चंबल के किनारे रहवासी प्यासे

ना प्रेशर ठीक ना जलापूर्ति, टेल तक पहुंचते ही सूख जाती है पाइप लाइन

चंबल के किनारे रहवासी प्यासे

लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले दबाव की समस्या ठीक हुई थी लेकिन वापस से पानी का दबाव कम हो गया है।

कोटा। कोटा चंबल नदी के किनारे बसा है जहां देखा जाए तो पानी की कमी नहीं है। लेकिन चंबल नदी के बिल्कुल किनारे पर बसी कॉलोनियों को ही चंबल का पानी ठीक से नहीं मिल पा रहा है। लोगों को पानी के लिए सड़कों पर आना पड़ रहा है। शहर के नदी पार इलाके में बसी बापू कॉलानी, आदर्श नगर, बालिता और मड़िया बस्ती में अभी भी पानी किल्लत देखने को मिल रही है। इलाके में पानी का प्रेशर ना के बराबर होता है जिससे नीचे की टंकी भी ठीक से नहीं भर पाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जलदाय विभाग का इस इलाके में पानी के प्रेशर और जालपूर्ति की समस्या से अवगत कराया है। लेकिन उस पर कोई समाधान न होते हुए प्रेशर की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। वहीं मड़ीया बस्ती में तो पूर्ण रूप से जलापूर्ति भी नहीं होती है।

सालों पुरानी समस्या हैकम दबाव की 
इलाके जलापूर्ति को लेकर दबाव की समस्या कई साल पूरानी है। जलदाय विभाग की ओर से नई पाईप लाइन डालने के बाद भी दबाव की समस्या में कोई समाधान नहीं हुआ उल्टा दबाव कम हो गया। कई स्थानों पर तो दबाव इतना कम हो जाता है कि बूस्टर से भी पानी आने में घंटों लग जाते हैं। लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले दबाव की समस्या ठीक हुई थी लेकिन वापस से पानी का दबाव कम हो गया है।

मड़िया बस्ती में सबसे ज्यादा किल्लत
इलाके की मड़िया बस्ती में पानी की सबसे ज्यादा किल्लत रहती है। क्योंकि बस्ती बसने के सालों बाद भी जलदाय विभाग की ओर से यहां जलापूर्ति की समस्या का कोई समाधन नहीं हो सका है। पाइप लाइन होने के बावजूद नलों में पानी नहीं आता है। स्थानीय निवासियों को कई पानी के लिए ट्यूबवेलों और हैंडपंपों पर निर्भर रहना पड़ता है। बस्ती में पानी की समस्या काफी समय से मौजूद है बावजूद इसके विभाग की ओर से इसे लेकर कोई समाधान नहीं निकाला गया है। 

130 और 70 एमएलडी के दो प्लांट जल शोधन सिर्फ180 एमएलडी
इलाके में जलापूर्ति के लिए सकतपुरा में 130 और 70 एमएलडी के दो जल संयंत्र मौजूद हैं। इन दोनों संयंत्रों से करीब 8 लाख की आबादी को पर्याप्त पानी मुहैय्या कराया जा सकता है। लेकिन दोनों संयंत्रों को मिलाकर करीब 180 एमएलडी का ही जल शोधन किया जा रहा है। ऐसे में अगर दोनों जल संयंत्रों को पूरी क्षमता पर चलाया जाए तो टेल तक पानी पहुंचने से लोगों को राहत मिल सकती है।

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सुबह जल्दी उठकर भरना पड़ता है पानी
इलाके के लोगों का कहना है कि जलदाय विभाग की ओर से क्षेत्र में जल्दी सुबह पानी की सप्लाई की जाती है। ऐसे में लोगों को सुबह 5 बजे उठकर पानी भरना पड़ता है। क्योंकि अगर इस समय पानी ना भरें तो सुबह 7 बजे ही जलापूर्ति बंद हो जाती है और इस बीच घर के काम भी करने होते हैं। वहीं जलापूर्ति में कम प्रेशर के चलते पूरे समय बूस्टरों का उपयोग करना पड़ता है क्योंकि बिना बूस्टर के नल में एक बूंद भी पानी नहीं आता है। ऐसे में लोगों को एक ही सुविधा के लिए दो दो बिल देने पड़ रहे हैं। 

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लोगों का कहना है
पानी को लेकर समस्या कभी खत्म नहीं होती और गर्मी में से और बढ़ जाती है। अन्य जरूरी काम करने से पहले पानी भरना पड़ता है। कम दबाव के चलते जलरपूर्ति के समय भी नल के जाने का डर लगा रहता है।
- लोकेश शर्मा, बापू कॉलोनी

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मड़िया बस्ती में कई बार तो पानी ही नहीं आता है, ऐसे में हमें पानी के लिए ट्यूबवेलों और हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ता है। उसमें भी कई सारे होने से घंटों लग जाते हैं।
- कविता नागर, मड़िया बस्ती

बालिता में पानी की समस्या शुरू से है यहां जलदाय विभाग द्वारा नई लाइन डालने के समय ही जलापूर्ति ठीक से हुई जिसके बाद आजतक समस्या बरकरार है। अधिकारी भी अमृत योजना के पूरा होने की कहते हैं।
- दीपक मेघवाल, बालिता

इनका कहना है
जलापूर्ति से जुड़ी समस्या के समाधान को लेकर सभी अधिकारियों को बोला हुआ है। इलाके में दबाव की क्षमता की जानकारी है। जिसके लिए पाइप लाइन का नवीनीकरण किया जाएगा। वहीं उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास कर रहें हैं। जहां भी समस्या होगी उसे दूर करेंगे।
- श्याम महेश्वरी, अधिशाषी अभियंता, जलदाय विभाग

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