बागौरी माता का चमत्कार, चोर-डकैत अपनी योजना में रहते हैं विफल
डकैतों ने बागौरी माता की प्रतिमा की गर्दन पर वार किया जिसके बाद से प्रतिमा की गर्दन को पानी की जलहरी में रखा जाता है।
भौनावास ग्राम के पास बागौरी की ढाणी की पहाड़ी में स्थित बागौरी माता का मंदिर करीब 500 साल से अधिक पुराना है। ग्रामीणों के अनुसार बागौरी माता के प्रताप से क्षेत्र में होने वाली अनहोनी की सूचना क्षेत्र वासियों को मिल जाती थी जिससे वे लोग सर्तक हो जाते थे। इस क्षेत्र में डकैतों की योजना विफल रहती थी जिससे डकैतों ने बागौरी माता की प्रतिमा की गर्दन पर वार किया जिसके बाद से प्रतिमा की गर्दन को पानी की जलहरी में रखा जाता है।
प्रागपुरा। भौनावास ग्राम के पास बागौरी की ढाणी की पहाड़ी में स्थित बागौरी माता का मंदिर करीब 500 साल से अधिक पुराना है। ग्रामीणों के अनुसार बागौरी माता के प्रताप से क्षेत्र में होने वाली अनहोनी की सूचना क्षेत्र वासियों को मिल जाती थी जिससे वे लोग सर्तक हो जाते थे। इस क्षेत्र में डकैतों की योजना विफल रहती थी जिससे डकैतों ने बागौरी माता की प्रतिमा की गर्दन पर वार किया जिसके बाद से प्रतिमा की गर्दन को पानी की जलहरी में रखा जाता है। बागौरी नव युवक मंडल अध्यक्ष सतापाल सिंह ने बताया कि बागौरी माता का मदिर करीब 1800 मीटर की ऊंचाई पर था। ग्राम की एक वृद्धा जो माता की सेवक थी।
वह मंदिर की चढ़ाई चढ़ने में परेशान होती थी तो उन्होंने माता से नीचे आने की विनती की। जिस पर माता करीब 100 मीटर नीचे आई, वहां उनका मंदिर बनाया गया। ग्रामजनों के अनुसार राजा आसकरण को माता ने दर्शन देकर यहां होने का सबूत दिया। नवरात्रा में प्रतिवर्ष महाराष्टा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, पंजाब सहित विभिन्न राज्यों के दूरस्थ स्थानों से मंदिर में हजारों भक्त दर्शन व जात जडूले करने आते हैं। अष्टमी को यहां विशाल मेला लगता है। ग्राम के पूर्व सरपंच व भामाशाह विशम्भर दयाल गोयल ने करीब 1000 मीटर तक सड़क व इसके बाद की चढ़ाई को सुगम बनाने
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