न्यायालय ने भाजपा विधायक चंद्रकांता मेघवाल की गिरफ्तारी पर 16 जून तक लगाई रोक
राजकार्य में बाधा और मारपीट का मामला
राजकार्य में बाधा और मारपीट के 5 साल पुराने मामले में पुलिस द्वारा नोटिस मिलने के बाद पेश की गई अंतरिम जमानत अर्जी पर सोमवार को फिर से सुनवाई करते हुए जिला एवं सेशन न्यायालय ने विधायक चंद्रकांता मेघवाल की गिरफ्तारी पर 16 जून तक रोक लगा दी ।
कोटा। राजकार्य में बाधा और मारपीट के 5 साल पुराने मामले में पुलिस द्वारा नोटिस मिलने के बाद पेश की गई अंतरिम जमानत अर्जी पर सोमवार को फिर से सुनवाई करते हुए जिला एवं सेशन न्यायालय ने विधायक चंद्रकांता मेघवाल की गिरफ्तारी पर 16 जून तक रोक लगा दी । इससे पूर्व न्यायालय ने मेघवाल की अंतरिम जमानत अर्जी पर 13 जून तक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। उसके बाद स्वयं मेघवाल पुलिस थाना महावीर नगर पहुंची और पुलिस द्वारा जारी 41 सीआरपीसी नोटिस का जवाब पेश करते हुए अपने बयान भी दर्ज कराएं । इस दौरान मेघवाल से थाने में पुलिस ने करीब ढाई घंटे तक पूछताछ की। मामले में सोमवार को कोर्ट में विधायक के वकील ने बहस करने के लिए समय मांगा था।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में पुलिस थाना महावीर नगर के सामने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकतार्ओं द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान पुलिस और बीजेपी कार्यकतार्ओं के बीच कहासुनी और झड़पें हुई थी। तभी मेघवाल बीजेपी कार्यकतार्ओं के साथ थाने पहुंची ,जहां पर उनके पति नरेंद्र मेघवाल ने तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर श्रीराम बड़हरा के गाल पर थप्पड़ मार दिया था । इसके बाद पुलिस इंस्पेक्टर ने मामले में विधायक चंद्रकांता मेघवाल और नरेंद्र मेघवाल सहित अन्य भाजपा कार्यकतार्ओं के खिलाफ राज कार्य में बाधा और मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था । इस मामले में दोनों तरफ से 5 मुकदमे दर्ज हुए थे जिसमें पुलिस ने 3 मुकदमों में एफआर लगा दी थी जब के एक मामले में सीआईडी सीबी को जांच दी गई । जांच के दौरान मामले में 9 लोगों को दोषी मानते हुए फाइल महावीर नगर थाने भेज दी गई थी। इस पर पुलिस ने चंद्रकांता मेघवाल को 41 सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी किया था ।
चंद्रकांता ने कहा की हमारी ही सरकार के दौरान हुआ ये मामला है। हमारी सरकार की और से ही कमी रही है। उस दौरान हम सरकार को अपना पक्ष सही तरीके से रख नही पाये। चंद्रकांता मेघवाल ने इस मामले को पूरी तरह से साजिश बताते हुए जांच पर भी सवाल उठाये। इस मामले में सीआईडीसीबी से जांच करने के बाद जुर्म प्रमाणित माना गया है।
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