गोद ले सकेंगे शेर और बाघ
भोजन आदि का खर्चा वहन करेंगे
वन्यजीव प्रेमी अपनी मनपसंद के बाघ, शेर, बघेरे और भालू सहित अन्य को गोद ले सकेंगे। इस योजना के तहत गोद लेने वाले लोग वन्यजीवों के खान-पान, दवा, भोजन आदि का खर्चा वहन करेंगे।
जयपुर। वन्यजीव प्रेमी अपनी मनपसंद के बाघ, शेर, बघेरे और भालू सहित अन्य को गोद ले सकेंगे। इस योजना के तहत गोद लेने वाले लोग वन्यजीवों के खान-पान, दवा, भोजन आदि का खर्चा वहन करेंगे। नाहरगढ़ जैविक उद्यान में इस योजना को शुरू करने के लिए करीब दो साल से कवायद की जा रही थी। इसे अब मंजूरी मिल गई है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस योजना को जून माह से शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए आदेश निकाले जा चुके हैं। नाहरगढ़ जैविक उद्यान में शेर, बाघ, बघेरे, हिप्पो समेत 26 प्रजातियों के तकरीबन 300 वन्यजीव रहवास कर रहे हैं। गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति इनमें से किसी भी वन्यजीव को गोद ले सकता है।
6 महीने या एक साल के लिए ले सकते हैं
नाहरगढ़ जैविक उद्यान में इच्छुक व्यक्ति छह महीने या एक साल के लिए मनचाहे वन्यजीव को गोद ले सकता है। वह चाहे तो गोद लिए गए वन्यजीव के खान पान का खर्च वहन कर सकता है। अगर ऐसा नहीं कर पा रहा तो दवा और रखरखाव का खर्चा उठा सकता है। यह सभी प्रजातियों के वन्यजीवों के लिए लागू होगी। इच्छुक व्यक्ति वन्यजीव को गोद लेना चाहे तो वह नाहरगढ़ जैविक उद्यान प्रशासन से सम्पर्क कर सकता है। खास बात ये है कि गोद लेने वाला व्यक्ति वन्यजीव के पिंजरे में मनचाहा बदलाव, रंग-रोगन भी करा सकता है।
हिप्पो-शेर और बाघ का खर्चा ज्यादा
नाहरगढ़ जैविक उद्यान में प्रवास करने वाली 26 प्रजातियों के वन्यजीवों को शामिल किया है। बात करें दरों की तो दरियाई घोड़े पर रोजाना दो हजार रुपए तक खर्चा आता है। यह सबसे महंगा होगा। इसके बाद शेर और बाघ को शामिल किया है। इनके एक दिन के भोजन का औसतन 800 रुपए से 1100 रुपए है। तीसरे क्रम में बघेरे है। इस पर रोजाना 400 से 500 रुपए खर्चा आता है। इसके अलावा भालू, लोमड़ी, हिरण समेत अन्य वन्यजीव शामिल किए गए। इन पर खानपान 100 से 300 रुपए खर्च होता है। इनके आधार पर गोद दिए जाएंगे।
लोगों में वन्यजीवों के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए यह योजना शुरू की जाएगी। ऐसे में इच्छुक व्यक्ति अपने मनपसंद वन्यजीव के खान-पान सहित अन्य खर्चा उठा सकते हैं। इस योजना को जून से शुरू कर दिया जाएगा। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
- डॉ. डीएन. पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ)
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