टोल के खिलाफ आन्दोलन को मिल रहा आमजन का समर्थन, प्रचार-प्रसार जारी

क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहे या स्वार्थपरता

 टोल के खिलाफ आन्दोलन को मिल रहा आमजन का समर्थन, प्रचार-प्रसार जारी

मालपुरा। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहे या स्वार्थपरता राजधानी से महज 90 किमी दूरी होने के बावजूद मालपुरा शहर में वो विकास नहीं हो पाया जिसकी जरूरत क्षेत्र को है। जबकि राजधानी के पास इसी दूरी पर स्थित अन्य शहरों की स्थिति व विकास यहां से कई यादा है।

मालपुरा। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहे या स्वार्थपरता राजधानी से महज 90 किमी दूरी होने के बावजूद मालपुरा शहर में वो विकास नहीं हो पाया जिसकी जरूरत क्षेत्र को है। जबकि राजधानी के पास इसी दूरी पर स्थित अन्य शहरों की स्थिति व विकास यहां से कई  यादा है।
 शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, सड़क मार्ग, रोजगार, औघोगिक क्षेत्र का विकास सहित अन्य तमाम ऐसे मुद्दे है जिनके पूरा होने के दिवास्वप्न को संजोए क्षेत्र का मतदाता हर बार ठगा जा रहा है।


जीतने के बाद जनप्रतिनिधि क्षेत्र व जनता को अपने हाल पर छोड़ देते हैं तथा क्षेत्र से ज्यादा खुद के विकास पर ध्यान देते है। क्षेत्र के लोगों से रियासतकालीन रेल सेवा एक झटके में छीन ली गई लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रैंगी ना ही क्षेत्र की जनता ने कोई आन्दोलन ही किया। नतीजा यह हुआ कि क्षेत्र के लोगों के पास राजधानी तक पहुंचने का कम खर्चे का माध्यम रेल हमसे छिन गया। कमोबेश यही हाल शिक्षा के क्षेत्र का है जहां मालपुरा-टोडारायसिंह विधानसभा क्षेत्र के विद्यार्थियों के पास आज भी उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। आज भी अभिभावक अपने बेटे-बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए महंगे खर्चों पर महानगरीय व्यवस्थाओं में झोंक रहे हैं।

बालिका शिक्षा के प्रचार-प्रसार की कहानी भी एकमात्र महाविद्यालय की शिक्षा पर आकर ही रूक जाती है तथा बेटियों को अकेले महानगरों में छोड़ने के मामले में अधिकतर अभिभावकों की ना ही होती है जिससे उनकी स्रातक की शिक्षा ही पूरी हो पाती है। इसके बाद वे महज प्राइवेट विद्यार्थी के रूप में अपने आगे का सफर तय करने को मजबूर है। क्षेत्र में बढ़ते अपराध व साम्प्रदायिक मामलों की एक बड़ी वजह निठगापन मानी जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आज शहर में औघोगिक क्षेत्र में रोजगार की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। शहर के लोग अब सयाने हो रहे है। इसी दौरान टोल नाके के लिए होने वाले संघर्ष को अपना भरपूर समर्थन दे रहे हैं तथा आगामी दिनों में होने वाले आन्दोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं।

इधर आन्दोलन की अगुवाई के लिए भाजपा व कांगे्रस ने भले ही अलग-अलग योजना बनाई हो लेकिन पहली बार शहर की किसी बड़ी समस्या के लिए एकजुटता नई कहानी गढ़ रही है। शहर के लोग विकास को मुद्दा मानकर एकजुट होंगे तो जनप्रतिनिधियों को भी मजबूर होकर लोगों की आवश्यकताओं व सुविधाओं पर ध्यान देने के लिए मजबूर होना पडेÞगा। लोगों की जेब काटने के लिए जबरन थोपे गए टोल नाके के खिलाफ आन्दोलन की सुगबुगाहट तेज हो चली है।

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