पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का पावर शो, 62 विधायकों के साथ श्री दरबार साहिब में टेका माथा
पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को 62 विधायकों सहित श्री दरबार साहिब में माथा टेका। इससे पहले उन्होंने अपने निवास पर राज्य के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा बड़ी संख्या में विधायकों के साथ बैठक कर राज्य की राजनीति पर चर्चा की।
अमृतसर। पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को 62 विधायकों सहित श्री दरबार साहिब में माथा टेका। इससे पहले उन्होंने अपने निवास पर राज्य के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा बड़ी संख्या में विधायकों के साथ बैठक कर राज्य की राजनीति पर चर्चा की। दो बसों में आए करीब 62 से अधिक विधायक इस बैठक में शामिल हुए। सुबह सिद्धू की कोठी पर पहुंचे विधायकों में हरमिंदर गिल, सुनील दत्ती, सुरजीत धीमान, राजा वड़िंग, सुखजीत रंधावा, हरजोत कमाल, दविंदर घुबाया, प्रीतम कोटभाई, परमिंदर पिंकी, बरिंदरजीत पहरा, सुखविंदर डैनी, तृप्त राजिंदर बाजवा, अंगद सैनी, शेर सिंह घुबाया, संगत गिलजियां, परगट सिंह आदि शामिल हैं।
बैठक के बाद पंजाब के सहकारिता एवं जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो भी नेता, मंत्री और विधायक पार्टी हाईकमान का आदेश नहीं मानता, तो यह सीधे तौर पर अनुशासनहीनता है। उन्होंने कहा कि यदि कैप्टन अमरिन्दर सिंह माफी मंगवाना चाहते थे तो सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले अपनी बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समक्ष रखते। प्रताप सिंह बाजवा जब प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बने थे, तब वह कैप्टन के साथ थे, लेकिन हाईकमान के फैसले के बाद बाजवा के विरोधी होने के बावजूद हमने अपने क्षेत्र में उनकी रैली करवाई थी। हाईकमान का फैसला सर्वमान्य है। इसके बाद सिद्धू श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने पहुंचे। इस दौरान उनके समर्थन में हजारों लोग जुटे। श्री दरबार साहिब परिसर में दाखिल होते ही सिद्धू और विधायकों ने जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जयकारे लगाए। खास बात यह भी रही कि पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी सिद्धू के साथ नजर आए। यहां से वे श्री दुर्गयाणा मंदिर और श्री वाल्मीकि तीर्थ भी गए, जहां उन्हें मंदिर समिति की ओर से सम्मानित किया गया।
इससे पहले सिद्धू मंगलवार को लगातार चौथे दिन प्रदेश के कांग्रेस मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ मेल-मिलाप की अपनी मुहिम में जुटे रहे। इसका ही असर है कि सोमवार को कैप्टन के आवास पर उन्हें समर्थन देने पहुंचे विधायक राजकुमार वेरका मंगलवार को अमृतसर में सिद्धू के साथ नजर आए। ऐसे में कैप्टन के खेमे में समर्थकों की गिनती घटती नजर आ रही है। प्रदेश के अधिकतर मंत्री और विधायक अब सिद्धू की नियुक्ति पर आलाकमान के फैसले को सही ठहरा रहे हैं। पार्टी के दिग्गज टकसाली नेता अभी भी खामोश हैं। उन्होंने सिद्धू की नियुक्ति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। सिद्धू पूरी पार्टी को अपने पक्ष में एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं तो कैप्टन माफी वाली शर्त पूरी होने तक किसी भी कीमत पर आलाकमान के फैसले को मानने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। कैप्टन के प्रति सिद्धू के रवैये में भी कोई बदलाव नहीं आया है। इससे सिद्धू के पंजाब कांग्रेस में मजबूत होने और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के कमजोर पड़ने का संकेत मिलता है।
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