अफसरों की एसी में तो छात्रों की पंखे में कट रही दुपहरी

राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी परिसर में है पांच बॉयज हॉस्टल, दो में पानी की मारामारी, वन्यजीवों व जहरीले जंतुओं का रहता है खतरा

 अफसरों की एसी में तो छात्रों की पंखे में कट रही दुपहरी

राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छात्र भीषण गर्मी से झुलस रहे हैं। जहां एक ओर अफसरों के आॅफिसों में एयर कंडीशनर लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर बॉयज हॉस्टल में हजारों छात्रों की दुपहरी पंखे के सहारे कट रही है।

कोटा। सूरज आसमान से आग बरसा रहा है तो लू के थपेड़ों से जनजीवन बेहाल है। वहीं, राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छात्र भीषण गर्मी से झुलस रहे हैं। जहां एक ओर अफसरों के आॅफिसों में एयर कंडीशनर लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर बॉयज हॉस्टल में हजारों छात्रों की दुपहरी पंखे के सहारे कट रही है। 43 डिग्री के तापमान में हॉस्टल अंदर से आग की भट्टी की तरह भभक रहे हैं। हालात यह है, हॉस्टल के  आसपास जंगली इलाका होने से वन्यजीवों मौजूदगी रहती है। ऐसे में स्ट्रीट लाइटें बंद रहने से जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है।  फीस के नाम पर एक-एक पाई वसूली जाती है, बदले में व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया जा रहा।  खबर में छप रहे स्टूडेंट्स के नाम उनके कहने पर परिवर्तित किए गए हैं।

भटटी सा तप रहा हॉस्टल
मेकेनिकल इंजिनियरिंग के छात्र सौरभ ने बताया कि इन दिनों तापमान 40 से 45 के बीच पहुंच रहा है। जिससे हॉस्टल के कमरे भट्टी की तरह भभक रहे हैं। दिनभर छात्र गर्मी में तप रहे हैं। विडंबना देखिए, प्रोफेसर, डीन के आॅफिसों के अलावा टीचर्स कॉलोनी के अधिकतर घरों में एयरकंडिशनर लगे है, जबकि, बॉयज हॉस्टल में आरटीयू प्रशासन कूलर तक नहीं लगवा पा रहा। रात को भी गर्मी से राहत नहीं मिल पाती। पंखें पुराने होने से धीमी गति से चलते हैं। गर्मी से पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

350 छात्रों के बीच दो वाटर कूलर
बीटेक द्वितीय वर्ष के छात्र भूपेश चतुर्वेदी ने बताया कि यूनिवर्सिटी में 5 बॉयज हॉस्टिल हैं। इनमें 5 व 4 नंबर के हॉस्टलों में करीब 350 छात्र रहते हैं। दोनों हॉस्टलों के बीच 2 वाटरकूल लगे हैं, जिनमें से एक में फिल्टर नहीं होने से पानी गंदा आता है। दूसरे में शाम होते-होते पानी खत्म हो जाता है। ऐसे में यहां पीने के पानी के लिए मारामारी मची रहती है। हालांकि अभी सीनियर छात्र पेपर व प्रोजेक्ट वर्क के चलते बाहर गए हुए हैं। वर्तमान में पूरे हॉस्टल में करीब साढ़े तीन सौ छात्र रह रहे हैं।

अंधेरे में 700 मीटर दूर से लाना पड़ता है पानी
बीटेक इलेक्ट्रिल छात्र संदीप का कहना है, हॉस्टल में लगे वाटर कूलर में शाम तक पीने का पानी खत्म हो जाता है। ऐसे में उन्हें पानी भरने के लिए हॉस्टल से 600 मीटर दूर केंटीन पर जाना पड़ता है। हॉस्टल के मार्ग पर अंधेरा पसरा रहता है, जिसकी वजह से जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा रहता है।

स्ट्रीट लाइटें रहती हैं बंद
यूनिवर्सिटी में छात्रों के हॉस्टल की ओर जाने वाले मार्ग पर लगी रोड लाइटें काफी समय से बंद पड़ी हैं। शाम को साढ़े छह बजे से ही परिसर में अंधेरा हो जाता है। हॉस्टल के पीछे का इलाका चंबल अभयारण्य का हिस्सा है। जिससे यूनिवर्सिटी परिसर में वन्यजीवों की मौजूदगी बनी रहती है। वहीं, हॉस्टल से कैम्पस की ओर जा रही सड़क पर आए दिन सांप, गोयरा, बिच्छु सहित अन्य जहरीले जीव-जंतु घुमते रहते हैं, जो अंधेरे के कारण दिखाई नहीं देते। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है।

चंबल अभयारण्य में आता है आधा हिस्सा
राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी का आधा हिस्सा राष्टÑीय चंबल अभयारणय में आता है। नेच्यूरल हैबीटाट होने की वजह से यहां वन्यजीवों का मूवमेंट अधिक रहता है। कैम्पस में कई बार पैंथर, भालू आ चुके हैं। वहीं, सांप, गोयरा, बिच्छु सहित अन्य जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है। यह इलाका बॉयज हॉस्टल के ठीक पीछे है। ऐसे में अनहोनी का खतरा ज्यादा रहता है।

पिछले साल पकड़ा था भालू
आरटीयू का पिछला इलाका चंलब सेंचुरी का हिस्सा है। ऐसे में यहां पैंथर, भालू सहित अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी आम बात है। पिछले साल हमने यूनिवर्सिटी परिसर से भालू को पकड़ा था। इससे पहले पैंथर पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगाए गए थे। सुरक्षा के लिहाज से हमने आरटीयू प्रशासन को पूर्व में कई बार वाइल्ड लाइफ क्षेत्र तक फेंसिंग करवाने को कह चुके हैं।
- आरएस भंडारी, सहायक वन संरक्षक मुकुंदरा टाइगर रिजर्व

हमसे शिकायत नहीं करते स्टूडेंट
हॉस्टल में कोई समस्या है तो स्टूडेंट्स हमें बताएं, समाधान नहीं हो तो फिर जहां चाहे शिकायत करें। हमसे शिकायत करते ही नहीं हैं, फिर हमें समस्या का कैसे पता चलेगा। हॉस्टल में 5 वाटर कूलर लगे हुए हैं। इनमें 2 वाटर कूलर  4 नंबर में व 3 वाटरकूलर 5 नंबर हॉस्टल में बिलकुल सही चल रहे हैं। इसके अलावा सभी बॉयज हॉस्टलों में नए पंखे लगे हैं। हम कूलर नहीं लगवा सकते। लेकिन स्टूडेंट्स खुद लगवा सकते हैं। इसके लिए बिजली का कोई अतिरिक्त चार्ज भी नहीं लेते।
- राजेश सिंघल, चीफ वार्डन आरटीयू

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