स्मार्ट दशहरा मैदान हुआ दुर्दशा का शिकार

कोरोना के दो साल में मेला नहीं भरने से देखभाल का रहा अभाव

स्मार्ट दशहरा मैदान हुआ दुर्दशा का शिकार

दशहरा मैदान में वाहनों का इतना अधिक अम्बार है कि वह दो साल से नगर निगम का गैराज बना हुआ है। कोरोना काल के दौरान दशहरा मेला नहीं भरने से मैदान की देखभाल भी नहीं हुई। जिससे यह स्मार्ट मैदान दुर्दशा का शिकार हो रहा है।

कोटा। दशहरा मैदान में वाहनों का इतना अधिक अम्बार है कि वह दो साल से नगर निगम का गैराज बना हुआ है। कोरोना काल के दौरान दशहरा मेला नहीं भरने से मैदान की देखभाल भी नहीं हुई। जिससे यह स्मार्ट मैदान दुर्दशा का शिकार हो रहा है। इस बार दशहरा मेला भरने पर वाहनों को यहां से हटाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।  दशहरा मैदान में मुख्य द्वार के बांयी तरफ से लेकर झूला मार्केट तक, फूड कोर्ट से लेकर विजयश्री रंगमंच के सामने तक और श्रीराम रंगमंच के दोनों तरफ निगम के वाहन ही वाहन खड़े हुए हैं। यहां तक कि मैदान में किशोरपुरा ईदगाह की तरफ बनी पार्किंग में टिपरों का अम्बार लगा हुआ है। मैदान में चारों तरफ जहां देखो वहां निगम के सफाई संसाधन,नए और पुराने वाहन, कंडम वाहन और कचरा पात्रों का ढेर लगा हुआ नजर आ रहा है। जिस तरह के हालात मैदान में उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि यह दशहरा मैदान है। वरन् नगर निगम का गैराज अधिक लगता है।

मलबे का ढेर, मृत मवेशी
दशहरा मैदान में तुलसी माता मंंदिर कीे तरफ इतना अधिक मलबा पड़ा हुआ है कि वहां काफी ऊंचा ढेर लगा हुआ है। जबकि मैदान में कोई काम नहीं हुआ है। न जाने कहां का मलबा वहां लाकर पटका हुआ है। इतना ही नहीं उस मलब के पास मृत जानवर तक पड़े हुए हैं। जिससे वहां दुर्गंध फेल रही है। उसे देखने वाला वहां कोई नहीं है। पूरा मैदान सडांध मार रहा है। इसके अलावा मैदान के चारों तरफ कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। जिससे उस मैदान की सूरत ही बिगड़ रही है। अतिक्रमण करने वालों ने मैदान की चार दीवारी की रैलिंग पर कपड़े डाले हुए हैं। जिससे मैदान की दुर्दशा बयां हो रही है।

न्यास के विकास कार्यों की प्रदर्शनी
दशहरा मैदान कहने को तो नगर निगम का है। लेकिन हालत यह है कि उस मैदान के श्रीराम रंगमंच के चारों तरफ दीवार पर बने खांचों में स्मार्ट सिटी व नगर विकास न्यास द्वारा करवाए गए शहर के विकास कार्यों की प्रदर्शनी लगी हुई है। हर खांसे में विकास कार्यों को लगाया हुआ है। उसे देखकर लगता है कि सारी उपलब्धी न्यास की है नगर निगम का शहर के विकास में कोई योगदान ही नहीं है।

फायर बाक्स खाली, लाइटें टूटी
दशहरा मैदान में फायर उपकरण तो लगे हुए हैं। लेकिन उन फायर उपकरणों का उपयोग करने के लिए बने बॉक्स खाली हैं। उनमें रखे पाइप ही नहीं है। इमरजेंसी में आग लगने पर उन फायर उपकरणों के होने के बाद भी उनका उपयोग नहीं किया जा सकता।  इतना ही नहीं श्रीराम रंगमंच के चारों तरफ लगी लाइटें टूटी हुई हैं। जिससे उनका उपयोग भी नहीं हो रहा है।

टूट फूट हुई अधिक
दशहरा मैदान में हर साल मेला भरने से पहले उसकी देखभाल होती रहती थी। जिससे वह सही बना हुआ था। लेकिन एक तो कोरोना काल के दो साल में मेला नहीं भरने से मैदान की देखभाल पर किसी का ध्यान ही नहीं गया। साथ ही निगम के भारी भरकम वाहनों को खड़ा करने व रोजाना वाहनों का आना-जाना लगा रहने से वहां काफी टूटफूट हो गई है। जिससे स्मार्ट मैदान दुर्दशा का शिकार हो गया है। मैदान में मार्केट के बीच बड़े वाहनों को जाने से रोकने के लिए लगे छोटे पिलर टूटे पड़े हैं। सीमेंट के कचरा पात्र टूट रहे हैं। ट्रीगार्ड टूटकर जगह-जगह पर बिखरे पड़े हैं। श्रीराम रंगमंच के सिक्योरिटी गार्ड के कक्ष का शीशा टूटा हुआ है। दुकानों की टाइल्स टूटकर बिखरी हुई हैं। कई जगह से फर्श उखड़ चुका है। विजयश्री रंगमंच के सामने के मैदान की नालियों के ढकान टूटे हुए हैं। नालियां जाम हो रही हैं। यहां तक कि मैदान में नहीं केबल डालने के लिए उसे बीच-बीच में से कई जगह पर खोदकर पटका हुआ है। पूरे मैदान की स्थिति बयां कर रही है कि इसकी देखभाल ही नहीं हुई है।

दो साल के बाद इस बार दशहरा मेले का आयोजन होगा। वह भी भवयता के साथ। कोरोना के दो साल तक मेला नहीं भरने से हो सकता है मैदान में कोई टूटफूट हो गई होगी। उसे दिखवाकर शीघ्र ही ठीक करवा दिया जाऐगा। साथ ही निगम के वाहनों मेंसे कंडव वाहनों को तो नीलामी प्रक्रिया के तहत निस्तारण किया जाएगा। शेष को गैराज में ही एरजेस्ट किया जाएगा।
-राजपाल सिंह, आयुक्त , नगर निगम कोटा दक्षिण

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