चीन की हरकतें
भविष्य में कोई न कोई हल निकल सकेगा
चीन पूर्वी लद्दाख में पिछले दो साल से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के बजाए भारत को उकसाने की हरकतों को बढ़ावा देने में जुटा है। पिछले दिनों खबर थी कि चीन व भारत के प्रतिनिधि मिलकर सीमा विवादों के हल पर वार्ता के दौर का सिलसिला शुरू करेंगे।
चीन पूर्वी लद्दाख में पिछले दो साल से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के बजाए भारत को उकसाने की हरकतों को बढ़ावा देने में जुटा है। पिछले दिनों खबर थी कि चीन व भारत के प्रतिनिधि मिलकर सीमा विवादों के हल पर वार्ता के दौर का सिलसिला शुरू करेंगे। इससे उम्मीद बंधी थी कि लद्दाख सहित अन्य सीमा विवादों का भविष्य में कोई न कोई हल निकल सकेगा। लेकिन पूर्वी लद्दाख में चल रही उसकी हरकतों से कोई ऐसा संकेत नहीं मिलता की वह सीमा विवाद को हल करने और भारत से रिश्ते सुधारने की कोई जरूरत समझता है। हाल ही ऐसी खबरें आई हैं कि चीन पैंगोंग झील इलाके में एक और नया पुल बनाना शुरू कर दिया है। जिस जगह यह पुल बनाया जा रहा है, उस पर वह लगभग साठ साल से दावा ठोेकता आ रहा है, लेकिन भारत ने कभी इसे मान्यता नहीं दी क्योंकि चीन ने अवैध रूप से इस क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है। यदि यह इलाका उसका वैध हिस्सा होता तो भारत को भला क्या एतराज हो सकता है? सवाल है कि जब उस इलाके पर उसका अधिकार ही नहीं है, तो उसे तनाव पैदा करने की स्थिति पैदा ही नहीं करनी चाहिए। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि उसका मुख्य मकसद भारत को भड़काने व धमकाने का ही रहा है। चीन ने पैंगोंग झील क्षेत्र में पहले ही एक पुल बना लिया था और अब उसके बराबर दूसरा पुल भी बना रहा है।
साफ है कि चीन इस इलाके में अपनी मोर्चाबंदी को मजबूत कर रहा है और क्षेत्र में अपनी और सैनिक तैनात करने जा रहा है। दो साल पुराने गलवान विवाद के बाद उसकी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। हालांकि विवाद को खत्म करने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच पंद्रह दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। कूटनीतिक स्तर की वार्ताएं हुई हैं, लेकिन विवाद जस का तस बना हुआ है। चीन भारतीय पक्ष की बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, तो ऐसी वार्ताओं का कोई औचित्य भी नहीं रह जाता है। चीन तो तनाव को बढ़ाने वाली गतिविधियों में लिप्त है। चीन पूर्वी लद्दाख में ही अवैध निर्माण नहीं कर रहा है बल्कि भारत से सटी अन्य सीमाओं पर भी अवैध निर्माण करने में लगा है। चीन की हरकतें भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। चीन से निपटने की भारत ने भी तैयारियां कर रखी हैं, लेकिन अवैध निर्माणों पर भी अंकुश लगाने की कोई तैयारी और रणनीति बनाने की जरूरत है। अवैध निर्माण बढ़ते रहे तो विवाद फिर कैसे हल होंगे।
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