 किमी सीसी सड़क के मामले में शनिवार को नया मोड़ आ गया है। नवज्योति ने पीडब्ल्यूडी के संभागीय व जिले के मुख्य अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई। जबकि, वन विभाग के भी उच्चाधिकारी पहले ही मामले की जानकारी होने से इंकार कर चुके हैं। इससे स्पष्ट होता है, दोनों ही सरकारी महकमे के उच्चाधिकारी अपने अधिनस्त अधिकारी व कर्मचारियों के काम से बेखबर रहते हैं। जिसका नतीजा, नियम विरुद्ध हुए कार्यों के रूप में सामने आ रहे हैं। हालांकि, पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता का कहना है, यदि, वन भूमि पर दो किमी सड़क बन रही थी तो वह रातों-रात नहीं बन सकती। एक महीने का समय तो लगता ही है। ऐसे में वन विभाग ने सड़क बनने से रोका क्यों नहीं? उधर, संभागीय मुख्य वन संरक्षक बोले-पीडब्ल्यूडी ने बिना एफसीए के वन भूमि पर सड़क बनाई है, जिसे तोड़ा जाएगा और विभाग के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत मुकदमा दर्ज करेंगे। बरहाल, दोनों ही विभागों के उच्चाधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है।  

पीडब्ल्यूडी ने वर्क आॅर्डर जारी कर बनवार्इ्र सड़क
डाबी रेंज के रैंजर हेमराज नागर ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन करते हुए वन भूमि पर सड़क बनाई है। पूर्व में भी तालेड़ा एईएन को दो बार नोटिस दिया था लेकिन वे गुमराह करते रहे और ठेकेदार से सड़क बनवा दी। हमने ट्रैक्टर-ट्रॉली, कंक्रीट मशीन व पानी का टैंकर जब्त कर रामपुरिया नाके पर खड़ी करवा दी है। ठेकेदार के बयान लिए हैं, जिसमें सामने आया कि पीडब्ल्यूडी ने वनभूमि पर सड़क बनाने के लिए उसे वर्क आॅर्डर दिया है। जिस पर उसने काम किया। मामले में नई-नई जानकारियां सामने आ रही है, जिसकी जांच की जा रही है। पीडब्ल्यूडी के खिलाफ भी मामला दर्ज करेंगे। 

एक्सईएन बोले-राजस्व जमीन, नक्शे में वन भूमि
पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन राजाराम मीणा ने बताया कि यह सरकार के राजस्व नक्शे में रेवन्यू की जमीन है। इसलिए सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सड़क बनाई। इस दौरान कोई आॅब्जेक्शन भी नहीं आया। वन विभाग की ओर से भी कोई नोटिस नहीं मिला। जबकि, वन विभाग की ओर से जारी किए गए केएमएल फाइल (सेटलाइट नक्शा) में यह जगह वनभूमि है। इसमें सेटलाइट नक्शे का डेटा भी है। जिसमें साफ लिखा है, डिविजन बूंदी, रैंज-डाबी, ब्लॉक-जाखमूंड और 2276.29 हैक्टेयर वनभूमि सरकार से नोटिफाइड है। इसलिए वन विभाग ने मौके पर कार्रवाई कर निर्माण कार्य में उपयोग में लिए गए वाहन भी जब्त किए हैं।  यह केएमएल फाइल को फारेस्ट लैंड की जीपीएस बाउंड्री डिमार्केश्न नक्शे को केएमएल फाइल कहते हैं। जो कि सैटेलाइट की मदद से तैयार किया गया डिजिटल मैप होता है।

ठेकेदार की चढ़ी बली, पीब्डल्यूडी को बचा रहे 
पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने बताया कि टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में सड़क निर्माण मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है। जाखमूंड वनखंड डाबी रेंज में आता है। जहां रैंजर के अधीन करीब 4 से 5 वनकर्मियों का स्टाफ आता है। ऐसे में जंगल में खुलेआम सड़क बन जाए और वन विभाग को पता नहीं चले, यह संभव नहीं है। जब दैनिक नवज्योति ने मिलीभगत का गठजोड़ का पर्दाफाश किया तो विभाग जान बचाने के लिए ठेकेदार की बली चढ़ाने पर तुले हैं। उसके पास वर्कआॅर्डर है। लेकिन, वन विभाग ने अब तक पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ न तो एफसीए-1980 व न ही वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के उल्लंघन का मामला दर्ज किया। जबकि, ठेकेदार के खिलाफ एफसीए1980 के तहत मामला दर्ज कर लिया, जो नियमानुसार उस पर यह मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता।  

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