जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास?

सूबे में हाथ वाले कुछ भाई लोग आठ महीनों से काफी उछलकूद कर रहे हैं। अब उनको नवें महीने का बेसब्री से इंतजार है। इंतजार इसलिए है कि अगले महीने उन्हें गुड़ या घूघरी मिलने का पूरा भरोसा है। सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में भी इसके लिए उन्होंने मैसेज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एल एल शर्मा
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चर्चा में अगुणी की तीस सीटें

सूबे में हाथ वाले कुछ भाई लोग आठ महीनों से काफी उछलकूद कर रहे हैं। अब उनको नवें महीने का बेसब्री से इंतजार है। इंतजार इसलिए है कि अगले महीने उन्हें गुड़ या घूघरी मिलने का पूरा भरोसा है। सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में भी इसके लिए उन्होंने मैसेज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर चर्चा है कि हाथ वाले कुछ भाई लोगों की नजरें अगुणी दिशा की उन तीस सीटों पर ज्यादा टिकी है, जिनको लेकर देवनारायण और मिनेश वंशजों के बीच एग्रीमेंट का ड्राफ्ट अंतिम चरण में हैं। अब दिन में सपने देखने वाले भाई लोगों को कौन समझाए कि यह जो पब्लिक है, सब जानती है, अंदर क्या है, बाहर क्या है, सब पहचानती है।

चांदी के फेर में खाकी
सूबे में इन दिनों खाकी वाले कुछ साहब लोग चांदी के फेर में ऐसे फंसे हुए हैं कि उनके समझ में नहीं आ रहा कि चांदी की सिल्लियों के इस चक्रव्यूह से कैसे निकला जाए। चांदी भी किसी सुनार की होती तो अब तक मामला निपट जाता, लेकिन गंजों के सिर पर बाल उगाने वाले साहब की है, सो जोर तो लगाना ही पड़ेगा। बड़े-बड़ों की हेकड़ी उतार चुके खाकी वालों ने तेल पिलाए लठ्ठ को भी काम में ले लिया, मगर अभी तक पता नहीं लगा सके कि आखिर 18 सिल्लियां कहां से आई है। पीएचक्यू में चर्चा है कि पिंकसिटी के वैशालीनगर से कमिश्नरेट होता हुआ एसओजी तक घूम चुके इस मामले पर अब इन्कम टैक्स और ईडी की नजरें भी टिकने लगी है। खाकी वालों ने तो डंडे की जोर पर वो ही किया, जो उनको करना था, मगर अब डॉक्टर साहब के साथ चांदी के धंधे में जुड़े लोगों को चिन्ता सताने लगी है कि 18 सिल्लियों को लेकर अगर आमदनी पर नजर रखने वाले साहब लोगों ने इन्क्वायरी कर ली, लो खाकी वालों का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन और कइयों की पोल खुलने में देर भी नहीं लगेगी।

कमाल गुप्त रिपोर्ट का
मैडम की वापसी सक्रियता को लेकर कई लोगों में सेहरा बंधवाने की होड़ मची है। कइयों के तो जमीन पर पैर तक नहीं टिक रहे। लेकिन हम बताय देते हैं कि यह संख्या बल का नहीं, बल्कि शेखावाटी से ताल्लुकात रखने वाले साहब की गुप्त रिपोर्ट का कमाल है। गुजरे जमाने में अमित जी के खासमखास रहे भाईसाहब की टास्क वेल्यूएशन की निष्पक्ष रिपोर्ट ने ऊपर वालों के दिमाग के दरवाजे खोल दिए। रिपोर्ट से आमेर वाले भाईसाहब के तेवर बदलने के साथ ही गुलाबजी भाईसाहब भी ढीले पड़ गए। रिपोर्ट में लिखा था कि जनपथों में मैडम के अलावा दूसरा कोई नहीं है।

एक जुमला यह भी
इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर इन दिनों एक चर्चा जोरों पर है। चर्चा भी छोटी मोटी नहीं, बल्कि बदलाव के हवाई किलों को लेकर है। खास बात यह है कि चर्चा में रोजाना कुछ न कुछ नया शगूफा जुड़ जाता है, लेकिन हमें गांधी टोपी वाले बुजुर्ग भाईसाहब की बात में कुछ दम नजर आया। भाईसाहब बोले कि हाथ वाले किसी भी मुखिया को घर का रास्ता दिखाया जाता है, तो मैडम कई महीनों पहले से ही किनारा कर लेती हैं। यहां तक कि वेटिंग पीएम राजकुमार भी किसी न किसी बहाने कन्नी काटते हैं। लेकिन यहां तो पहले ही राजकुमार से और फिर मैडम से जोधपुर वाले भाई साहब की गुफ्तगू जो हुई है। अब इन हवाई किले बनाने वालों को कौन समझाए कि जब कुछ ठीक-ठाक है, तो दिन में सपने देखने से कोई फायदा नहीं है। समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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