शहर में होने लगी साइटिंग- ब्लैक आईबीज और कैटल इग्रेट का बढ़ा कुनबा

दो हजार स्थानीय पक्षियों ने बनाया आशियाना, डीसीएम रोड, कंसुआ, प्रेम नगर रेलवे लाइन के किनारे बनाई पक्षियों ने अपनी कॉलोनी

शहर में होने लगी साइटिंग- ब्लैक आईबीज और कैटल इग्रेट का बढ़ा कुनबा

शहर में इन दिनों स्थानीय पक्षियों की साइटिंग नजर आने लगी है। साथ ही इनकी संख्याओं में भी इजाफा हुआ है। इनमें ब्लैक हैडेड आईबीज (व्हाइट आईबीज ) पक्षी की साइटिंग अच्छी संख्या में हो रही है।

कोटा। शहर में इन दिनों स्थानीय पक्षियों की साइटिंग नजर आने लगी है। साथ ही इनकी संख्याओं में भी इजाफा हुआ है। इनमें ब्लैक हैडेड आईबीज (व्हाइट आईबीज ) पक्षी की साइटिंग अच्छी संख्या में हो रही है। इनकी आंख का रंग सफेद होने से इसे व्हाइट आईबीज भी कहते हैं। ये पक्षी आकार में बड़े होते हैं, कीट, पतंगे के साथ सांप, कैछुए सहित अन्य जीव को भोजन बनाते हैं। डीसीएम रोड पर रेलवे लाइन के पास पेड़ों व कंसुआ-प्रेमनगर स्थित बबूलों के पेड़ों पर ब्लैक हैडेड आईबीज, केटल ईग्रेट, मिडन ईग्रेट, लिटिल ईग्रेट व लार्ज इग्रेट प्रजातियों के अन्य पक्षियों की बस्ती आबाद हो रही है। ये पक्षी किसान हितेषी होते हैं। ये फसलों को बिलकुल भी नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि कीट, पतंगें, चूहों, सांपों व अन्य कीड़ों से फसलों की रक्षा करते हैं।

इन इलाकों में हैं दो हजार घौंसले
नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि शहर के कुछ इलाके इन पक्षियों को रास आए हैं, जहां इनकी बस्ती आबाद हो रही है। इन क्षेत्रों में डीसीएम रोड रोड स्थित जेके फैक्टी का आवासीय एरिया, कंसुआ-प्रेमनगर स्थित नाले से शिव मंदिर के बीच लगभग डेढ़ किमी का क्षेत्र इनकी नेस्टिंग साइड बनी हुई हैं। यहां पेड़ों पर 2 हजार पक्षियों ने आशियानें बनाए हैं। जिनमें ब्लैक हैडेड आईबीज के 3 दर्जन घौंसले हैं। जबकि, 1 हजार 900 से ज्यादा घौंसले केटल ईग्रेट, मिडन ईग्रेट, लिटिल ईग्रेट व लार्ज इग्रेट सहित अन्य प्रजातियों के पक्षियों के हैं।

मई से अगस्त तक रहता है प्रजनन  काल
जैदी के अनुसार मई से अगस्त तक का समय इन पक्षियों का प्रजन्न काल होता है। इनमें से कुछ पक्षी बारिश से पहते तो कुछ बारिश के बाद प्रजन्न करते हैं। मादा ब्लैक आईबीज एक बार में 3-4 तो ईग्रेट प्रजाति की सभी मादा पक्षी 4-5 अंडे देती हैं। फिलहाल ये अंडे दे चुके हैं, जल्द ही अंडों से करीब दो हजार चूजे बाहर निकलेंगे और दो माह तक इन इलाकों में चेचहाट बनी रहेगी। इन पक्षियों की मासूमियत व सुंदरता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। 

किसान मित्र कहलाते हैं ये पक्षी
पक्षी प्रेमी रिंकेश अग्रवाल के मुताबिक ब्लैक आईबीज व ईग्रेट प्रजाति के सभी पक्षी किसान मित्र कहलाते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट, पतंगें, चूहें, सांप, टिड्डी, छिपकली सहित अन्य जीव को अपना भोजन बनाकर अन्नदाता की मेहनत को महफूज रखते हैं। खेतों में इनकी मौजूदगी देख किसानों के चेहरों पर खुशी झलकी है। स्थानीय किसान रामभरोस मीणा कहते हैं, ये पक्षी फसलों की रखवाली करते हैं, इनके होने से हम कई तरह की चिंताओं से मुक्त रहते हैं।

मानवीय दखल के कारण बदले आशियाने
जैदी ने बताया कि ये पक्षी शांत प्रवृति के होते हैं, जहां मानवीय दखल बढ़ता है वहां से अपना आशियाना बदल लेते हैं। पिछले 20 सालों में करीब एक दर्जन से ज्यादा बार घर बदल चुके हैं। वर्ष 2008 से 2016 तक इनका बसेरा पुराना आरटीओ स्थित जंगली एरिया में हुआ करता था। इसके बाद डीसीएम रोड स्थित विज्ञान केंद्र, आबकारी चौकी व महिला आईटीआई के एक किमी के दायरे में स्थित पेड़ों पर इनकी बस्ती थी। समय के साथ यहां निर्माण कार्य शुरू हुए, जिससे इंसानी दखल बड़ा और ये बेजुबान अपने आशियाना बदलने को मजबूर हो गए। वर्तमान में रेलवे ब्रिज, जेके फैक्ट्री का आवासीय एरिया, कंसुआ-प्रेमनगर स्थित नाले से शिव मंदिर के बीच का डेढ़ किमी का क्षेत्र में इनकी बस्ती है। पक्षियों का कुनबा बढ़ने से पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर है।

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