पर्यटकों को आकर्षित करती पहाड़ों पर बनी मठ छतरियां

लोगों ने मठों पर जाने के लिए रास्ता बनाने की मांग ,होंगे शाहाबाद के प्राकृतिक सुंदरता के दर्शन

पर्यटकों को आकर्षित करती पहाड़ों पर बनी मठ छतरियां

शाहाबाद को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं । शाहाबाद कस्बा चार पहाड़ियों से घिरा हुआ है एवं पहाड़ी की गोद में ऐसा होने के कारण यह तपोस्थली भी रही है। इसका प्रमाण इन चारों पहाड़ों पर बने मठ छतरियां हैं। जिन पर कभी साधु सन्यासी लोग अपनी साधना किया करते थे।

शाहाबाद। शाहाबाद को ऐतिहासिक नगरी एवं धार्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है। शाहाबाद को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं तथा देश में वर्तमान में रोड चौड़ीकरण का काम शाहाबाद के दशक में स्थलों तक पहुंचने के लिए रास्ते ठीक किए जा रहे हैं और लगभग 9 करोड रुपए से अधिक राशि रास्ता ठीक करने पर रोड चौड़ीकरण पुल आदि निर्माण पर खर्च की जा रही है। जिसमें शाहाबाद  किले का मरम्मत आदि कार्य कराया जा रहा है। जिससे शाहाबाद में आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है। शाहाबाद को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए क्षेत्र के लोगों द्वारा वर्षों से मांग की जा रही है। शाहाबाद कस्बा चार पहाड़ियों से घिरा हुआ है एवं पहाड़ी  की गोद में ऐसा होने के कारण यह तपोस्थली भी रही है। इसका प्रमाण इन चारों पहाड़ों पर बने मठ छतरियां हैं। जिन पर कभी साधु सन्यासी लोग अपनी साधना किया करते थे।

शाबर मंत्रों में लिया जाता है इन तपस्वीयों का नाम
 शाबर मंत्र जो कि साधु संप्रदाय सन्यासी संप्रदायों से प्रचलित हुए हैं उन मंत्रों में आज भी शाहाबाद में बने मठ पर तपस्या करने वाले साधू सन्यासियों का नाम लिया जाता है। जिसमें अजय पाल महाराज का नाम शाबर मंत्रों में ज्यादा प्रचलित है।

सिर्फ दो पहाड़ियों पर जाने के लिए है रास्ते
वर्ष 2002 में जब अकाल राहत के कार्य चलाए गए थे उस समय धेनु गिरी मठ और दमदार बाबा तक जाने के लिए सरकार द्वारा कच्ची सीढ़ियां बनाई गई जो आज भी बनी हुई है और इन्हीं सीढ़ियों से आज भी लोग इन पहाड़ियों पर जाते हैं और शाहबाद की प्राकृतिक छटा का आनंद लेते हैं। लगभग 800 फीट ऊंचाई पर यह मठ बने हुए हैं शाहाबाद के एवं क्षेत्र के लोगों का आस्था का केंद्र भी है तो कई लोग दीपावली दशहरे होली आदि त्यौहारों पर पूजन करने जाते हैं। क्षेत्र के लोगों में आज भी ऐसी मान्यता है कि इन पहाड़ों पर जाकर किसी भी मंत्र या कोई भी पाठ आदि किया जाता है तो वह बहुत जल्दी सिद्ध होता है और लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है, इसलिए समय-समय पर शाहाबाद कस्बे के लोग इन पहाड़ों पर जाकर पूजन भजन कीर्तन आदि करते हैं।

सीढ़ियां चारों मठों पर बनवाने व रेलिंग लगवाने की मांग
कस्बे के वरिष्ठ नागरिक परमसुख जंगम, भूपेंद्र वैष्णव, रामचरण माली मदनलाल शर्मा, हरिशंकर शर्मा, यशवंत वैष्णव, प्रमोद माली, नेमीचंद माली आदि ने पर्यटन विभाग एवं जिला कलक्टर से मांग की है कि इन चारों छतरियां उर्फ मठ  पर जाने के लिए रास्ते सीढ़ियां बनवाई जाए एवं उन सीढ़ियों के दोनों तरफ एवं बीच में रेलिंग लगाई जाए तथा जो मठ और छतरियां हैं उनकी मरम्मत आदि भी करवाई जानी चाहिए। साथ ही अभी जो लोग रास्ता ठीक नहीं होने के कारण इन जगहों पर नहीं पहुंच पाते। वह पहुंचेंगे। शाहबाद कस्बे में रोजगार के अवसरों की वृद्धि होगी जिससे आमजन को रोजगार मिलेगा और लोगों को शाहबाद ऐतिहासिक नगरी की धार्मिक एवं ऐतिहासिकता का लोग अनुभव कर पाएंगे। हम जिला कलेक्टर से मांग करते हैं कि इन जगहों पर जाने के लिए रास्ते सुगम किए जाएं।

शाहाबाद कस्बे की पहाड़ियों पर छतरियां बनी हुई है। उनकी मरम्मत जाने के लिए रास्ता आदि को ठीक करवाया जाना चाहिए, क्योंकि यहां पहुंचने के बाद लोगों को मानसिक शांति का अनुभव होता है। यहां पहुंचकर लोगों को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- महावीर प्रसाद शर्मा, वरिष्ठ नागरिक, निवासी शाहाबाद
   
दमदार और धान गिरी के मठों पर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है परंतु अभी भी अजय पाल और यशपाल के मठों होता के लिए कोई रास्ता नहीं है इसलिए रास्ते ठीक कराए जाने चाहिए यह है पुरानी तपोस्थली है जिन साधु संन्यासियों ने तपस्या की उसका अनुभव आज भी इन मठों पर पहुंचने के बाद होता है
- रामचरण माली, वरिष्ठ नागरिक, निवासी शाहाबाद

वर्षों से शाहबाद कस्बे के लोगों द्वारा इन मठ तक पहुंचने के लिए रास्ते सीढ़ियां आदि की मांग की जाती रही है। सरकार से मांग करते हैं कि यहां तक पहुंचने के रास्ते सुगम हो। जिससे शाहाबाद को पर्यटन मानचित्र पर लाने का सपना क्षेत्र के लोगों का सफल हो सके।
- रामलखन गुर्जर, निवासी, शाहाबाद

मठों छतरियां पर जाने के लिए रास्ता ठीक नहीं है। वहां पहुंचकर शाहाबाद की प्राकृतिक छटा के दर्शन होते हैं। चारों पहाड़ियों पर मठ मौजूद हैं। उक्त रास्ता वन विभाग के अंतर्गत आता है। पंचायत समिति की तरफ से वन विभाग के अंतर्गत आने से कार्य कराना संभव नहीं है। पर्यटन विभाग द्वारा ही कुछ किया जा सकता है।
- छुट्टनलाल मीणा, विकास अधिकारी, पंचायत समिति शाहाबाद

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