अजमेर में 5 हजार करोड़ का निवेश खतरे में
सतगुरु ग्रुप 1055 करोड़ के एमओयू पर पुनर्विचार करने को मजबूर
नगर निगम के अफसर पर लगाया परेशान करने का आरोप
अजमेर। अजमेर के विकास से जुड़ा सतगुरु इंटरनेशनल ग्रुप नगर निगम के एक अफसर से परेशान होकर इन्वेस्ट राजस्थान के तहत अजमेर में 1055 करोड़ के हुए एमओयू पर अमल को लेकर पुनर्विचार करने के साथ ही अजमेर में अपना कारोबार सीमित करने की कवायद में जुट गया है। इसके मूल में सावित्री स्कूल के सामने मैसर्स दीपमाला इन्फ्राएस्टेट एंड टाउंस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से बन रही सात मंजिला इमारत को लेकर उपजा विवाद है।
सतगुरु ग्रुप के वाइस प्रेसीडेंट राजा डी. थारवानी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस प्रोजेक्ट को आकार देने में आ रही बाधाओं के लिए नगर निगम के एक अफसर को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि यह अफसर फर्म को बेवजह परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा इस वजह से इन्वेस्ट राजस्थान के तहत अजमेर में होने वाला 5 हजार करोड़ रुपए का निवेश प्रभावित होगा। यही नहीं, कुछ लोगों की नकारात्मक सोच और फर्म को परेशान करने की नीयत के चलते उपजे इस विवाद के कारण ही इस ग्रुप के साथ एसोसिएटेड अन्य विदेशी निवेशक भी लगभग 4 हजार करोड़ के निवेश की योजनाओं को निरस्त करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। साथ ही ग्रुप की ओर से किए गए 1055 करोड़ रुपए के एमओयू के भी निरस्त होने की संभावनाएं प्रबल हो चली हैं।
थारवानी ने बताया कि मैसर्स दीपमाला इन्फ्राएस्टेट एंड टाउंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सावित्री स्कूल के सामने सात मंजिला इमारत का निर्माण किया जा रहा है। जिस जमीन पर यह इमारत बन रही है, निगम ने इसके सौ साल पुराने रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट एवं रजिस्टर्ड लीज डीड, वर्ष 1930 के नक्शे, वर्ष 1962 के म्यूटेशन को देखते हुए वर्ष 2018 में दीपमाला के नाम नामांतरण कर दिया था। निगम ने खुद माना कि स्वामित्व फर्म का है। इसके बाद 19 नवम्बर 2020 को नगर निगम ने इसका मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का नक्शा स्वीकृत किया। अब तक 4 बार निगम की टीम निर्माणाधीन इमारत का मौका निरीक्षण कर चुकी है। निरीक्षण कर, नापचौक करने के बाद इस आदेश की कॉपी दीपमाला केविजय मंगलानी को दी है कि मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुरूप किया जा रहा है और निर्माण में किसी तरह नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। निगम उपायुक्त सीता वर्मा ने गत 14 जून को जिला कलक्टर को रिपोर्ट दी है कि बिल्डिंग नियमानुसार और स्वीकृत नक्शे के अनुरूप बन रही है। वह खुद संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर को सभी दस्तावेज दिखा चुके हैं। उन्होंने भी माना है कि निर्माण नियमानुसार किया जा रहा है।
खसरे पर खामख्वाह विवाद
थारवानी ने बताया, जिस खसरा नम्बर को सरकारी बताकर हंगामा किया जा रहा है कि यह जमीन राजस्व रिकॉर्ड में नगर निगम के नाम दर्ज है, उनकी इमारत उस खसरे पर नहीं बन रही है। हंगामा करने वालों को इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी सम्पत्ति का स्वामित्व रजिस्टर्ड दस्तावेजों से देखा जाता है। उनके पास इस निर्माणाधीन इमारत की भूमि से जुड़े सभी दस्तावेज हैं। उनमें सौ वर्षों से ज्यादा के रजिस्टर्ड विक्रय पत्र, कब्जा पत्र, वर्ष 1921 मेंं तत्कालीन जिला कलक्टर द्वारा भूखंड विक्रय करने की दी गई एनओसी, हरविलास शारदा के नाम का नामांतरण, वर्ष 1923 का लेफ्टीनेंट विलियम ग्रांट का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र, वर्ष 1930, 1935 और 1942 का विक्रय पत्र, पिछले 40 सालों से अधिक वर्षों की हाउस टैक्स की रसीदें, वर्ष 2017 में हुआ दीपमाला इन्फ्राएस्टेट एंड टाउंस प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र, वर्ष 2018 का विधिसम्मत नियमानुसार हुआ नामांतरण तथा वर्ष 2020 में स्वीकृत नक्शा शामिल है। उन्होंने बताया, वे किसी भी सम्पत्ति को खरीदने से पहले उसके दस्तावेजों की जांच एक्सपर्ट्स से करवाते हैं और उनकी रिपोर्ट के बाद ही किसी भी सम्पत्ति को खरीदने का निर्णय लिया जाता है।
मुख्यमंत्री ने दिया था निवेश का न्यौता
थारवानी ने बताया सतगुरु इंटरनेशनल ग्रुप का कारोबार 75 देशों में फैला हुआ है। इसीलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन मंत्रियों को दुबई भेज था। जिन्होंने ग्रुप के पदाधिकारियों से राजस्थान में निवेश करने का आग्रह किया था। मंत्रियों ने यह भरोसा भी दिलाया था कि राजस्थान में निवेश करने पर उन्हें किसी तरह की परेशानी की सामना नहीं करना पडेÞगा। लेकिन अजमेर में ग्रुप को परेशान किया जा रहा है।
अजमेर में कराया विकास
ग्रुप ने अजमेर मेंं बड़ा निवेश कर रखा है। अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने में सतग्रुरु ग्रुप ने डेढ़ दशक में बड़ा योगदान दिया है। ग्रुप ने शहर में दो होटल, तीन मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, तीन विला, कॉमर्शियल आॅफिस, सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल, सतगुरु लिटिल स्टार्स बनाए। शहर के एक हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया है। दो चैरिटेबल ट्रस्ट हैं। जिनके जरिए पिछले नौ साल से ब्लड डोनेशन कैम्प, मेडिकल कैम्प, नि:शुल्क ट्रीटमेंट, फिजियोथैरेपी, आश्रम में दान, स्टेशनरी, बैंच, शव वाहन, सब स्टोरेज डीप फ्रीजर, कोविड-19 के दौरान मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट का वितरण, सीएम फंड में कॉन्ट्रीब्यूशन सहित अन्य काम हुए।
खुद तीन बार देकर आ चुके हैं सभी दस्तावेजों की प्रति
नगर निगम में निर्माणाधीन इमारत की फाइल गायब होने के सवाल पर राजा डी. थारवानी ने कहा कि उन्हें इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है। वह खुद तीन बार सभी दस्तावेजों की फोटो कॉपी नगर निगम के अधिकारियों को देकर आ चुके हैं। निगम इसकी जांच करे कि फाइल वहां से कैसे गायब हो गई।
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