रहने के लिए लिया था घर, बाजार ही बना दिया

सरकार को आर्थिक नुकसान : आवासीय कॉलोनियां बनी व्यावसायिक, लोगों की शांति में पड़ रहा खलल

रहने के लिए लिया था घर, बाजार ही बना दिया

बारां रोड पुलिस लाइन स्थित बजरंग नगर भी आवासीय कॉलोनी है। लेकिन वहां हालत यह है कि मेन रोड के अधिकतर मकानों में दुकानें बन चुकी हैं। उन दुकानों के बीच में मकानों के गेट दबकर रह गए हैं। पूरी कॉलोनी एक तरह से व्यवसायिक बन चुकी है। ये तो उदाहरण मात्र हैं शहर की उस समस्या को बताने के लिए जो वर्तमान में नजर आ रही है। इस तरह के हालात शहर के सभी क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं।

कोटा । बारां रोड पुलिस लाइन स्थित बजरंग नगर भी आवासीय कॉलोनी है। लेकिन वहां हालत यह है कि मेन रोड के अधिकतर मकानों में दुकानें बन चुकी हैं। उन दुकानों के बीच में मकानों के गेट दबकर रह गए हैं। पूरी कॉलोनी एक तरह से व्यवसायिक बन चुकी है। नयापुरा व खेड़ली फाटक क्षेत्र में भी अधिकतर मकानों में दुकानें बनी होने से व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। दादाबाड़ी छोटे चौराहे से बसंत विहार रोड पर राजस्थान आवासन मंडल ने कॉलोनी काटकर मकान बनाए थे। ये मकान लोगों को रहने के लिए दिए थे । लेकिन वर्तमान में वहां हालत यह है कि मकान तो नजर नहीं आ रहे। जबकि हर मकान में दुकाने बन चुकी है। जिससे वहां की मेन रोड इतनी अधिक व्यस्त रहने लगी है कि लगता ही नहीं यह कॉलोनी है वरन् व्यवसायिक जगह अधिक लगने लगी है।  राजस्थान आवासन मंडल ने टीचर्स कॉलोनी में भी आवासीय कॉलोनी विकसित की थी। जिसमें लोगों को रहने के लिए मकान दिए। कुछ समय तक तो वहां मकान दिखे। लेकिन वर्तमान में वहा अधिकतर मकानों में दुकानें बन चुकी है। जिससे टीचर्स कॉलोनी आवासीय से अधिक व्यवसायिक नजर आने लगी है।

 ये तो उदाहरण मात्र हैं शहर की उस समस्या को बताने के लिए जो वर्तमान में नजर आ रही है। इस तरह के हालात शहर के सभी क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। फिर चाहे वह भीमगंजमंडी का क्षेत्र हो या खेड़ली फाटक का। नयापुरा का क्षेत्र हो या तलवंडी जवाहर नगर का। दादाबाड़ी से महावीर नगर , विज्ञान नगर, तक शहर का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां आवासीय कॉलोनियां व्यवसायिक नहीं बनी हो। राजस्थान आवासन मंडल व नगर विकास न्यास ने लोगों को रहने के लिए मकान दिए थे। लेकिन लोगों ने उन मकानों को दुकानों में तब्दील कर दिया। ऐसा एक दो दिन या एक दो साल में नहीं हुआ है। वरन् धीरे-धीरे एक को देखकर दूसरे ने और दूसरे से तीसरे ने ऐसा किया  तो यह संख्या  लगातार बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार शहर में करीब 40 फीसदी मकान ऐसे हैं जिनमें दुकानें चल रही हैं। इससे उन कॉलोनियों में लोगों की आवाजाही अधिक होने लगी है। वाहनों की संखया बढ़ी है। शोर-शराबा व अन्य गतिविधियां बढ़ी हैं। जिससे उन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की शांति में तो खलल पड़ ही रहा है। साथ ही सरकार को भी राजस्व नहीं मिलने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। शहर में बरसों से ऐसा होने के बाद भी न तो जिला प्रशासन और न ही संबंधित नगर निगम, नगर विकास न्यास और हाउसिंग बोर्ड तक ने किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई की। जिससे यह संख्या बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि वर्तमान में हर कॉलोनी में हर तरह की दुकान मिल जाएगी। जिसमें किराने से लेकर कपड़े की दुकान तक,मिठाई से लेकर रेस्टोरेंट तक मिल जाएंगे। जबकि कई साल पहले तक लोगों को अलग-अलग सामान खरीदने के लिए अलग-अलग बाजारों में जाना पड़ता था। अब हर घर के नीचे दुकान होने से वहीं सभी चीजें मिल रही हैं।

घर सिकुड़े, दुकानें हुई बड़ी
लोगों ने अपने छोटे-छोटे मकानों को और भी सिकोड़ लिया है। पहले जहां प्रवेश का मुख्य द्वार चौड़ा होता था। उसे कम करके एक तरफ कर लिया। दूसरी तरफ जगह निकालकर दुकान बना लीे। किसी ने उसे किराए पर दे दिया तो कोई खुद ही दुकान चलाने लगा। इससे लोगों को तो आय होने लगी जबकि सरकार को राजस्व का नुकसान हो गया। साथ ही उन क्षेत्रों में देर रात तक दुकानें खुलने से लोगों की परेशानी भी बढ़ी है।
 
कच्ची व अवैध बस्तियों तक में दुकानें
हालत यह है कि आवासीय कॉलोनियों में ही नहीं कच्ची व अवैध बस्तियों तक में हर मकान में दुकानें बनी हुई हैं। रावतभाटा रोड का नयागांव हो या महावीर नगर की संतोषी नगर बस्ती। बरड़ा बस्ती हो या अनंतपुरा कच्ची बस्ती। सभी जगह पर इसी तरह के हालात हैं।

बिना भू उपयोग परिवर्तन हो रहा संचालन
आवासीय कॉलोनियों में मकान का उपयोग सिर्फ रहने के लिए किया जा सकता है। यदि उसमें दुकान या अन्य व्यवसायिक गतिविधि का संचालन किया जाना है तो उसके लिए भू उपयोग परिवर्तन करवाना आवश्यक है। जिसके लिए निगम व न्यास में निर्धारित शुल्क जमा होता है। साथ ही नल-बिजली के कनेक् शन का शुल्क भी आवासीय की जगह व्यवसायिक जो कि आवासीय से अधिक है वसूल किया जाता है। लेकिन शहर में अधिकतर मकानों में बिना भू उपयोग परिवर्तन के ही दुकानों व व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। जिससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।  जानकारी के अनुसार जिन मकानों में बैंक किराए पर संचालित हो रहे हैं। उन मकानों का भू उपयोग परिवर्तन हुआ होगा। बैंक बिना व्यवसायिक जगह पर संचालित नहीं होते हैं।

लोगों की पीड़ा
बजरंग नगर निवासी संजय साहू ने बताया कि वे दस साल पहले जब वहां आए थे। उस समय मकान ही मकान नजर आते थे। दुकानों के नाम पर एक दो ही थी। सामान लेने के लिए नयापुरा जाना पड़ता था। लेकिन अब घर से बाहर निकलते ही मकान कम दुकानें अधिक नजर आने लगी है। घर के पास ही हर सामान मिलने लगा है। लेकिन देर रात तक दुकानें खुली होने से शोर शराब होता है। जिससे घर के बुजुर्गों की नींद और बच्चों की पढ़ाई तक बाधित होने लगी है। सरस्वती कॉलोनी निवासी नवीन अग्रवाल का कहना है कि वे 12 साल पहले जब वहां आए थे। उस समय वहां गिनती की दुकानें थी। अब वहां मकान कम और दुकानें अधिक दिखने लगी हैं। उन्होंने अपने पिता की बीमारी को देखते हुए शांत जगह पर मकान लिया था। लेकिन अब वहां शोर अधिक रहने से पिता को परेशानी होने लगी है।

व्यावसायिक जगहों पर भू उपयोग परिवर्तन की जरूरत नहीं
जानकारी के अनुसार व्यवसायिक स्थानों पर दुकान व अन्य गतिविधि संचालित करने पर उसके भू उपयोग परिवर्तन करवाने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह से गुमानपुरा व शॉपिंग सेंटर क्षेत्र  व्यवसायिक हैं। वहां मकान बनाकर रहने वालों को भी व्यवसायिक शुल्क ही देना पड़ रहा है।

उपयोग के हिसाब से कर रहे टैक्स वसूल
आवासीय कालोनियां व मकान सिर्फ रहने के लिए हैं। उनमें व्यवसायिक गतिविधि संचालित करना गलत है। इसके लिए भू उपयोग परिवर्तन करवाना आवश्यक है। नगर निगम तो व्यवसायिक जगह का 900 वर्ग फीट पर और आवासीय में 27 सौ वर्गफीट जगह पर नगरीय विकास कर वसूल करता है। लेकिन नए सर्वे के अनुसार जगह के उपयोग के हिसाब से नगरीय कर वसूल किया जा रहा है।
- विजय अग्निहोत्री, राजस्व अधिकारी, नगर निगम कोटा दक्षिण

किसी को भी व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने का अधिकार नहीं
मकान तो रहने के लिए हैं। कुछ लोगों के द्वारा उन मकानों में व्यवसायिक गतिविधि संचालित कर अन्य लोगों की शांति खराब  करने व सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है। निगम ने कुछ समय पहले एक मकान में व्यवसायिक गतिविधि संचालित होने पर उसे सीज भी किया था।
- राजपाल सिंह, आयुक्त , नगमर निगम कोटा दक्षिण

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