शिशु चिकित्सालय में चूहों का आतंक, नौनिहालों की जान खतरे में

तीमारदार के सामानों को नुकसान पहुंचा रहे चूहे

शिशु चिकित्सालय में चूहों का आतंक, नौनिहालों की जान खतरे में

झालावाड़ के राजकीय जिला कुंवर बा जनाना चिकित्सालय जहां पर शिशु चिकित्सालय भी संचालित है, वहां चूहे आफत बरसा रहे हैं। अस्पताल के शिशु वार्ड आईसीयू एनआईसीयू सभी जगहों पर चूहों का पूरा दखल है और अस्पताल प्रशासन इनके सामने बेबस नजर आता है।

 झालावाड़। झालावाड़ के राजकीय जिला कुंवर बा जनाना चिकित्सालय जहां पर शिशु चिकित्सालय भी संचालित है, वहां चूहे आफत बरसा रहे हैं। अस्पताल के शिशु वार्ड आईसीयू एनआईसीयू सभी जगहों पर चूहों का पूरा दखल है और अस्पताल प्रशासन इनके सामने बेबस नजर आता है और यदि चूहों से नवजातों की रक्षा की बात करें तो सब कुछ भगवान भरोसे ही चल रहा है। कुछ दिनों पूर्व कोटा के अस्पताल में चूहों द्वारा एक मरीज की आंखें कुतर दिए जाने का मामला सामने आया था, उसके बाद भी झालावाड़ अस्पताल प्रशासन ने सबक नहीं लिया है और चारों तरफ चूहे स्वतंत्र विचरण कर रहे हैं, इनसे निपटने की कोई योजना नहीं है, अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं। झालावाड़ के जनाना अस्पताल में जब हम हालातों का जायजा लेने पहुंचे तो पाया कि जो है चारों तरफ स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं यहां तक कि मरीजों के बीच भी बड़े आराम से घूमते नजर आते हैं।
  
 अस्पताल में अपने बच्चे का इलाज करवाने आए रोहित जैन ने बताया कि एक छोटे से वार्ड में लगभग 30 चूहे घूम रहे हैं, चूहों की साइज इतनी बड़ी है कि इंसान देख कर भी डर जाए। उन्होंने बताया कि यहां पर हर व्यक्ति चूहों से परेशान है तथा अपने सामान को बचाने की जुगत करता हुआ नजर आता है। सबसे बड़ा खतरा नवजात शिशुओं पर चूहों के हमले को लेकर है। ऐसे में नवजात शिशु के साथ किसी ना किसी व्यक्ति को 24 घंटे जाग कर उसकी निगरानी करनी पड़ रही है। डर रहता है कि कहीं चूहे कुछ नुकसान ना कर दें। एक अन्य महिला मांगी बाई ने बताया कि वह रात्रि के समय जब सोई हुई थी तो चूहे ने उसके पैर की उंगली में इतना जोर से काट लिया कि खून की धारा बह निकली। आखिरकार अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जाकर मरहम पट्टी करवानी पड़ी, तब जाकर हालात ठीक हुई।
 
 वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आते हैं और कहते हैं कि फिलहाल अस्पताल में चूहों से संबंधित कोई परेशानी नहीं है। वहीं उसके विपरीत जब हम वार्डों में पहुंचे तो हालात ठीक उल्टे नजर आए, वार्ड की खिड़की के पीछे 3 चूहे साफ साफ नजर आ रहे थे तथा एक चूहा वार्ड में स्वतंत्र विचरण करता हुआ भी नजर आ ही गया, जो दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त था। अस्पताल प्रशासन द्वारा किए जा रहे दावों और वादों के वास्तविक हालात देखने के बाद लगता है जैसे कि अस्पताल प्रशासन सुधारने के बदले किसी हादसे का इंतजार करना ज्यादा पसंद कर रहा है। 

झालावाड़ अस्पताल में चूहों की संख्या ना के बराबर है उनके द्वारा नुकसान किए जाने की कोई बात अब तक सामने नहीं आई है फिर भी यदि कोई मामला है तो दिखवाकर कार्यवाही करेंगे।
- डॉ हेमराज, अधीक्षक, जनाना अस्पताल झालावाड़




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