जातिगत समीकरणों ने बदली चुनावी हवा, जीत के मार्जिन पर पड़ेगा असर
वोटों की गणित ने राजनीतिक पार्टियों के चुनावी समीकरणों को बदल दिया है
पहले -दूसरे चरण में 2019 की तुलना में कम वोटिंग प्रतिशत ने भी पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है। 2014-2019 में सभी 25 सीटों पर बीजेपी जीती।
जयपुर। राजस्थान में जातिगत समीकरणों ने चुनावी हवा का रूख बदल दिया है। पिछले दो चुनावों से चला आ रहा जीत का अंतर भी इस बार प्रभावित होगा। बाड़मेर, दौसा, कोटा-बूंदी, बांसवाड़ा, चूरू, नागौर, जोधपुर, जयपुर ग्रामीण, झुंझुनूं आदि सीटों पर जातिगत वोटों की गणित ने राजनीतिक पार्टियों के चुनावी समीकरणों को बदल दिया है।
पहले -दूसरे चरण में 2019 की तुलना में कम वोटिंग प्रतिशत ने भी पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है। 2014-2019 में सभी 25 सीटों पर बीजेपी जीती। 2014 में बीजेपी ने पांच सीटों पर एक लाख से कम वोटों से जीत दर्ज की, लेकिन 2019 के चुनाव में करौली-धौलपुर व दौसा सीट ही एक लाख कम वोटों से जीती। अन्य सीटों पर दो से लेकर छह लाख से अधिक वोट से जीत दर्ज की थी।
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