एक एमआरआई मशीन पर पूरी हाड़ौती का भार

20 से 25 दिन तक करना पड़ रहा मरीजों को इंतजार , संभाग के सबसे बड़े व पुराने अस्पताल में नहीं एमआरआई की सुविधा

एक एमआरआई मशीन पर पूरी हाड़ौती का भार

संभाग के सबसे बड़े व पुराने एमबीएस अस्पताल में अभी तक भी एमआरआई की सुविधा नहीं है। न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक मात्र एमआरआई मशीन पर पूरे हाड़ौती का भार पड़ रहा है। वहां भी मरीजों को 20 से 25 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है।

कोटा । संभाग के सबसे बड़े व पुराने एमबीएस अस्पताल में अभी तक भी एमआरआई की सुविधा नहीं है।  न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक मात्र एमआरआई मशीन पर पूरे हाड़ौती का भार पड़ रहा है। वहां भी मरीजों को 20 से 25 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। मेडिकल के क्षेत्र में कोटा शहर में कई तरह की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। एमबीएस व जे.के. लोन अस्पताल में नए ओपीडी ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। नए एनआईसीयू बनाए जा रहे हैं। लेकिन हालत यह है कि एमबीएस जैसे अस्पताल में जो सबसे पुराना व बड़ा है। वहां एमआरआई  जैसी सुविधा नहीं है। इसके लिए मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।

13.50 करोड़ का बजट स्वीकृत लेकिन समय लगेगा
एबीएस अस्पताल में एमआरआई के लिए हो रही मरीजों की परेशानी को देखते हुए गत दिनों कोटा आए चिकित्सा मंत्री ने 13.50 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है। जिससे यहां पहली बार नई एमआरआई मशीन लगेगी। लेकिन उसमें समय अधिक लगेगा। तब तक मरीजों को परेशान होना पड़ेगा।

रोजाना 55 से 60 एमआरआई
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रोजाना 55 से 60 मरीजों की एमआरआई की जा रही है। पहले जहां दोपहर 2 बजे तक और रोजाना 30 मरीजों की ही एमआरआई की जा रही थी। लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने से इसका समय व संख्या दोनों बढ़ा दिए हैं। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में रात 8 बजे तक और 55 से 60 एमआरआई की जा रही है।

एमबीएस के मरीज भी मेडिकल कॉलेज जा रहे
हालत यह है कि पूरे संभाग में सिर्फ न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही मात्र एक एमआरआई मशीन है। जिस पर संभाग के सभी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की एमआरआई की जा रही है। एमबीएस अस्पताल से भी मरीज मेडिकल कॉलेज ही भेजे जा रहे हैं।  यहां मरीज अधिक है और मशीन एक है। ऐसे में एमआरआई के लिए मरीजों को 20 से 25 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है।

यह है व्यवस्था
हालत यह है कि एमबीएस में भर्ती मरीज की एमआरआई करवानी हो तो उसके लिए उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। एक मई से सरकार द्वारा की गई सभी जांचें नि:शुल्क होने से अस्पताल प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सम्पर्क किया जाता है। वहां से एमआरआई के लिए समय लिया जाता है। उसके बाद सीटी स्कैन के काउंटर पर जानकारी दी जाती है। वहां मरीज की 0 की रसीद काटकर बस से उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। लेकिन इसमें समय और परेशानी मरीज व उनके परिजनों को भुगतनी पड़ रही है।

एमबीएस में अभी तक एमआरआई मशीन नहीं है। अब उसके लिए 13.50 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हुआ है। नई मशीन लगने तक फिलहाल मरीजों को मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। लेकिन अब निजी संस्थानों से एमआरआई करवाने के लिए 7 दिन का शॉर्ट टर्म टेंडर किया जा रहा है। वह सोमवार को अपलोड हो जाएगा। उसके बाद मरीज को अस्पताल से ले जाने व छोड़ने और रिपोर्ट देने तक की जिम्मेदारी संबंधित संस्थान की होगी। उसमें मरीज से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। -डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल

हाड़ौती में सिर्फ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही एक एमआरआई मशीन है। यहां पूरे संभाग से मरीज आ रहे हैं। पहले दोपहर 2 बजे तक 30 मरीजों की एमआरआई हो रही थी। मरीजों की संख्या को देखते हुए उसका समय रात 8 बजे तक और 55 से 60 एमआरआई रोजाना की जा रही है। उसके बाद भी 20 से 25 दिन की वेटिंग चल रही है। -डॉ. चंद्र शेखर सुशील, अधीक्षक, न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल

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