खेलो इंडिया में जीता सोना, अब ओलंपिक का इन्तजार

कोटा की बेटियों के पंच से बॉक्सिंग में हाड़ौती को मिली अलग पहचान, एक साल तक अब ओलंपिक खेल के लिए करेंगे तैयार

खेलो इंडिया में जीता सोना, अब ओलंपिक का इन्तजार

कोटा के बॉक्सिंग के पंच अब प्रदेश ही नहीं देश विदेश में भी धूम मचा रहे हंै। ग्रामीण परिवेश में पली बड़ी हाड़ौती संभाग के कोटा की बेटियों ने बॉक्सिंग खेल में एक अलग मुकाम हासिल किया है। खेलो इंडिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी कोटा की बेटियों ने अब तक तीन बार पदक जीतकर राजस्थान की एक अलग पहचान दिलाई है।

कोटा। कोटा के बॉक्सिंग के पंच अब प्रदेश ही नहीं देश विदेश में भी धूम मचा रहे हंै। ग्रामीण परिवेश में पली बड़ी हाड़ौती संभाग के कोटा की बेटियों ने बॉक्सिंग खेल में एक अलग मुकाम हासिल किया है। अरुंधति चौधरी  ने विश्व चैंपियनशिप जीतने के बाद से ही कोटा की बॉक्सर बेटियों के हौसलें आसमान छू रहे हैं। खेलो इंडिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी कोटा की बेटियों ने अब तक तीन बार पदक जीतकर राजस्थान की एक अलग पहचान दिलाई है।

इंसान यदि मन में कुछ कर गुजरने की ठान ले तो कोई भी बाधा उसको रोक नही सकती। 8 से 13 जून तक पंचकुला हरियाणा में आयोजित हुए खेलों इंडिया यूथ गेम्स बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक प्राप्त कर कोटा के दाड़ देवी रोड स्थित चरण चौकी गांव के किसान जयनारायण गुर्जर की बेटी ईशा गुर्जर ने यह बात साबित कर दी है। कोटा मुक्केबाजी संघ के महासचिव देवी सिंह ने बताया की ईशा गुर्जर ने 63 किलोभार में खेलते हुए स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। सभी मुकाबलों में ईशा ने एक तरफा जीत हासिल कर अब तक का खेलों इंडिया में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। खेलो इंडिया भारत सरकार के द्वारा चलाया जा रहा है जो खिलाडी पदक प्राप्त करता है।  उस पर सरकार सालाना 5 लाख रुपए खर्च कर बॉक्सिंग फेडरेशन आॅफ इंडिया के माध्यम से 12 महीने कैंप में खिलाड़ी को प्रशिक्षण देकर आॅलम्पिक के लिए तैयार करती है। ईशा की इस उपलब्धि के बाद राजस्थान मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष फतेह सिंह, राजस्थान मुक्केबाजी संघ के सचिव व भारतीय मुक्केबाजी संघ के उपाध्यक्ष नरेन्द्र कुमार निर्वाण व कोटा मुक्केबाजी संघ  के अध्यक्ष सुरेश चौधरी ने बधाई दी और भविष्य में भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई।

खेलों इंडिया में तीन बेटियां दिखा चुकी दम
खेलो इंडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर आॅलम्पिक के लिए खिलाड़ियों का चयन होता है। कोटा की बेटियों में बॉक्सिंग को लेकर खास क्रेज है। कोटा की अरुंधति चौधरी, निशा गुर्जर, ईशा गुर्जर ने खेलो इंडिया में अपना जोहर दिखा कर पदक जीत चुकी है। इस साल के खेलों इंडिया में ईशा ने स्वर्ण पदक जीतकर बॉक्सिंग के के्रज को बरकरार रखा है।

आॅलम्पिक में पदक लाना ही लक्ष्य
खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीतने के बाद ईशा के हौसले बुलंद है। ईशा ने दैनिक नवज्योति को बताया कि उसका एक ही लक्ष्य है आॅलम्पिक में बॉक्सिंग में 63 किलो भार वर्ग में स्वण पदक जीतना है। इसके लिए बॉक्सिंग फेडरेशन आॅफ इंडिया के माध्यम से 12 महीने के प्रशिक्षण शिविर में अपने पूरे दम के और पंच से आॅलम्पिक में जगह बनानी है। ईशा ने बताया कि उसका एक ही सपना है वो  आॅलम्पिक में पदक प्राप्त कर भारत के साथ कोटा व राजस्थान का नाम भी रोशन करें। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए ईशा गांव से नयापुरा स्टेडियम स्थित महाबली स्पोटर््स एकडमी पर कोच अशोक गौतम के सानिध्य में रोजाना 5 घंटे अभ्यास करती है। पिता जयनारायण गुर्जर एक किसान और माता सीमा गुर्जर जो एक गृहणी होते हुए भी ईशा के इस सपने को पूरा  करने के लिए उसका भरपूर सहयोग कर रहे है।

रिंग की सुविधा मिले तो सुधरेगा प्रदर्शन
हाड़ौती में खिलाड़ियों की कमी नहीं हर गली मोहल्ले में प्रतिभावन खिलाड़ी मौजूद है। कमी है तो यहां खेल संसाधनों की हाड़ौती में बेटियों में बॉक्सिंग व विशु को लेकर खास के्रज है लेकिन यहां अभ्यास के लिए बॉक्सिंग रिंग और अभ्यास के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। जिसके चलते खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए अपने स्तर पर संसाधन जुटाने पड़ते है।

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