बिजली संकट में किसानों को झेलनी पड़ेगी कटौती की मार

थर्मल इकाइयों को पर्याप्त स्टॉक नहीं मिला

बिजली संकट में किसानों को झेलनी पड़ेगी कटौती की मार

कोयले की कमी से जारी बिजली संकट का फिलहाल समाधान नजर नहीं आ रहा। मानसून से कोयला संकट की चिंताएं और बढ़ गई हैं। कोयला खदानों में पानी भरने से कोयला सप्लाई में बाधा बढ़ेगी।

जयपुर। कोयले की कमी से जारी बिजली संकट का फिलहाल समाधान नजर नहीं आ रहा। मानसून से कोयला संकट की चिंताएं और बढ़ गई हैं। कोयला खदानों में पानी भरने से कोयला सप्लाई में बाधा बढ़ेगी। राजस्थान की थर्मल इकाइयों को पर्याप्त स्टॉक नहीं मिला, तो ग्रामीण उपभोक्ताओं और किसानों को कटौती की मार ज्यादा झेलनी पड़ेगी। फिलहाल बिजली संकट में सभी श्रेणी उपभोक्ताओं से कटौती जारी है। मानसून की बारिश से बिजली का लोड कम होगा, तो उपभोक्ताओं को पावरकट का कम सामना करना पड़ेगा, लेकिन कोयला सप्लाई के हालातों से संकट खत्म होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। छत्तीसगढ़ कोयला खदान विवाद के चलते पहले ही स्टॉक मिलने में परेशानी बनी हुई है। छत्तीसगढ़ सरकार से अभी सहमति नहीं बनी हैं। यदि सहमति बन भी जाती है, लेकिन खदानों में बारिश का पानी भर गया तो कोयला सप्लाई पाना मुश्किल हो जाएगा।

ग्रामीण-किसानों पर ज्यादा असर
प्रदेश में 14 हजार मेगावाट डिमांड बनी हुई है। बाजार से महंगी बिजली खरीद इसे पूरा भी किया जा रहा है। तेज गर्मी में अधिक डिमांड रहती है, लेकिन बारिश के चलते घरेलू उपभोक्ताओं का लोड कम हो जाता है। थर्मल इकाइयों में कोयला संकट बना रहा, तो डिमांड पूरी करना चुनौती भरा काम होगा।

अभी मिल रहा 21 रैक कोयला
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम में 23 विद्युत उत्पादन इकाइयों की 7580 मेगावाट उत्पादन क्षमता है। नियमानुसार इन इकाइयों में 20 से 26 दिन का कोयला स्टॉक रहना जरूरी है। छत्तीसगढ़ खदान विवाद के बाद अभी इकाइयों के पास महज चार से पांच दिन का कोयला स्टॉक ही बचा है। वर्तमान में कोल इंडिया और अन्य माध्यमों से राजस्थान को 20 से 21 रैक कोयला रोजाना मिल रहा है। मौजूदा हालातों में यह कोयला पर्याप्त है, लेकिन रबी सीजन में डिमांड बढ़ने पर संकट और कटौती का दौर बरकरार रहेगा।

Post Comment

Comment List

Latest News