सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिन्दू-मुस्लिम पक्ष के वकील आपस में भिड़े

वाराणसी जिला जज 8 हफ्ते में ज्ञानवापी पर सुनवाई पूरी करें, नमाज जारी रहेगी

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिन्दू-मुस्लिम पक्ष के वकील आपस में भिड़े

शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित रखने के दिए आदेश

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विवादित ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर ‘श्रृंगार गौरी’ की पूजा की अनुमति संबंधी याचिकाओं को वाराणसी के सिविल न्यायालय (सीनियर डिवीजन) से जिला न्यायाधीश के पास शुक्रवार को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। न्यायालय ने स्थानांतरण आदेश के साथ-साथ इस मामले में प्राथमिकता के आधार पर फैसला लेने को कहा है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीइ संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिकाओं को स्थानांतरित करने के साथ-साथ विवादित स्थल की सुरक्षा संबंधी अपने पूर्व के अंतरिम आदेश को बरकरार रखने का  आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने विवादित स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के साथ-साथ नमाज पढ़ने वालों के लिए समुचित इंतजाम करने का जिला अधिकारी को निर्देश दिया। अदालत ने संबंधित पक्षों से विचार विमर्श कर नमाजियों के लिए व्यवस्था करने का निर्देश दिया। पीठ ने गत मंगलवार को जारी अपने अंतरिम आदेश में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में उस क्षेत्र की रक्षा करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया था, जहां हिंदू पक्ष के अनुसार एक ‘शिवलिंग’ पाया गया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि किसी भी मुसलमान को ज्ञानवापी मस्जिद में ‘नमाज’ अता करने से न तो रोका जाएगा और न ही कोई बाधा उत्पन्न की जाएगी।

51 मिनट की बहस
हिन्दू पक्ष:  ज्ञानवापी मस्जिद पर पहले से ही विवाद
मुस्लिम पक्ष: अगर आपका बस चले तो आप सबको विवादित कह दें

बहुत हो गया, आज सुनवाई ना करें
कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ऐसा कोई भी फैसला नहीं देंगे, जिससे वहां मामला प्रभावित हो। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट तो पहले से प्रभावित है। चंद्रचूड़ ने इस पर कहा कि आप इसे जैसे भी देखें, हमने ग्राउंड पर बेहतर रिजल्ट के लिए अंतरिम आदेश दे दिए हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक जस्टिस का फेयरवेल है, हम वहां से लौटकर फिर सुनवाई करें? इस पर कोर्ट में सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता और यूपी सरकार के वकील रंजीत कुमार राजी नहीं हुए। दोनों ने कहा कि आज सुनवाई ना करें, इसे बाद के लिए टाल दें।

माहौल खराब करने की साजिश है: मुस्लिम पक्ष
मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि 15 अगस्त 1947 तक ज्ञानवापी का कोई विवाद नहीं था। ऐसे में इसका मामला सुनना ही गलत है, जिस पर हिंदू पक्ष के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि विवादित था। इस पर अहमदी भड़क गए और कहा आपका बस चले तो आप सबको विवादित कह देंगे। अहमदी ने कहा कि देश में एक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। इसे सिर्फ एक केस ना मानें, देश में बड़ा प्रभाव डालेगा। वहीं मेहता ने कहा कि अगर शिवलिंग के पास पांव धोने की इजाजत दी गई, तो लॉ एंड आॅर्डर का मामला बिगड़ सकता है।

कोर्ट: सभी के हित सुनिश्चित किए जाएंगे
सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि जिला जज के पास 25 साल का लंबा अनुभव है। इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह न समझा जाए कि हम मामले को निरस्त कर रहे हैं। आपके लिए आगे भी हमारे रास्ते खुले रहेंगे।  कोर्ट में हिंदु पक्ष की ओर से वरिष्ट वकील वैद्यनाथन ने दलीलें पेश की।

क्या है मामला
याचिकाकर्ता राखी सिंह के नेतृत्व में पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने की अनुमति के लिए निचली अदालत में याचिका दायर की थी। इन महिलाओं ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी मंदिर होने की मान्यता का हवाला देते हुए वहां पूजा की अनुमति के लिए अदालत से गुहार लगाई थी। शीर्ष अदालत इस मामले पर अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद करेगी।

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