अधिकारियों का मन मोह रही लग्जरी गाड़ियां
सुरक्षा से अधिक बढ़ा दिखावे का क्रेज : जनप्रतिनिधि भी लग्जरी गाड़ियों का कर रहे उपयोग, पूल से ज्यादा किराए पर ले रखी गाड़ियां
संभाग के बड़े अधिकारी हो या जिले के या फिर स्थानीय निकायों के प्रमुख हों। सभी में महंगी व लग्जरी गाड़ियों में सफर करने का क्रेज बढ़ा है। यही कारण है कि पहले जहां अधिकतर अधिकारी व जनप्रतिनिधि एम्बेसडर गाड़ी में नजर आते थे अब वे इनोवा व सफारी जैसी गाड़ियों में नजर आने लगे हैं।
कोटा । सरकारी व्यवस्था में पहले जहां सुरक्षित गाड़ियों को पसंद किया जाता था। वहीं अब समय के साथ उसमें भी बदलाव आया है। अब सरकारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों में सुरक्षा से अधिक गाड़ियों के दिखावे का क्रेज बढ़ा है। जिससे सभी के पास एक से बढ़कर एक लग्जरी गाड़ियां नजर आने लगी हैं। संभाग के बड़े अधिकारी हो या जिले के या फिर स्थानीय निकायों के प्रमुख हों। सभी में महंगी व लग्जरी गाड़ियों में सफर करने का क्रेज बढ़ा है। यही कारण है कि पहले जहां अधिकतर अधिकारी व जनप्रतिनिधि एम्बेसडर गाड़ी में नजर आते थे अब वे इनोवा व सफारी जैसी गाड़ियों में नजर आने लगे हैं। सभी जगह पर एक से बढ़कर एक लग्जरी गाड़िया खडंÞी दिख जाएंगी।
स्टेटस सिम्बल बनी लग्जरी गाड़ियां
लग्जरी गाडिंÞयों में सफर करना अब स्टेटस सिम्बल बन गया है। आज छोटे से छोटा जनप्रतिनिधि भी लग्जरी गाड़ी में बैठना पसंद कर रहा है। वहीं सरकारी व्यवस्था में भी उसे लागू कर दिया गया है। संभाग व जिला स्तर के बड़े अधिकारियों के पास 10 लाख से अधिक की महंगी गाड़ियां हैं। फिर चाहे वे सरकारी हों या टैक्सी के रूप में किराए पर।
सफारी व इनोवा पहली पसंद
जानकारी के अनुसार शहर में वीवीआईपी के लिए सफारी गाड़ियां हैं। जिला पूल में दो सफारी गाड़ियां हैं। जिनका उपयोग लोकसभा अध्यक्ष या बाहर से मंत्रियों के आने पर किया जाता है। उसी तरह से कोटा दक्षिण के महापौर के पास भी सफारी गाड़ी है। हालांकि वीवीआईपी की सफारी लेटेस्ट मॉडल वाली हैं। जबकि महापौर के पास पुरानी वाली है। इसी तरह से संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर के पास इनोवा, कोटा उत्तर की महापौर के पास भी इनोवा गाड़ी है। कोटा दक्षिण के उप महापौर के पास पुरानी सफारी गाड़ी है जो उन्हें हाल ही में मिली है। जबकि कोटा उत्तर के उप महापौर के पास निशान है। एडीएम स्तर के अधिकारियों के पास स्विफ्ट डिजायर और उनसे नीचे के स्तर के अधिकािरयों के पास बोलेरो गाड़ियां हैं।
सरकारी से अधिक किराए पर ले रखी है गाड़ियां
शहर में सरकारी गाड़ियां तो हैं। लेकिन उससे अधिक किराए पर टैक्सी के रूप में गाड़ियां लगी हुई हैं। जानकारी के अनुसार जिला पूल में 17 गाड़ियां हैं और उतने ही चालक हैं। नियमानुसार सरकारी गाड़ियां तो जितने किमी. चल रही हैं उनकी लॉकबुक भरी जाती है। जबकि किराए पर लगी टैक्सी का किराया निर्धारित है। जिला प्रशासन के तहत किराए पर लगी टैक्सी 31 हजार 300 रुपए महीने में 2 हजार किमी. तक के लिए लगी हुई हैं। जिसमें गाड़ी से लेकर चालक, डीजल और गाडिंÞयों की मरम्मत सभी शामिल है। निर्धारित से अधिक किमी. चलने पर उसका भुगतान किमी. के अनुसार किया जाता है। जबकि कम किमी. चलने पर उसे अगले महीने में शामिल किया जाता है।
बदलती रही है गाड़ियां
अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों की गाड़ियां भी समय-समय पर बदलती रही हैं। नगर निगम कोटा में तत्कालीन महापौर डॉ रत्ना जैन व महेश विजय के समय में गाड़ियां खरीदी गर्ई थी। कोटा दक्षिण के महापौर के लिए नई गाड़ी खरीदने की भी चर्चा है।
निगम में 22 हजार रुपए महीना किराए पर
नगर निगम में वैसे तो अधिकतर गाड़ियां सरकारी हैं। लेकिन जो भी गाड़ियां अधिकारियों के पास टैक्सी के रूप में लगी हैं उनका किराया 15 सौ किमीं तक 22 हजार रुपए तय है। इसमें चालक, गाड़ी, डीजल व मरम्मत शामिल है। जबकि कोटा उत्तर के महापौर की किराए पर लगी गाड़ी 2 हजार किमी. तक के लिए 66 हजार रुपए महीने पर है।
गाड़ी तो एम्बेसडर सबसे मजबूत थी। लेकिन उसमें डीजल की अधिक खपत होने लगी। साथ ही समय के साथ आए बदलाव के बाद सरकारी अधिकारियों के पास सरकारी नियम के तहत गाड़ियां लगाई गई हैं। जिला पूल में 17 गाड़ियां हैं। जिनमें से दो सफारी गाड़ियां वीवीआईपी के लिए हैं। जिन अधिकारियों के पास सरकारी गाड़ियां नहीं हैं। वहां किराए पर टैक्सी लगी हुई हैं। टैक्सी का किराया भी सरकारी नियम के तहत निर्धारित है। जिसमें चालक से लेकर डीजल व मरम्मत तक सभी संवेदक फर्म का रहता है।
राजेन्द्र चौहान, प्रभारी, जिला पूल कोटा
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