जर्जर हॉस्टलों में रेजीडेंट डॉक्टरों की जान खतरे में, 25 साल से नहीं हुई मरम्मत

गंदगी और कचरे के बीच रेजीडेंट डॉक्टरों के तीन हॉस्टल ,छत के उखड़े प्लास्टर, बिजली पैनल क्षतिग्रस्त, स्पार्किंग व शॉर्ट सर्किट से करंट का खतरा, तीन हॉस्टलों में रहते हैं 300 से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर

जर्जर हॉस्टलों में रेजीडेंट डॉक्टरों की जान खतरे में, 25 साल से नहीं हुई मरम्मत

संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल में मरीजों का की स्वच्छता और सफाई से रहने का पाठ पढ़ाने वाले रेजीडेंट डॉक्टर स्वयं गंदगी और जर्जर हॉस्टल में निवास करने को मजबूर है। 25 साल पुराने हो चुके तीन हॉस्टल रख रखाव के अभाव में बदहाल हो रहे है। हॉस्टल के आसपास सफाई नहीं होने से चहुंओर गंदगी फैली है। जहां ये हॉस्टल बने हुए है वहां चहुंओर गंदगी और बॉयोवेस्ट जमा होता है।

कोटा। संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल में मरीजों का की स्वच्छता और सफाई से रहने का पाठ पढ़ाने वाले रेजीडेंट डॉक्टर स्वयं  गंदगी और जर्जर हॉस्टल में निवास करने को मजबूर है। 25 साल पुराने हो चुके तीन हॉस्टल रख रखाव के अभाव में बदहाल हो रहे है। हॉस्टल के आसपास सफाई नहीं होने से चहुंओर गंदगी फैली है।  जहां ये हॉस्टल बने हुए है वहां चहुंओर गंदगी और बॉयोवेस्ट जमा होता है। ऐसे में लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टरों जान संक्रमण के खतरे में कट रही है।  स्वच्छता ही स्वस्थ जिंदगी है रेजीडेंट डॉक्टरों पर लागू होती नजर नहीं आ रही है। कारण कि  वे खुद गंदगी और संक्रमण के बीच जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। चोरों तरफ कूडे-कचरे और बॉयोवेस्ट का ढेर, बिजली के उखड़े पैनल से आए दिन होती स्पार्किंग, बारिश में टपकती छतें और सीलनभरी दीवारों में उतरता करंट का खतरा, जहरीले जीव-जंतुओं से जान बचाने की जद्दोजहद रेजीडेंट डॉक्टर रोज करने को मजबूर है।

एमबीएस अस्पताल परिसर बने तीन हॉस्टलों में 250 से 300 रेजीडेंट रहते हैं, जो जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही का दंश हर रोज झेलने को मजबूर हैं। अस्पतालों में 12 से 18 घंटे काम करने के बाद घर पहुंचने पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव भावी डॉक्टरों को एनजाईटी डिसआॅर्डर की ओर धकेल रहा है। दरअसल, लंबे समय से पीजी-1, पीजी-2 और पीजी-3 हॉस्टलों की मरम्मत नहीं करवाई गई। साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं हैं और 10 बिजली पोल लगे होने के बावजूद एक भी लाइट नहीं जलती। शाम ढलते ही हॉस्टल परिसर अंधेरे की आगोश में समा जामा है।

सड़क से ही शुरू समस्या
नयापुरा स्थित सैनिक भर्ती कार्यालय के ठीक सामने से कच्चा रास्ता रेजीडेंट हॉस्टल की ओर जाता है। करीब 300 मीटर के इस दायरे में पक्की सड़क का नामोनिशान तक नहीं है। हाल ही में हुई बारिश से पूरा मार्ग उबड़-खाबड़ हो गया। जगह-जगह गहरे गडढे और कीचड़ फैला हुआ है। चार पहिया वाहन निकलना तो दूर बाइक भी मुश्किल से निकल पाती है। हालात यह हैं, इस मार्ग पर करीब 12 से 15 बिजली के खंभे लगे हैं, लेकिन बिजली 2 पर ही जलती है। रात को इमरजेंसी में हॉस्टल से बाहर जाना पड़े तो रेजीडेंटों के हाथ-पैर फूल जाते हंै। अंधेरे के कारण गड्ढे दिखाई नहीं देते और वाहन फंसने पर कोई मदद भी नहीं मिल पाती।

बाल-बाल बची जान
पीजी-2 हॉस्टल में रह रही छात्रा ने बताया कि घटना 6 दिन पुरानी है। हॉस्पिटल जाने की तैयारी कर रही थी, कमरे का दरवाजा खोलने से एनवक्त पहले जोरदार धमाके की आवाज आई। तुरंत बाहर निकलकर देखा तो फर्श पर बरामदे में प्लास्टर का बड़ा टुकड़ा बिखरा पड़ा था। एक मिनट की देरी के चलते जान बच गई। हमने इसकी शिकायत वार्डन व प्रिंसिपल से भी की है। वहीं, पीजी-3 के बरामदे में जगह-जगह प्लास्टर उखड़े पड़े हैं।

सुअरों व श्वान का आतंक
हॉस्टल परिसर में दिनरात लावारिस मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी श्वान और सुअरों की है। भोजन की तलाश में यह कमरों तक पहुंच जाते हैं। वहीं, रात में हॉस्टल आने-जाने के दौरान काटने को दौड़ते हैं। पूर्व में कई रेजिडेंट डॉग बाइट का शिकार हो चुके हैं।

हॉस्टल परिसर में 11 बिजली खंभे, लाइट एक में भी नहीं
रेजीडेंट हॉस्टल परिसर में करीब 11 बिजली के खंभे लगे हैं, लेकिन बल्ब एक में भी चालू नहीं है। शाम ढलते ही पूरे परिसर में अंधेरा छा जाता है। परिसर से लेकर कमरों के पीछे तक बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हैं। जिनमें बरसाती पानी जमा होने से खतरनाक बीमारियों के लार्वा पनप रहे हैं। वहीं जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी बनी हुई है। लंबे समय से न तो झाड़ियों की कटाई हुई और नहीं सफाई। हालात यह है, बारिश के दिनों में यहां घुटनों तक पानी भरा रहता है। ऐसे में ड्यूटी पर जाने के लिए अस्पताल से एम्बुलेंस बुलानी पड़ती है।

दीवारों में सीलन, करंट का खतरा
नाम न छापने की शर्त पर पीजी कर रहे रेजीडेंट ने बताया कि हॉस्टल की छतें जर्जर हो चुकी हैं। बारिश में कमरों की छतें टपकती हैं। दीवारों में सीलिंग रहती है। बिजली पैनल कबूतरों का घौंसला बना हुआ है। तार लूज हो चुके हैं। वहीं दीवारों में अंडरग्राउड हो रही वायरिंग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है, जिससे बरसात में करंट का खतरा रहता है। वहीं, बरामदे की छतों के पलास्टर के बड़े-बड़े टुकड़े आए दिन गिरते रहते हैं। पूर्व में पीजी-2 में सीलिंग के चलते दीवारों में करंट आने की घटना हो चुकी है।

6 महीने में 3 बाइक हो चुकी चोरी
पीजी-3 के रेजीडेंट डॉ. गौरव शर्मा ने बताया कि हॉस्टल परिसर में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। पिछले 6 माह में 3 रेजिडेंटों की बाइक चोरी हो चुकी है, इनमें एक बाइक मेरी भी थी। वहीं, कुछ कारों की बैटियां भी चोर चुरा ले गए। हालांकि पीजी-1 में ही सुरक्षा गार्ड तैनात है, जबकि पीजी-1 व पीजी-2 हॉस्टल में एक भी सिक्योरिटी गॉर्ड नहीं है। रोड लाइटें बंद रहने से अंधेरा रहता है, कौन कब आया और कब गया, किसी को कोई खबर तक नहीं होती। अस्पताल प्रशासन को कई बार शिकायत की लेकिन  समस्या का अभी तक समाधान नहीं हुआ।

3 एयरकंडीशनर मशीन हो गई चोरी
रेजिडेंट हॉस्टल परिसर में वैक्सीन भंडार संचालित है। सूत्रों के अनुसार इस कैम्पस में सुरक्षा गार्ड की कोई व्यवस्था नहीं होने से स्मैकची व चोर फायदा उठा रहे हैं। गत अप्रैल माह में वैक्सीन भंडार के बाहर लगी 3 एयरकंडीशनर मशीन चोर चुरा ले गए। जिसकी नयापुरा थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई है। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा सिक्योरिटी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। वहीं, सुरक्षा गार्ड नहीं होने से यहां आने जाने वालों पर नजर भी नहीं रखी जा सकती। हालांकि यह वैक्सीन भंडार सीएमएचओ के अधीन आती है।

तरसना पड़ता है पानी के लिए
रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. रामाकांत बिस्सा ने बताया कि हॉस्टल में बिजली के बाद पानी की सबसे बड़ी समस्या है। यहां नल कनेक्शन नहीं है, बोरिंग से पानी आता है, जो बिजली पर निर्भर है। वायरिंग क्षतिग्रस्त होने से स्पार्किंग व शॉर्ट सर्किट की समस्या रहती है। नतीजन, बिजली बंद होते ही पानी की सप्लाई भी ठप हो जाती है। पीजी-1 व पीजी-2 की छतों पर मात्र दो ही पानी की टंकी है, जिसे भी चालू नहीं करवाया गया। जबकि अन्य टंकियां टूट चुकी है। वहीं, रेजीडेंटों की संख्या के अनुपात में तीनों हॉस्टलों में कमरों की संख्या भी कम है।

9 हजार बिजली किराया, फिर भी बत्ती गुल 
रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुमेर सिंह ने बताया कि हॉस्टल में कमरा किराया के अलावा बिजली के 9 हजार रुपए अलग से सालाना देते हैं। इसके बावजूद आए दिन शॉर्ट सर्किट से बिजली गुल रहती है। कमरों के बाहर लगे बिजली पैनल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें अक्सर स्पार्किंग होती है। तार जलने से पैनल के बोर्ड ही काले पड़ गए। इतना ही नहीं, पीजी-1 से पीजी-3 तक तीनों हॉस्टलों में 25 साल पुरानी वायरिंग है, जो जगह-जगह कट चुकी है, फाल्ट ढूंढने में ही बिजली कर्मचारी को सुबह से शाम हो जाती है। ऐसे में रेजीडेंट घटों गर्मी में रहते हैं।

30 हजार सालाना किराया फिर भी बदहाली
 तीनों हॉस्टलों की हालत बेहद खराब है, कमरों व बरामदों के प्लास्टर उखड़कर गिर रहे हैं। 25 साल पुरानी बिजली वायरिंग जगह-जगह से कटी हुई है। बरसात में छतें टपकती हैं। दीवारों में सीलिंग से करंट का खतरा रहता है। हॉस्टल परिसर की रोड लाइटें बंद होने से अंधेरा रहता है। वहीं, बायोवेस्ट पड़ा होने से संक्रमण का डर रहता है। एसोसिएशन द्वारा गत 28 अप्रैल को अस्पताल अधीक्षक, प्रिसिंपल व वार्डन को लिखित में शिकायत दी थी। हर साल प्रत्येक रेजीडेंट करीब 30 हजार रुपए सालाना किराया देता है, जिसमें कमरा, बिजली, भवन मरम्मत, स्पोर्ट्स व लाइब्रेरी शामिल हैं। इसके बावजूद मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
डॉ. सुमेर सिंह, अध्यक्ष रेजीडेंट एसोसिएशन मेडिकल कॉलेज कोटा   

 हॉस्टल में बिजली-पानी सहित अन्य कई समस्याएं हंै। वार्डन के पास काम करवाने के लिए अलग से कोई बजट नहीं होता है। रेजीडेंट एसोसिएशन की शिकायत मिली थी, जिसे मेडिकल कॉलेज प्रिसिंपल व एमबीएस अस्पताल अधीक्षक को भेज दी थी। यहां काम करवाना इन्हीं की जिम्मेदारी है। 
- डॉ. सीपी मीणा, वार्डन रेजीडेंट हॉस्टल एमबीएस

हॉस्टल परिसर में उगी झाड़ियां व गंदगी तीन दिन में साफ करवा दी जाएगी। सोमवार को इसके आॅर्डर जारी कर देंगे। वैसे, रेजीडेंटस ने सफाई को लेकर कोई शिकायत नहीं की। हालांकि, पानी की समस्या बताई थी, जिसका तुरंत समाधान करवा दिया है। तीनों हॉस्टलों में 50 हजार की लागत से 2-2 हजार लीटर की 3 पानी की टंकियां लगवाई है। साथ ही दो वाटर कूलरों का काम करवाया है। वहीं, 2 सिक्योरिटी गार्ड पीजी हॉस्टल में और 1 नर्सिंग गर्ल्स हॉस्टल के लिए लगवाया है। 
- नवीन सक्सेना, एमबीएस अस्पताल अधीक्षक

Post Comment

Comment List

Latest News

कश्मीर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का पार्टी का था फैसला : आजाद कश्मीर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का पार्टी का था फैसला : आजाद
संसद का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला पार्टी ने लिया है। उन्होंने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ने के लिए...
इस बार मोदी की बेव नहीं, विकास के मुद्दों पर राजनीति नहीं केवल चुनाव हो : पायलट
राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीट जीतेगी भाजपा : पूनिया
पाकिस्तान में आत्मघाती हमला, बचे 5 जापानी नागरिक
निर्वाचन विभाग की नहीं मिली वोटर पर्ची, बूथ पर मतदान कर्मियों से उलझे लोग
बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा, भाजपा-तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच पथराव 
अर्विक बैराठी ने लोगों को वोटिंग के लिए किया प्रोत्साहित