तिलहन-दहलन में अधिक आमदनी, केवीके पर हों नए स्टार्ट अप : डॉ. सिंह
एमपीयूएटी में केवीके की वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला
उदयपुर। तिलहन-दलहन फसलों की खेती से अधिक आमदनी प्राप्त की जा सकती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि नए कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को स्टार्टअप से जोड़ा जाए। यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपामहानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. एके सिंह ने कही। अवसर था, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, जॉन-ए वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का। एमपीयूएटी के प्रसार शिक्षा निदेशालय में हुई इस कार्यशाला में राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
उदयपुर। तिलहन-दलहन फसलों की खेती से अधिक आमदनी प्राप्त की जा सकती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि नए कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को स्टार्टअप से जोड़ा जाए। यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपामहानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. एके सिंह ने कही। अवसर था, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, जॉन-ए वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का। एमपीयूएटी के प्रसार शिक्षा निदेशालय में हुई इस कार्यशाला में राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
डॉ. सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्राकृतिक कृषि के मॉडल विकसित किए जाएं एवं कृषि में ड्रोन तकनीकी का समुचित उपयोग किया जाए। वर्तमान में 100 कृषि विज्ञान केंद्रों को ड्रोन उपलब्ध करवाए गए हैं। किसान उत्पादक संघ (एफपीओ) का और अधिक गठन किया जाएगा। विशिष्ट अतिथि व चौधरी चरणसिंह कृषि विवि के कुलपति डॉ. बीआर कम्बोज ने बताया कि विगत वर्ष में कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा एक लाख से अधिक कृषक, कृषक महिलाओं एवं युवओं को प्रशिक्षित किया गया। अध्यक्षता करते एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. एनएस राठौड़ ने विजन की व्याख्या करते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र अपने जिले में किसानों के बीच अपनी पहचान बनाएं, केंद्र पर आधार संरचना विकसित करें, निरंतर किसानों को सेवाएं प्रदान करें, कृषि में और अधिक नवाचार अपनायें जिससे किसानों का सर्वांगीण विकास हो सके।
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