संसद में लगातार तीसरे दिन विपक्ष का हंगामा, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित

संसद में लगातार तीसरे दिन विपक्ष का हंगामा, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित

राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने कृषि कानूनों, पेगासस जासूसी मामला और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने सहित विभिन्न मुद्दों पर गुरुवार को राज्यसभा में जोरदार हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही 2 बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई, जिससे कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका।

नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने कृषि कानूनों, पेगासस जासूसी मामला और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने सहित विभिन्न मुद्दों पर गुरुवार को राज्यसभा में जोरदार हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही 2 बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई, जिससे कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका। इससे पहले भी विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही 12 बजे और फिर 2 बजे तक स्थगित की गई थी। संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ था। विपक्ष के हंगामे के कारण अब तक राज्यसभा में कोरोना की स्थिति पर चर्चा को छोड़कर कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका है।

भोजनावकाश के बाद जैसे ही 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो उपसभापति हरिवंश ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम पेगासस मामले पर वक्तव्य देने के लिए पुकारा। इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट आ गए। उपसभापति हरिवंश ने सदस्यों से अपनी जगह पर लौटने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि सदस्य जिस मुद्दे पर बात करना चाहते हैं उस पर वक्तव्य क्यों नहीं होने देते। इस बीच श्री वैष्णव ने वक्तव्य पढ़ने की कोशिश की तो एक सदस्य ने उनके हाथ से पेपर छीनने की कोशिश की। विपक्ष का विरोध इतना तेज था कि वह अपनी बात नहीं रख सके और उन्होंने अपना वक्तव्य सदन के पटल पर रख दिया। विपक्षी सदस्य आसन के निकट भी कागज फाड़कर उछाल रहे थे और नारेबाजी कर रहे थे। इस बीच उपसभापति ने सदन में अव्यवस्था का माहौल देख कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

 

लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित
किसानों के मुद्दों, कथित फोन टैपिंग के आरोपों तथा अन्य विषयों पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने लगातार तीसरे दिन लोकसभा में हंगामा किया, जिसके कारण 3 बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। तीन बार के स्थगन के बाद 4 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन के बीचों-बीच आ गए। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर उनकी मांगों के नारे लिखे हुए थे। पीठासीन सभापति भर्तृहरि महताब ने सदस्यों से उनकी सीट पर वापस जाने और सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि आप सब सदन के जिम्मेदारी सदस्य हैं। आप अपनी सीटों पर जाइए। मुझे बताया गया है कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। जब उनकी अपील का सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विपक्षी दलों के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से शांति बनाये रखने की अपील की और प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू की। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शोर-शराबे के बीच ही श्रीशैलम जलाशय से विद्युत उत्पादन और ओडिशा राज्य में पेयजल आपूर्ति से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर दिया। इस बीच विपक्ष के कुछ सदस्य हाथों में तख्तियाँ लिए सदन के बीचो-बीच आ गये। बिरला ने उनसे शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन विपक्षी सदस्यों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद पीठासीन भर्तृहरि महताब ने कहा कि सदस्य जिस किसी भी विषय पर चर्चा करना चाहते हैं, उसे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में रखें और उसके माध्यम से उक्त विषय पर चर्चा हो जाएगी। हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही दोपहर बाद 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इसके बाद दोपहर 2 बजे कार्यवाही शुरू होते ही एक बार फिर विपक्षी दलों के सदस्य सदन के बीचों-बीच आकर नारेबाजी करने लगे। वे सरकार पर लगे फोन टैपिंग के जरिए जासूसी कराने के आरोपों, महंगाई, किसानों से जुड़े मसलों तथा अन्य मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहे थे। पीठासीन भर्तृहरि मेहताब ने सदस्यों से अपनी-अपनी सीट पर जाने का आग्रह किया, लेकिन सदस्य नहीं माने और हंगामा जारी रखा। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अपराह्न 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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