6 दिन का कोयला बचा, छत्तीसगढ़ खदान से कोयला मिलने पर अभी भी संशय
उत्पादन इकाइयों में छह से सात दिन का कोयला ही बचा है
प्रदेश में जारी बिजली संकट के बीच उत्पादन इकाइयों में कोयले की किल्लत बरकरार है। करीब आधा दर्जन उत्पादन इकाइयों के ठप रहने के बीच अधिकांश उत्पादन इकाइयों में छह से सात दिन का कोयला ही बचा है।
जयपुर। प्रदेश में जारी बिजली संकट के बीच उत्पादन इकाइयों में कोयले की किल्लत बरकरार है। करीब आधा दर्जन उत्पादन इकाइयों के ठप रहने के बीच अधिकांश उत्पादन इकाइयों में छह से सात दिन का कोयला ही बचा है। छत्तीसगढ़ कोयला खदान से भी कई प्रयासों के बावजूद कोयला हासिल करने की उम्मीदें धुंधली हैं। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की छत्तीसगढ़ से अपने हक का कोयला हासिल करने की चिंता बढ़ती जा रही है। इसके लिए सोशल मीडिया के जरिए ट्वीट वार भी छेड़ रखा है। आरपीयूएनएल कॉल ब्लॉक एकाउंट से छत्तीसगढ़ के नेताओं और स्थानीय विरोध वाले लोगों को राजस्थान की पीड़ा बताई जा रही है। उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा ने यह भी कहा है कि यदि जल्दी ही कोयला खनन शुरू नहीं हुआ तो राजस्थान के लिए आगामी दिनों में बड़ी परेशानी हो सकती है।
छत्तीसगढ़ सीएम से दुबारा बात करने की सिफारिश
ऊर्जा विभाग ने कोयला संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय को सिफारिश की है कि खदान शुरू कराने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल से बातचीत करें। बघेल से पहले भी कई बार बात हो चुकी, लेकिन समाधान नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा सेक्टर में कुछ एनजीओ और स्थानीय आदिवासियों के विरोध के कारण 841 हेक्टेयर भूमि खदान पर अब तक खनन शुरू नहीं हो पाया है। खदान के लिए केन्द्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। अब छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति मिलना बाकी है।
सूरतगढ़, छबड़ा, झालावाड़ और कोटा में पांच इकाइयां ठप, बढ़ेगा बिजली संकट
बिजली संकट के बीच करीब पांच थर्मल उत्पादन इकाइयां ठप पड़ी हैं। सूरतगढ़, छबड़ा, झालावाड़ और कोटा में ये उत्पादन इकाइयां ठप पड़ी हैं। कुल 23 में ठप इकाइयों के अलावा शेष इकाइयों में भी छह से आठ दिन का कोयला ही बचा है। कोयला संकट की वजह से ये उत्पादन इकाइयां भी अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल रही, लिहाजा ऊर्जा विभाग को अन्य राज्यों और निजी सेक्टर से महंगे दामों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है।
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