अशुद्ध को शुद्ध करने की प्रक्रिया होती है संस्कार : शास्त्री

विद्वानों ने छात्र-छात्राओं को संस्कृति और संस्कार के मायने बताए

अशुद्ध को शुद्ध करने की प्रक्रिया होती है संस्कार : शास्त्री

अकादमी संकुल में आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत कला एवं संस्कृति विभाग, संस्कृत अकादमी, राजस्थान ललित कला अकादमी, सिंधी अकादमी एवं करुणा संस्थान के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित किए जा रहे 3 दिवसीय संस्कार-संस्कृति शिविर के दूसरे दिन कई जाने-माने विद्वानों ने छात्र-छात्राओं को संस्कृति और संस्कार के मायने बताए।

जयपुर। अकादमी संकुल में आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत कला एवं संस्कृति विभाग, संस्कृत अकादमी, राजस्थान ललित कला अकादमी, सिंधी अकादमी एवं करुणा संस्थान के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित किए जा रहे 3 दिवसीय संस्कार-संस्कृति शिविर के दूसरे दिन कई जाने-माने विद्वानों ने छात्र-छात्राओं को संस्कृति और संस्कार के मायने बताए। इस मौके पर गीता और जीवन प्रबन्धन पर कृष्णपाद दास प्रभु, नैतिक मूल्य एवं चरित्र विषय पर शास्त्री कोसलेन्द्र दास और आर्ट ऑफ लिविंग विषय पर एसपी पालीवाल ने विचार-विमर्श किया।

अशुद्ध पदार्थ को शुद्ध करने की प्रक्रिया को संस्कार कहते है : शास्त्री
संस्कृत विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य शास्त्री कोसलेन्द्र दास ने संस्कार को पनिरभाषित करते हुए कहा कि किसी भी अशुद्ध पदार्थ को शुद्ध करने की प्रक्रिया को संस्कार कहते है, जो परिष्कृत किया जा चुका है वो संस्कृत है जिसने संस्कृत समझ ली समझो परिष्कृत हो गया। व्यक्ति को हमेशा काग जैसे चेष्टा, बगुले जैसा ध्यान, श्वान जैसी निद्रा रखने के साथ ही अल्पाहारी भी होना चाहिए।

मोबाइल ने ले लिया महामारी का रूप : कृष्णपाद दास
अक्षय पात्र फाउन्डेशन के स्वामी कृष्णपाद दास प्रभु ने गीता और जीवन प्रबन्धन विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि जीवन के सही प्रबन्धन के लिए मन को नियंत्रित करना जरूरी है। जीवन में आप अच्छा चुने, अच्छा सुने और अच्छा देखें। उन्होंने मोबाइल संस्कृति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मोबाइल की प्रवृत्ति ने महामारी का रूप ले लिया और इसकी वजह से लोगों की अकाल मृत्यु तक हो रही है और ये सभी व्यक्ति की अनियन्त्रित प्रकृति की वजह से हो रहा है।

शब्द ध्वनि तरंग नहीं शक्ति है : पालीवाल
एसपी पालीवाल ने जीवन जीने की कला विषय पर काव्यात्मक अंदाज में व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि शब्द मात्र ध्वनि अथवा तरंग नहीं है शब्द शक्ति है और अभिव्यक्ति का माध्यम हैं। उन्होंने कहा सोच बदले, तो जीवन भी बदल जाता है, जैसा हमने बनाया है वैसा ही हमारा स्वास्थ्य रहता है। इस मौके पर उन्होंने कई प्रेरक कविताओं के जरिए बच्चों को जीवने जीने की कला समझाई। इस मौके पर राजस्थान संस्कृत अकादमी के निदेशक संजय झाला ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन करूणा संस्थान की संयोजक डॉ. दीक्षिता पापड़ीवाल ने किया।

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