गर हट जाए यह दो बाधा तो... न्यूयॉर्क सिटी की छवि देगा अपना शहर

भिखारी, मजदूर, घुमंतु परिवारों के पुनर्वास की जरूरत : फुटपाथ पर सोते मजदूर व चहुंओर फैली गंदगी बिगाड़ रही शहर की छवि

गर हट जाए यह दो बाधा तो... न्यूयॉर्क सिटी की छवि देगा अपना शहर

कोटा शहर को न्यूयॉर्क सिटी की तर्ज पर विकसित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद दो बाधाओं पर अब तक ध्यान नहीं दिया जा रहा। सबसे बड़ी बाधा यहां के फुटपाथ पर निवास करने वाले श्रमिक, बेसहारा,पलायन कर रोजगार की चाह में आए मजदूर, व घुंमतु जाति के लोग हैं। इनका पुनर्वास करना जरूरी है।

कोटा । कोटा शहर को न्यूयॉर्क सिटी की तर्ज पर विकसित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके लिए शहर को सुंदर और आकर्षक बनाया जा रहा है। जनता के लाखों रुपए कोटा को  स्मार्ट सिटी बनाने के लिए विकास कार्यों पर खर्च किए जा रहे हैं।  लेकिन इसके बावजूद दो बाधाओं पर अब तक ध्यान नहीं दिया जा रहा। शहरवासियों का कहना है कि कोटा को न्यूयॉर्क  सिटी जैसा बनाने में सबसे बड़ी बाधा यहां के फुटपाथ पर निवास करने वाले श्रमिक, बेसहारा,पलायन कर रोजगार की चाह में आए मजदूर, व घुंमतु जाति के लोग हैं। इनका पुनर्वास करना जरूरी है। इसके साथ आम स्थानों पर फैली गंदगी का निस्तारण भी एक समस्या है। जब पर्यटक यहां आएं तो उन्हें साफ सुथरा और सुन्दर शहर के साथ,एक आत्म निर्भर स्वच्छ शहर नजर आएगा तो शहर की छवि को चार चांद लग सकेंगे। यदि पर्यटक यहां आएं और फुटपाथ पर सोते लोगों को देखें, या उनके पीछे भीख मांगते लोग नजर आएं तो इससे शहर की छवि ही प्रभावित होगी। वो शहर की एक अच्छी छवि अपने साथ नहीं ले जा पाएंगे। शहर वासियों का मानना है कि विकास कार्यों के साथ इस कार्य पर ध्यान देने की जिम्मेदारी भी सभी जन प्रतिनिधियों की है।  विकास कार्य खत्म होने के साथ-साथ इनका पुर्नवास भी हो जाना चाहिए। तभी हमारा शहर न्यूयॉर्क सा  स्मार्ट शहर कहला सकता है। यहां न्यूयॉर्क सिटी की तर्ज पर तैयार हो रहा आॅक्सीजोन पार्क, चंबल रिवर फ्रंट, शहर का सिग्नल फ्री ट्राफिक, कोटा बैराज से रियासताकालीन चम्बल पुलिया तक 6 किमी में करीब 700 करोड़ की भारी भरकम लागत से बनने जा रहा रिवर फ्रंट बनारस के बाद भारत का अपनी तरह का केवल दूसरा हेरिटेज रिवर फ्रंट होगा।  मां चर्मण्यवती की सुंदर प्रतिमा, राजस्थान के वैभवशाली कला-संस्कृति-इतिहास और स्थापत्य की झांकी दिखाता हुआ देश-दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र तभी बन पाएंगा जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता है।

फैक्ट फाइल
700 करोड़ की भारी भरकम लागत से बन रहा है रिवर फ्रंट
 शहरवासियों का कहना है कि कोटा को न्यूयॉर्क  सिटी जैसा बनाने में सबसे बड़ी बाधा यहां के फुटपाथ पर निवास करने वाले श्रमिक, बेसहारा, पलायन कर रोजगार की चाह में आए मजदूर व घुंमतु जाति के लोग हैं।

फुटपाथ वाहनों से बचाव के लिए, सोने के लिए नहीं
शहर में एक बड़ा तबका आज फुटपाथ पर अपना जीवन व्यापन कर रहा है। कई बार इनको आश्रय स्थलों पर पहुंचाया लेकिन ये लोग फिर से यहां आकर बस जाते हैं। शहर में फुटपाथ पैदल चलने वाले लोगों को वाहनों से बचाव के लिए बनाए जाते हैं ना की सोने के लिए। फुटपाथ पर सोने वाले मजदूर, श्रमिक,घुमंतु जब हटाने जाते हैं तो उनका एक ही कहना है हम भी देश के नागरिक हैं। हम वोट देते हैं। फिर हमारे घर क्यों नहीं य ऐसे में हम भी निरुत्तर हो जाते हैं। शहर में फुटपाथ से अतिक्रमण और गंदगी से निजात मिलने पर ही शहर सुंदर होगा।
-शशि प्रभा, कांस्टेबल

चुनाव जीतते ही भूल जाते हैं
 शहर में करोड़ रुपए  विकास पर खर्च किए जा रहे हंै लेकिन श्रमिक, दिहाडी मजदूर, घुमंतु जाति के लोगों को नजर अंदाज किया जा रहा है। इन लोगों के लिए कोई पुनर्वास योजना नहीं होने और खानाबदोश जीवन जीने से इनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। चुनाव होते हैं तो इनको किराया ,खर्चा देकर गांवों तक ले जाते हंै और चुनाव जीतते ही इनको भूल जाते हंै। सरकार की ओर से घुमंत जातियों, मजदूरों के लिए अनेक योजना तो चला रखी है लेकिन इन लोगों को इसका लाभ ही नहीं मिल पाता है। जिसके कारण ये शहर के फुटपाथ पर जान जोखिम में डालकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हंै। 
-मनोज शर्मा, अधिवक्ता

सभी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी
फुटपाथ पर रहने वाले अधिकांश मजदूरों व घुमंतू जाति के लोगों के पास उनका वोटर आईडी व आधार कार्ड है। हम लोग कई बार प्रशासन से हमारे स्थाई रैन बसरे के  लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं होती है। कोटा के सभी पार्टियों के जन प्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी है कि वह हमारे पुनर्वास की समस्या को हल करवाएं। जन प्रतिनिधि हमारे पास तो चुनाव के समय वोट लेने के लिए आते हैं। उस समय हमको वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है, बाकी समय रोड पर मरने के लिए छोड़ देते हैं। अच्छा घर मिले तो कौन फुटपाथ पर सोना चाहता है। 
-जीतू मोगिया, दशहरा मैदान  फुटपाथ निवासी

कर रहे हैं खानाबदशों का पुनर्वास
शहर को न्यूयॉर्क सिटी की तर्ज पर विकसित करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। फुटपाथ पर सोने वाले मजदूरों, खानाबदोश लोगों के पुनर्वास का कार्य किया जा रहा है। पहली प्राथमिकता में इनको सामुदायिक भवनों व आश्रय स्थलों में भेजा जाएगा। निगम की ओर से इनको आश्रय स्थलों पर पहुंचाने के लिए अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन यह लोग यहां से हटना ही नहीं चाहते है। अतिक्रमण दस्ते की मदद से इनको सामुदायिक भवनों ,आश्रय स्थलों पर शिफ्ट किया जाएगा। शहर में जहां- जहां गंदगी है इसका स्थाई समाधान किया जाएगा। यहां आने वाले देशी विदेशी पर्यटक न्यूयॉर्क सी छवि लेकर जाएंगे।
-मंजू मेहरा, महापौर  कोटा उत्तर नगर निगम

फुटपाथ पर रहने वालों का करेंगें स्थाई समाधान
मंत्री के निर्देश के बाद से ही फुटपाथ पर रहने वालों को आश्रय स्थलों, रैनबसेरा और सामुदायिक भवनों में शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। इनके स्थाई समाधान के लिए शीघ्र ही सर्वे कराया जाएगा। शहर में गंदगी और अतिक्रमण पर निगम का पूरा फोकस है। कोटा को ग्रीन और क्लीन करने के लिए दृढ संकल्पित हैं।
-राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण

फुटपाथ पर रहने वालों का पुर्नवास पहली जरूरत
औद्योगिक शहर का तमगा छिन जाने के बाद तेजी से तरक्की करते इस शहर ने कोचिंग सिटी  का नया तमगा हासिल कर लिया। अब इस शहर की आबोहवा से लेकर अर्थव्यवस्था-कारोबार तक नई करवट लेने की तैयारी में हैं । कोटा शहर राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के अहम पर्यटन स्थलों में शुमार होने की तैयारी में है। लेकिन शहर की सुंदरता को फुटपाथ पर जीवन यापन करने वाले श्रमिक, घुमंतु जाति के लोग प्रभावित करते हैं। हम यह नहीं कहते कि इन्हे हटा दिया जाए अपितु इनका पुनर्वास किया जाना चाहिए । हाल ही में फुटपाथ पर सोने से एक परिवार उजड गया। कोटा को न्यूयॉक की तर्ज पर लाख विकसित कर लिया जाए जब तक फुटपाथ पर सोने वालों और यहां फैली गंदगी को दूर नहीं किया जाता तब तक विकास कार्य बेकार ही साबित होंगे।
-कुंज बिहारी, अध्यापक

गंदगी धूमिल करती कोटा की स्मार्ट छवि को
 कोटा शहर में चल रहे विकास कार्य आने वाले समय में कोटा को प्रदेश ही नहीं देश विदेश में भी अलग पहचान दिलाएंगे। जिस प्रकार के कार्य कोटा शहर में चल रहे वह न्यूयॉर्क सिटी से कम के नहीं है । लेकिन इन विकास कार्यो को लोगों सहजकर रखने के साथ कोटा को ग्रीन सिटी व क्लीन सिटी रखना होगा। देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के समाने शहर में जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर यहां की छवि को धूमिल कर रहे हैं। यूआईटी, दोनों नगर निगम सफाई व्यवस्था को चाक चौबंद रखे और गंदगी फैलाने वालों पर सख्त जुर्माना और सजा का प्रावधान रखे तभी कोटा न्यूयॉर्क जैसा साफ सुथरा शहर बन सकेगा।
-शालिनी भारती, प्रोफेसर गवर्नमेंट कॉलेज कोटा

न्यूयॉर्क सिटी पार्क को टक्कर देगा आॅक्सीजोन पार्क
ऑक्सीजोन का निर्माण कोटा शहर के बीचों-बीच झालावाड़ रोड में आईएल की खाली जमीन पर किया जा रहा है।  जिसमें 75 एकड़ में 80 करोड़ की लागत से एक ऐसा भव्य और विशाल पार्क तैयार किया जा रहा जो दुनिया के मशहूर मैड्रिड पार्क और न्यूयॉर्क सिटी पार्क को टक्कर देगा।  पिकॉक पार्क, उल्टा पिरामिड, साइंस पार्क, वॉकवे के साथ बहती कैनाल, पांच सुंदर तालाब के साथ 12 हजार पेड़ इस पार्क को अद्भुत बनाएंगे। लेकिन इस पार्क तक पहुंचने से पहले पर्यटकों को शहर में फैले रोड किनारे के अतिक्रमण और गंदगी के नजारे भी दिखाई देंगे जो शहर की छवि को धूमिल करेंगे।  विदेशी पर्यटक जहां यहां की कलात्मक वस्तुओं की तारीफ करेंगे वहीं शहर की गंदगी और अतिक्रमण देखकर शहर की रेटिंग कम देंगे जिससे पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होगा। इस छवि को सुधारने के लिए शहर अतिक्रमण मुक्त करना होगा।
-सुधीर शर्मा, निदेशक नर्सिंग कॉलेज

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