चीनी निर्यात रोकने की योजना बना रहीं मोदी सरकार, अलग-अलग चीजों पर लगाया बैन
केन्द्र सरकार बना रही छह साल में पहली बार चीनी निर्यात रोकने की योजना
केन्द्र सरकार छह साल में पहली बार चीनी निर्यात रोकने की योजना बना रही है। घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए सरकार ऐसा कर रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस सीजन के निर्यात को 10 मिलियन टन तक सीमित कर सकती है।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार छह साल में पहली बार चीनी निर्यात रोकने की योजना बना रही है। घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए सरकार ऐसा कर रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस सीजन के निर्यात को 10 मिलियन टन तक सीमित कर सकती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। इसके टॉप ग्राहकों में बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया और दुबई शामिल हैं।
स्टॉक्स में गिरावट
चीनी से जुड़े ज्यादातर स्टॉक्स में गिरावट देखने को मिली। श्री रेणुका शुगर का स्टॉक करीब 14 फीसदी और बलरामपुर चीनी करीब 10 फीसदी टूट गया। मामले से जुड़े एक व्यक्ति के हवाले से ब्लूमबर्ग ने लिखा सरकार सितंबर तक चलने वाले मार्केटिंग ईयर के लिए चीनी निर्यात को 10 मिलियन टन तक सीमित करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अक्टूबर में अगला चीनी सीजन शुरू होने से पहले पर्याप्त भंडार हो।
अलग-अलग चीजों पर लगाया बैन
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, फूड प्राइसेस आसमान छू रही हैं और दुनिया भर की सरकारों ने अपने देश में जरूरी चीजों की कीमत न बढ़े इसके लिए इन वस्तुओं के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाई है। मलेशिया एक जून से चिकन का एक्सपोर्ट रोकने जा रहा है। इंडोनेशिया ने हाल ही में अस्थायी रूप से पाम ऑयल पर प्रतिबंध लगाया था। भारत ने गेंहूं के एक्सपोर्ट को भी प्रतिबंधित कर दिया है। सर्बिया और कजाकिस्तान ने अनाज शिपमेंट पर कोटा लगाया है।
16 मिलियन का सरप्लस स्टॉक
चीनी निर्यात को सीमित करने की सरकार की योजना एहतियात वाली है। चीनी की घरेलू आपूर्ति प्रचुर मात्रा में है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार भारत में इस सीजन में 35 मिलियन टन उत्पादन और 27 मिलियन टन की खपत होने की उम्मीद है। पिछले सीजन के लगभग 8.2 मिलियन टन के भंडार सहित 16 मिलियन का सरप्लस है।
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