दोपहर में पेड़ की छांव, रात को रोड लाइट के नीचे परीक्षा की तैयारी

22.40 लाख बिजली बिल बकाया होने का मामला : 100 साल पुराने हॉस्टल में छात्रों की हो रही दुर्दशा, जहरीले जीव-जंतुओं के बीच छतों पर कट रही छात्रों की रातें, जुबली हॉस्टल में कटी बिजली एक माह बाद भी नहीं हुई बहाल

दोपहर में पेड़ की छांव, रात को रोड लाइट के नीचे परीक्षा की तैयारी

कोटा गवर्नमेंट आटर्स कॉलेज के 100 साल पुराने जुबली हॉस्टल में 22 लाख का बिजली बिल बकाया होने पर बिजली कंपनी केईडीएल ने 11 मई को हॉस्टल का कनेक्शन काट दिया, जो आज तक नहीं भरा गया। जिसके चलते छात्र एक माह से भीषण गर्मी में रहने को मजबूर हैं।

कोटा । आसमान से बरसती आग और लू के थपेड़ों के बीच सूरज की तीखी किरणों से पेड़ की छांव और रात के अंधेरे में जहरीले जीव-जंतुओं से हजारों छात्रों की जान बचाने को स्ट्रीट लाइटें ढाल बनकर खड़ी हैं। दुपहरी को पेड़ तो रात को स्ट्रीट लाइटों के उजाले में परीक्षा की तैयारी करते छात्रों की ये तस्वीरें खूब चर्चा में है। इन दिनों ऐसे नजारे कोटा गवर्नमेंट आटर्स कॉलेज के 100 साल पुराने जुबली हॉस्टल में देखने को मिल रहे हैं। दरअसल, 22 लाख का बिजली बिल बकाया होने पर बिजली कंपनी केईडीएल ने 11 मई को हॉस्टल का कनेक्शन काट दिया, जो आज तक नहीं भरा गया। जिसके चलते छात्र एक माह से भीषण गर्मी में रहने को मजबूर हैं। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि 15 माह से हॉस्टल का बिल जमा करवाया ही नहीं गया। जिसके चलते जुबली और रघुनाथ हॉस्टल के छात्र हर दिन मुसीबतों का सामना करन रहे है।

दुकानों पर करतें हैं मोबाइल चार्ज
छात्र केशव व गिर्राज ने बताया कि दिन में तो जैसे-तैसे काम चल जाता है लेकिन रात को मोबाइल टॉर्च ही सहारा है। जरूरी कार्य इसके द्वारा ही किए जाते हैं। इसलिए, छात्र दिनभर तेज धूप में मोबाइल चार्ज करने के लिए दुकानों पर भटकते हैं। ऐसे में जब तक मोबाइल चार्ज होता है तब तक वहीं खड़े रहना पड़ता है। पढ़ाई के नुकसान के अलावा शारीरिक व मानसिक रूप से भी परेशान हो रहे हैं। 

मोटर बंद, हैंडपम्प का फलोराइडयुक्त पी रहे पानी
छात्र रविंद्र व मनीष ने बताया कि बिजली के अभाव में मोटर बंद होने से वाटरकूलर में पानी नहीं आता। हॉस्टल के पीछे लगे पुराने हैण्डपम्प से पीने का पानी लाते हैं, लेकिन यह पानी फ्लोराइडयुक्त है, मजबूरी में पीना पड़ता है। वहीं, नहाने-धोने के लिए भी पानी की मारामारी रहती है।

परीक्षा है, इसलिए सहन कर रहे भीषण गर्मी
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मनीष व धर्मराज मीणा ने बताया कि कॉलेज प्रशासन के अधिकारी दिनभर एयरकंडीशनर में बैठे रहते हैं जबकि छात्र भीषण गर्मी से बेहाल है।
परीक्षाएं चल रही है, इसलिए छात्र गर्मी बदार्शत करने को मजबूर हैं। ऐसे हालातों में यहां कोई भी छात्र रुकना नहीं चाहता। यूडीएच मंत्री से लेकर जिला कलक्टर तक के दरवाजे पर दस्तक दे चुके हैं लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।

यहां 60 में से 4 कमरों में डिम लाइट, बाकी में अंधेरा
छात्र गिर्राज कुमार ने बताया कि केईडीएल कर्मचारी जुबली हॉस्टल का कनेक्शन काटने के बाद रघुनाथ हॉस्टल पहुंचे थे और तीन में से दो फेज काट दिए। तीसरा फेज छात्रों के आक्रोश के कारण नहीं काट पाए। ऐसे में रघुनाथ के 60 कमरों में से 4 कमरों में डिम लाइट आ रही है लेकिन बाकि के 56 कमरों में अंधेरा पसरा है। 

फीस वसूल रहे लेकिन बिल जमा नहीं करवा रहे
बीए द्वितीय वर्ष के छात्र शंकरलाल व शिव शंकर ने कहा, हॉस्टल का कनेक्शन कटे आज 30 दिन हो गए लेकिन कॉलेज प्रशासन की हठधर्मिता देखिए, अभी तक बकाया बिल जमा नहीं करवाया। जबकि,   जुबली और रघुनाथ दोनों हॉस्टलों को मिलाकर यहां करीब 125 छात्र रहते हैं और प्रति छात्र से 2200 रुपए सालाना किराया वसूला जाता है। इसके बावजूद 15 माह से कॉलेज प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों ने बिल जमा नहीं करवाया। डेढ़ साल में बिजली का बिल बढ़ते-बढ़ते 22 लाख 40 हजार हो गया, अब बिल जमा करवाने में असमर्थता जता रहे हैं। इनकी लापरवाही का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है।

डर के साए में छत पर गुजरती है रात
बीए प्रथम वर्ष के छात्र अंकित कुमरावत, रवि भुजा के मुताबिक, सरकारी मशीनरी और कॉलेज प्रशासन की बदइंतजामी के बीच छात्र पीस रहे हैं। शाम ढलते ही दोनों हॉस्टलों में अंधेरा पसर जाता है। हॉस्टल के ठीक पीछे जंगल है, ऐसे में रात को छतों पर सोते समय हर पल सांप-बिच्च्छु का डर लगा रहता है। यूडीएच मंत्री से लेकर जिला कलक्टर तक बिजली दिलाने की गुहार लगा चुके लेकिन समाधान नही हुआ।

मोबाइल टॉर्च की रोशनी में बनता है खाना
बीए तृतीय वर्ष के छात्र अभिषेक व श्याम सुंदर भील ने बताया कि करीब एक माह से हॉस्टल में बिजली नहीं है। शाम का खाना मोबाइल टॉर्च की रोशनी में बनता है। रोज-रोज समस्याओं से तंग आकर बाजारों से चार्जेबल टॉर्च खरीदकर लाए हैं, जिन्हें दिनभर नयापुरा स्थित दुकानों पर चार्ज पर लगाते हैं और शाम को वापस टॉर्च लेकर हॉस्टल आते हैं। ऐसे में बार-बार हॉस्टल से नयापुरा तक चक्कर लगाने में पेट्रोल और समय दोनों ही बर्बाद हो रहा है, जिसका असर परीक्षा की तैयारी पर पड़ रहा है।

पेड़ के नीचे कट रही दुपहरी
जुबली हॉस्टल में रहने वाले बुद्धिप्रकाश मीणा व लोकेश कुमार का कहना है, वे आर्टस कॉलेज से एमए फाइनल कर रहे हैं। परीक्षाएं चल रही है। वहीं, शहर का तापमान 43 से 45 डिग्री चल रहा है। दिनभर लू के थपेड़ों और उमस के बीच पेड़ की छांव के नीेचे परीक्षा की तैयारी करनी पड़ रही है। मौसम बदलने से कभी अंधड़ तो कभी बारिश से पढ़ाई में खलल पड़ता है। कमरों में अंधेरा होने के कारण परीक्षा की तैयारी नहीं कर पा रहे। कॉलेज प्रशासन को छात्र हित में ठोस कदम उठाकर समस्या से राहत दिलानी चाहिए। 

रात को स्ट्रीट लाइटों के नीचे हो रही पढ़ाई
बीए तृतीय वर्ष के छात्र आजाद कुमार व गिर्राज मीणा ने कहा, जैसे-तैसे दिन तो सूरज की रोशनी में कट जाता है। लेकिन रात हॉस्टल में काफी डरावनी होती है। रघुनाथ व जुबली दोनों हॉस्टलों के आसपास जंगल है। कई बार सांप, बिच्च्छु सहित कई जहरीले जीव-जंतु हॉस्टल के कमरों तक पहुंच चुके हैं। बिजली के अभाव में जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है। वहीं, रोड लाइटों के नीचे परीक्षा की तैयारी करना मजबूरी हो गई है। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया।

बिल कम करने को तैयार ही नहीं केईडीएल
बिजली कम्पनी केईडीएल के प्रतिनिधियों से मिलें हैं लेकिन वे बिल कम करने को तैयार ही नहीं हैं। ऐसे में जयपुर में उच्चाधिकारियों के समक्ष मामला रखा है। वहीं, यूडीएच मंत्री को भी पत्र लिखा है, ताकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से कुछ बजट मिल जाए।  हालांकि कॉलेज प्राचार्य ब्यॉज फंड से बिल जमा करवाने की स्वीकृति के लिए जयपुर शिक्षा आयुक्त को प्रस्ताव भेज चुके हैं। जहां से स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। बिजली बहाली के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। 
-डॉ. रघुराज सिंह परिहार, सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा

कॉलेज आयुक्त से की अतिरिक्त बजट की मांग
हॉस्टल की बिजली को लेकर मैं स्वयं दो बार केईडीएल के आॅफिस में सीईओ शांतनु भट्टाचार्य से मिला था। लेकिन, उन्होंने 22 लाख 40 हजार में से पैनल्टी और विलंब शुल्क को हटाकर उपभोग की गई बिल राशि 19 लाख 40 हजार रुपए जमा करवाने को कहा, अब भी यह राशि इतनी बड़ी है, जिसे जमा करवाना कॉलेज प्रशासन के बस की नहीं है। इसके बाद आयुक्त कॉलेज शिक्षा निदेशालय जयपुर से  अतिरिक्त बजट की मांग की है।
- संजय भार्गव, राजकीय आर्ट्स महाविद्यालय कोटा

हॉस्टल में लगवाएं मीटर
केईडीएल द्वारा जारी किया गया 22.40 लाख का बिजली बिल हॉस्टल में लगे मीटर की रिडिंग के हिसाब से नहीं है। बल्कि, हॉस्टल से करीब 100 मीटर दूर सूचना केंद्र के बाहर लगे सब मीटर की के हिसाब से है। इस मीटर से बिजली का उपभोग न तो कॉलेज प्रशासन ने किया और न ही हॉस्टल के छात्रों ने। पूर्व में भी कॉलेज प्राचार्य द्वारा पत्र लिखकर इसके बारे में अवगत कराया था। जिसका केईडीएल ने आज तक जवाब नहीं दिया और भारी-भरकम बिल थमा दिया। हम सूचना केंद्र के बाहर लगे मीटर को हॉस्टल या फिर कॉलेज परिसर में लगवाने की मांग कर रहे लेकिन बिजली कंपनी इसके लिए भी राजी नहीं है।
- हरि प्रकाश मीणा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

आगे क्या
कॉलेज शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. परिहार ने बताया कि भविष्य में कॉलेज परिसर में सौलर प्लांट लगाने की प्लानिंग है। सौलर से बनने वाली बिजली से उपभोग की जाने वाली बिजली का बिल आधा हो सके। इससे छात्रों व कॉलेज प्रशासन पर भी ज्यादा भार नहीं पड़ेगा।

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