मुकेश अंबानी की सुरक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई त्रिपुरा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

उच्च न्यायालय के फैसले पर अगले आदेश तक रोक

मुकेश अंबानी की सुरक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई त्रिपुरा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनके परिवार को केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सुरक्षा से संबंधित विवरण मांगने के मामले में त्रिपुरा उच्च न्यायालय के फैसले को अगले आदेश तक रोक लगा दी।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनके परिवार को केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सुरक्षा से संबंधित विवरण मांगने के मामले में त्रिपुरा उच्च न्यायालय के फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रोक संबंधी यह आदेश पारित किया। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के विशेष उल्लेख पर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी। शीर्ष अदालत ने अंबानी की सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा उच्च न्यायालय की ओर से जारी एक आदेश के खिलाफ सुनवाई  करने की मांग की थी।

केंद्र सरकार की सिफारिश पर अंबानी और उनके परिवार को दी जा रही सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका में उनके(अंबानी और उनके परिवार को)  खतरे की आशंका से संबंधित विवरण मांगने के त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सॉलिसिटर जनरल ने विशेष उल्लेख के दौरान शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाते हुए तर्क दिया था कि अंबानी को प्रदान की गई सुरक्षा का त्रिपुरा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए जनहित याचिका पर विचार करना वहां के उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। मेहता ने उच्च न्यायालय के उस आदेश की वैधता पर भी सवाल उठाया, जिसमें  खतरे की आशंका से संबंधित दस्तावेजों के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों को 28 जून को पेश होने के लिए कहा गया था। सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह भी कहा था कि केंद्र ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया था कि बम्बई उच्च न्यायालय ने अंबानी को सुरक्षा प्रदान करने पर इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दी थी। त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश दिया था।

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