प्रदेश में पहली बार जयपुर के राजस्थान अस्पताल में जेनिक्यूलर आर्टरी एम्बोलिजेशन
63 वर्षीय महिला को दोनं घुटनों के ऑस्टियो आर्थराइटिस की थी समस्या
जयपुर। प्रदेश में पहली बार जयपुर के राजस्थान अस्पताल में घुटनों के ऑस्टियो आर्थराइटिस के लिए जेनिक्यूलर आर्टरी एम्बोलिजेशन किया। मरीज 63 वर्षीय महिला को दोनों घुटनों के ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या थी।
जयपुर। प्रदेश में पहली बार जयपुर के राजस्थान अस्पताल में घुटनों के ऑस्टियो आर्थराइटिस के लिए जेनिक्यूलर आर्टरी एम्बोलिजेशन किया। मरीज 63 वर्षीय महिला को दोनों घुटनों के ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या थी। उन्हें रोजाना सुबह दोनों घुटने के जोड़ में अकड़न साहनी पड़ रही थी। एक बार में खड़े होने में वे असमर्थ थीं और सहायता के बिना दैनिक दिनचर्या आगे नहीं बढ़ रही थी। आर्थराइटिस वर्गीकरण के अनुसार उनका केस केएल ग्रेड-3 का था, उन्हें दोनों घुटनों का टोटल नी रिप्लेसमेंट करवाने की सलाह दी थी।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी टीम के मुख्य डॉ. रघुनाथ नागवेकर एवं डॉ. मनीष राजपूत ने जेनिक्यूलर आर्टरी एम्बोलिजेशन का विकल्प बताया। डॉ. राजपूत ने बताया कि मरीज ऑपरेशन नहीं चाहती थी। जांच में जब यह देखा की महिला की हड्डी में कोई विकृति नहीं है तब इस क्रिया को योग्य माना गया। डॉ नागवेकर ने कहा कि एम्बोलिजेशन प्रोसीजर में घुटने के सायनोवियम को रक्त पहुंचाने वाली जेनिक्युलर आर्टरी से रक्त पहुंचाना कम कर दिया है। ऐसा करने पर घुटने के जोड़ की सूजन कम हो जाती है, जिससे दर्द में लम्बे समय तक आराम मिलता है। यद्यपि कई सावधानियां रखनी होती हैं, लेकिन नियम से यदि घुटनों की फिजियोथैरपी करें तो मरीज एक अच्छे अरसे तक ऑपरेशन को टाल सकता है। इस मरीज का यह मिनिमल इन्वेसिव प्रोसीजर किया। इसके बाद मरीज दूसरे दिन बिना किसी दर्द के अपने आप चलकर घर गई। अस्पताल के चेयरमैन डॉ. एसएस अग्रवाल ने बताया कि हमारे यहां युवा डॉक्टरों की टीम नवाचार करने में आत्मविश्वास नहीं खोती है। मैनेजमेंट भी अपनी अफॉर्डेबल ट्रीटमेन्ट पॉलिसी के तहत उन्हें प्रोत्साहित करता है।
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