कांग्रेस ने 36 सालों में एक भी आदिवासी को नहीं भेजा राज्यसभा
इस मांग को लेकर अभियान चल रहा है
राजस्थान में पिछले 36 सालों में कांग्रेस ने एक भी आदिवासी को राज्यसभा में नहीं भेजा। इस बार राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के आदिवासी क्षेत्रों के कांग्रेसी विधायक और कार्यकर्ता इसकी मांग भी करने लगे हैं और अब तक उपेक्षा के आरोप लगाते हुए विरोध भी दर्ज करा रहे हैं।
जयपुर। राजस्थान में पिछले 36 सालों में कांग्रेस ने एक भी आदिवासी को राज्यसभा में नहीं भेजा। इस बार राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के आदिवासी क्षेत्रों के कांग्रेसी विधायक और कार्यकर्ता इसकी मांग भी करने लगे हैं और अब तक उपेक्षा के आरोप लगाते हुए विरोध भी दर्ज करा रहे हैं। पिछले दिनों हुए कांग्रेस के नव संकल्प शिविर के बाद आदिवासी जिलों में सोशल मीडिया पर इस मांग को लेकर अभियान चल रहा है। कांग्रेस के दो विधायक गणेश घोगरा डूंगरपुर और रामलाल मीणा प्रतापगढ़ भी इसकी पुरजोर मांग कर रहे हैं।
आदिवासी जिलों में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जिला शामिल है। नब्बे के दशक तक इन जिलों के कांग्रेस बड़ा प्रभाव था, लेकिन धीरे-धीरे उपेक्षा का शिकार होने की वजह से आदिवासी मतदाता पार्टी से दूर होता चला गया। नतीजन दूसरे दलों ने अपना प्रभाव जमा लिया। पिछले विधानसभा चुनावों में बीटीपी ने दो सीटों पर जीत दर्ज कराई थी। इसको लेकर कांग्रेस के नेताओं के चेहरों पर चिन्ता की लकीरें भी दिखाई दी थी। गत 16 मई को बेणेश्वरधाम के नजदीक हुई राहुल गांधी की सभा में भी बीटीपी के बढ़ते प्रभाव को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिन्ता जताई थी।
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