शताब्दी के साक्षी रहे भवन बदहाली के शिकार

जुबली व रघुनाथ हॉस्टल का मामला : 100 साल पुराने जर्जर छात्रावास में रह रहे 160 से ज्यादा विद्यार्थी, कमरों के प्लास्टर उखड़े, बिजली के पैनल क्षतिग्रस्त, सुविधा घरों की हालत बदतर

शताब्दी के साक्षी रहे भवन बदहाली के शिकार

कोटा गवर्नमेंट कॉलेज के 100 साल पुराने जुबली व रघुनाथ हॉस्टल बदहाली का शिकार हो रहे हैं। आलम यह है, कमरों का पलास्टर उखड़े पड़े तो सुविधा घर की फर्शी बैठ गई, टाइलें जगह-जगह से उखड़ी पड़ी हैं। बिजली के पैनल क्षतिग्रस्त व हॉल के दरवाजे टूटे पड़े हैं। इतना ही नहीं, हॉस्टल के पीछे गंदगी का ढेर लगा हुआ है।

कोटा। कोटा गवर्नमेंट कॉलेज के 100 साल पुराने जुबली व रघुनाथ हॉस्टल बदहाली का शिकार हो रहे हैं। आलम यह है, कमरों का पलास्टर उखड़े पड़े तो सुविधा घर की फर्शी बैठ गई, टाइलें जगह-जगह से उखड़ी पड़ी हैं। बिजली के पैनल क्षतिग्रस्त व हॉल के दरवाजे टूटे पड़े हैं। इतना ही नहीं, हॉस्टल के पीछे गंदगी का ढेर लगा हुआ है। साफ-सफाई नहीं होने से छात्रावास के आसपास बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी गई। जिनमें सांप, बिच्छु, गोयरा सहित अन्य जहरीले जीव-जंतु पनप रहे हैं। विड़ंबना यह है कि करीब एक माह से इन हॉस्टल में बिजली तक नहीं है। जबकि, 160 छात्र यहां रहते हैं। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही का दंश झेल रहे छात्र इन दिनों दोहरी मार झेल रहे हैं। बिजली के अभाव में गर्मी से परेशान, बरसात में सीलन और रात के अंधेरे में जहरीले जीव-जंतुओं के खतरे के बीच रहने को मजबूर हैं। दोपहर को पेड़ के नीचे तो रात को रोड लाइटोें के उजाले में परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

सुविधाघर में उखड़ी पड़ी टाइलें
बीए तृतीय वर्ष के छात्र गिर्राज मीणा ने बताया कि वे तीन साल से रघुनाथ हॉस्टल में रह रहे हैं। यहां सुविधाघर के हालत बद से बदतर हो रहे हैं। जगह-जगह से टाइलें उखड़ी पड़ी और दरवाजे टूटे हुए हैं। कॉलेज प्रशासन से मरम्मत करवाने का आग्रह किया था लेकिन सुनवाई नहीं हुई। गत माह पहले वार्डन को भी समस्या से रूबरू करवाया था फिर भी समाधान नहीं हुआ। हॉस्टल की सफाई भी छात्र आपस में पैसे इक्कठा कर करवाते हैं।

हॉस्टल में आया बारहसिंगा
जुबली हॉस्टल के पीछे जंगल है। जहां वन्यजीवों की मौजूदगी है।17जून को सुबह बारह सिंगा हॉस्टल परिसर में आ गया। भोजन की तलाश में अन्य वन्यजीव कमरों में घुस जाते हैं। वहीं, कई बार सांप-गोयरा भी आ चुके हैं। बरसात के दिनों में जहरीले जीव जंतुओं की समस्या अधिक हो जाती है। छात्रों ने वार्डन से दोनों छात्रावासों के आसपास उग रहे बंबूल के पेड़ों व झाड़ियों की कटाई करवाकर सफाई करवाने की मांग की थी, आश्वासन मिला लेकिन समाधान आज तक नहीं हुआ।

12 साल से नहीं हुई हॉस्टलों की मरम्मत
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हरिप्रकाश मीणा के अनुसार गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज के ऐतिहासिक जुबली और रघुनाथ हॉस्टलों की मरम्मत वर्ष 2010 में हुई थी। उस समय 67 लाख का बजट पास हुआ था। जिससे दरवाजे, खिड़की, इंटरलॉकिंग, छत पर जाने के लिए रैलिंग सहित अन्य कार्य हुए थे। इसके बाद करीब 12 साल से दोनों छात्रावास में कोई कार्य नहीं हुआ। जबकि, मरम्मत के अभाव में दोनों हॉस्टल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गए। यहां रहने वाला छात्र हर दिन कई तरह की परेशानियों से गुजर रहा है। कॉलेज प्रशासन को मरम्मत पर ध्यान देना चाहिए।

हॉस्टल के पीछे जंगल, सांप-बिच्छू का खतरा
एमए फाइनल के छात्र मानसिंह योगी व आजाद कुमार ने बताया कि साफ-सफाई के अभाव में हॉस्टल के पीछे खाली जगह पर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई। बरसात के दिनों में यहां सांप-बिच्छू सहित जंगली जानवरों का खतरा रहता है। कमरों में कई बार सांप आ चुके हैं। कमरों की दीवारों के पलास्टर उखड़े पड़े हैं। शिकायत के बावजूद कॉलेज प्रशासन मरम्मत नहीं करवाता। जबकि, छात्रावास में रहने वाला प्रत्येक छात्र साल के 2200 रुपए कॉलेज में जमा करवाते हैं। इसके बावजूद सुविधाएं नहीं है।

जुबली हॉस्टल के पीछे गंदगी का ढेर
एमए तृतीय वर्ष के छात्र बुद्धिप्रकाश मीणा ने बताया कि हॉस्टल के पीछे गंदगी का ढेर लगा हुआ है।  गत दो दिन हुई बरसात से हॉस्टल परिसर में कीचड़ फैल गया। इंटरलॉकिंग नहीं होने से आने-जाने में दिक्कत हो रही है। हॉस्टल में एक माह से बिजली नहीं है। अंधेरे में ही खाना बन रहा है। रात को वन्यजीवों व जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा रहता है। छात्रावास के आसपास बरसाती पानी भरा हुआ है, जिनमें मच्छर पनप रहे हैं। ऐसे में बीमारियों का भी डर लगा रहता है। अव्यवस्थाओं के चलते छात्र परीक्षा की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं।

बिजली के पैनल व तार भी टूटे
छात्र रवि भुजा, अभिषेक, श्याम सुंदर भील के मुताबिक दोनों हॉस्टलों में बिजली के पैनल बॉक्स लगे हुए हैं, जो लंबे समय से क्षतिग्रस्त हैं। इनमें तार भी टूट हुए हैं। कॉलेज प्रशासन की ओर से इनका रखरखाव भी नहीं करवाया जाता। कुछ महीनों पहले ही रघुनाथ हॉस्टल में स्पार्किंग होने से तार जल गए थे और बिजली गुल हो गई थी। छात्रों ने अपने स्तर पर ही बिजली कर्मचारी को बुलाकर तार सही करवाए थे।

शौचालय के दरवाजे-टाइलें क्षतिग्रस्त
बीए प्रथम वर्ष के छात्र लोकेश मीणा व अंकित कुमावत ने बताया कि शौचालयों के दरवाजे नीचे से पूरी तरह टूट गए। वहीं, टाइलें भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई।  कई बार पैरों में टाइल्स के टुकड़े चुभने से छात्र जख्मी हो चुके हैं। कॉलेज प्रशासन फीस पूरी लेता है तो सुविधाएं भी उपलब्ध करवानी चाहिए। एक माह से ज्यादा समय बीत गया अभी तक बिजली बहाल नहीं हुई। परीक्षाएं चल रहीं हैं इसलिए रुके हुए हैं, ऐसी स्थिति में कोई भी यहां रुकना नहीं चाहता।

पिछले साल ही जुबली हॉस्टल की मरम्मत के लिए करीब तीन लाख रुपए का बजट जारी हुआ था। पीडब्ल्यूडी द्वारा टाइलों की रिपेयरिंग, सुविधाघर के दरवाजे सहित अन्य कार्य करवाएं गए थे।
मनोज वर्मा, जुबली हॉस्टल वार्डन

 बजट के लिए हमने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यूआईटी सचिव को करीब दस-पंद्रह दिन पहले ही पत्र भेजा था। दोनों हॉस्टल की इमारतें ऐतिहासिक हैं। यदि यूआईटी के माध्यम से हॉस्टल की मरम्मत कार्य हो जाए तो बहुत अच्छा होगा, क्योंकि पहले भी कार्य इन्हीं के जरिए हुआ था।  हमारे पास जैसे ही बजट आएगा, तुरंत मरम्मत कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
संजय भार्गव, प्राचार्य गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज

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