अलर्ट: हो न जाए शावकों को जन्म देने की प्रक्रिया प्रभावित

आखिर कब आएगा सुल्तान जब चिड़िया चुग जाएगी खेत, प्रीबेस बढ़ाने के लिए घना से लाए 184 चीतल

अलर्ट: हो न जाए शावकों को जन्म देने की प्रक्रिया प्रभावित

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की सल्तनत ढाई साल से अपने सुल्तान का इंतजार कर रही है। सुल्तान की गैरमौजूदगी में आमा घाटी की रानी टाइग्रेस एमटी-4 ने जंगल की बागडोर अपने हाथों में ले ली है। विशेषज्ञों के अनुसार लगातार नर बाघ से दूर रहने के कारण टाइग्रेस की फर्र्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। लम्बे समय से टाइग्रेस अकेली है।

कोटा। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की सल्तनत ढाई साल से अपने सुल्तान का इंतजार कर रही है।  सुल्तान की गैरमौजूदगी में आमा घाटी की रानी टाइग्रेस एमटी-4 ने जंगल की बागडोर अपने हाथों में ले ली है। विशेषज्ञों के अनुसार  लगातार नर बाघ से दूर रहने के कारण टाइग्रेस की फर्र्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। लम्बे समय से टाइग्रेस अकेली है। अकेले रहने से तनाव बढ़ रहा है। उग्रता हावी होने पर वह नर बाघ को स्वीकार करेगी अथवा नहीं यह भी बड़ा सवाल है।  बाधिन की प्रजन्न क्षमता पर विपरीत असर पड़ने से साल में एक बार होने वाली मदचक्र (एस्ट्रस सायकल) व्यर्थ जाने से गर्भ धारण पर  विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका बन रही है।  दरअसल, 23 जुलाई 2020 को बाघ एमटी-3 की मौत के बाद से जंगल की सरकार बिना राजा के चल रही है। हालांकि, वन विभाग द्वारा मुकुंदरा में टाइगर लाने के प्रयास जारी हैं। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। यहां प्री-बेस बढ़ाने के लिए हाल ही में घना नेशनल पार्क से 184 चीतल लाए गए हैं। साथ जोधपुर के माचिया व उयदपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से 64 प्री-बेस लाए जाएंगे, जिसके आदेश जारी हो चुके हैं। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के मुताबिक अभी प्री-मानसून चल रहा है। परिस्थितियां अनुकूल होते ही प्रीबेस मुकुंदरा में शिफ्ट किए जाएंगे।

जंगल में 14 तो चिड़ियाघर में 18 साल रहती टाइगर की उम्र
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के सहायक वन संरक्षक आरएस भंडारी के अनुसार जंगल में बाघ की अधितम उम्र 13 से 14 साल रहती है, जबकि चिड़ियाघर में 18 से 20 वर्ष रहती है। जंगल में उन्हें कई तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ता है। वहीं, चिड़ियाघरों में वे लगातार निगरानी में रहते हैं। मौसम के हिसाब से उनकी डाइट में बदलाव किया जाता है।    

रणथम्भौर से मुकुंदरा आएंगे बाघ, प्रक्रिया जारी
मुकुंदरा में बाघ लाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। विभाग ने इसके लिए जरूरी तैयारियां भी पूरी कर ली है।
अधिकारियों के मुताबिक परिस्थतियां अनुकूल होने पर संबंधित अधिकारियों के बीच सामंजस्य स्थापित कर जल्द ही बाघों को मुकुंदरा में शिफ्ट करने की कवायद शुरू की जाएगी।

एमटी-3 ने खुद किया अपनी सल्तनत का फैसला
टाइगर एमटी-3 की कहानी दूसरों से बिलकुल अलग है। मुकुंदरा में बसने का चुनाव खुद टी- 98 ने किया। यह बाघ रणथम्भौर से निकलकर सुल्तानपुर के रास्ते मुकुंदरा पहुंचा था। एनक्लोजर के बाहर भी बाघ के हलचल की आहट मिली तो टाइगर वॉच टीम ने एनक्लोजर के बाहर कैमरे लगा बाघ को ट्रैक व मॉनीटरिंग करना शुरू किया। आखिरकार 10 फरवरी 2019 को एनक्लोजर के बाहर लगे कैमरा ट्रैप में उसकी फोटो कैद हो गई। यह टाइगर मुकुंदरा और रणथम्भौर के बीच प्राकृतिक बाघ गलियारे से होते हुए कई दिन सुल्तानपुर के जंगलों में रुका। इसके बाद अपने आप यहां पहुंचा। बाद में उसे मुकुन्दरा के तीसरे बाघ के रूप में स्वीकार करते हुए एमटी-3 नाम दिया गया।

मुकुंदरा में कब कौन कहां से आया
मुकुंदरा का पहला राजा मुकुन्दराज उर्फ एमटी-1
आज से पांच साल पहले मुकुंदरा की वादियों में बाघ-बाघिनों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था।  वर्षों के इंतजार के बाद 3 अप्रेल 2018 को मुकुंदरा को पहला बाघ टी-91 के रूप में मिला। निर्धारित तारीख को वन विभाग की एक टीम ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में टी-91 को ट्रेंकुलाइज किया और गले में रेडियो कॉलर लगाकर दरा के एनक्लोजर में छोड़ दिया। बाघ को मुकुंदरा आने पर मुकुन्दराज नाम मिला, जिसे बाद में एमटी-1 के नाम से जाना गया। फिलहाल वर्तमान में बाघ लापता है।

यूं हुई रानी टाइग्रेस एमटी-2 की एंट्री
रणथम्भौर की चार बाघिनों टी-102, टी-104, टी-105 और टी-106 को मुकुंदरा के लिए चिन्हित किया गया था। ये वो बाघिनें थी जो अपना नया क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रही थीं या रणथम्भौर से निकलने की कगार पर थीं।  जिनमें से टी-106 को पुनर्वास के लिए चुना गया और 18 दिसम्बर 2018 को ट्रेंकुलाइज कर मुकुंदरा लाया गया, जहां इसका नाम एमटी-2 रखा गया। 

रणथम्भौर की आमा घाटी से आई थी टाइग्रेस एमटी-4
एमटी-3 के बाद मुकुन्दरा को एक और बाघिन टी-83, 12 अप्रेल 2019  को मिली। इसे रणथम्भौर के आमा घाटी से लाकर मुकुंदरा के एनक्लोजर में छोड़ा गया था, जिसे बाद में एमटी-4 के नाम से जाना गया।

एक्सपर्ट व्यू
प्रजन्न क्षमता व गर्भ धारण पर विपरीत असर
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-4 करीब तीन साल से अकेली है। ऐसे में प्रतिरोधी या साथी न होने से उसके स्वभाव में बदलाव आएगा, जिससे उसका व्यवहार उग्र होगा। वहीं, बाधिन की प्रजन्न क्षमता पर विपरीत असर पड़ सकता है। साल में एक बार होने वाली मदचक्र (एस्ट्रस सायकल) व्यर्थ जाने से गर्भ धारण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना बनी रहेगी।
- कृष्नेंद्र सिंह नामा, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट व रिसर्च सुपरवाइजर

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में रणथम्भौर से बाघ लाए जाएंगे, इसकी प्रक्रिया जारी है। मौसम के मध्यनजर परिस्थितियां अनुकूल होने पर संबंधित अधिकारियों में सामांजस्य बिठाकर इसकी कवायद तेज की जाएगी।
- आरएस भंडारी, सहायक वन संरक्षक मुकुंदरा टाइगर रिजर्व

Post Comment

Comment List

Latest News

इराक में 11 आईएस आतंकवादियों को दी फांसी, अभी भी बड़े पैमाने पर छिपे  इराक में 11 आईएस आतंकवादियों को दी फांसी, अभी भी बड़े पैमाने पर छिपे 
सूत्रों ने कहा कि इराकी न्याय मंत्रालय की एक टीम ने इराकी राष्ट्रपति के अनुसमर्थन सहित सभी कानूनी प्रक्रियाओं को...
ब्राजील में टक्कर के बाद वाहन में लगी आग, 4 लोगों की मौत
2nd Phase वाले लोकसभा क्षेत्रों में अब तक दो लाख 21 हजार से अधिक कार्मिक कर चुके हैं मतदान
तेलंगाना में बस से टकराई अनियंत्रित बाइक, 10 लोगों की मौत
प्रदूषण नियंत्रण जांच केंद्रों को लेकर परिवहन विभाग हुआ सख्त
अमिताभ बच्चन को मिला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार
ऑफिस में घुस महिला कर्मचारी से लूट ले गए 15 लाख रुपए