रामगढ़ टाइगर अभयारण्य: मर जाएंगे पर 15 लाख में गांव खाली नहीं करेंगे

8 गांवों पर लटकी विस्थापन की तलवार, कर्जा लेकर बनाए पक्के मकान, अब गांव छोड़ने का दबाव, विस्थापित गांव जावरा व गुढ़ामकदू के बाशिंदों ने बयां की पीड़ा

रामगढ़ टाइगर अभयारण्य: मर जाएंगे पर 15 लाख में गांव खाली नहीं करेंगे

इन दिनों भैरुपुरा, केशवपुरा, भीमगंज, जावरा, जावरा की झौंपड़ियां,हरिपुरा की झौपड़ियां, गुलखेड़ी, गुढ़ामकदू गांव के हजारों लोग विस्थापन फोबिया का शिकार हैं।

कोटा। वो क्या जानेंगे दास्तां-ए-दिल, आशियाने जिनके बिखरनें की कगार पर हैं, दर्द उन्हीं से पूछो, जो मिट्टी से बेदखल होने को हैं। सपनों की चादर में लिपटा मन, अब विस्थापन की काली छाया से सहमा है। सहेज लूं पुरखों की यादें, पर आंचल पड़ गया कम। ये पंक्तियां सटीक बैठ रही हैं रामगढ़ टाइगर अभयारण्य के बीच बसे बूंदी तहसील के 8 गांव के बाशिंदों पर। एक ही गांव में जन्मे, खेले-कूदे, बड़े हुए, मेहनत मजदूरी कर आशियाने बनाए और फिर दिल में दर्द लिए उस मिट्टी को छोड़ जाने को बेबस हुए। मन को दिलासा देकर दूसरी जगह डेरा भी डाल लें लेकिन विस्थापन का मुआवजा पैरों की बेड़ियां बन गया। इन दिनों भैरुपुरा, केशवपुरा, भीमगंज, जावरा, जावरा की झौंपड़ियां,हरिपुरा की झौपड़ियां, गुलखेड़ी, गुढ़ामकदू गांव के हजारों लोग विस्थापन फोबिया का शिकार हैं। सांझ ढलते ही मंदिर की दहलीज पर विस्थापन पर चर्चा शुरू हो जाती है, जो देर रात तक जारी रहती है। जब से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की घोषणा हुई तब से उनकी दिनचर्या में विस्थापन शामिल हो गया। दैनिक नवज्योति टीम ने ग्रामीणों के बीच बिताए पल में विस्थापन का दर्द छलक पड़ा। पेश है, लाइव रिपोर्ट......

चट्टानों के बीच से गुजरता 8 गांवों का रास्ता
धुंधलेश्वर महादेव के सामने पहाड़ों की चटटानों के बीच से विस्थापित गांवों का रास्ता गुजरता है। यहां से 50 मीटर की दूरी पर वन चौकी है। वनकर्मी गांव जाने वाले वाहनों की चैकिंग, नाम-पते व आधार कार्ड देखकर ही जाने देते है। यदि कोई वाहन निर्माण सामग्री ले जाते पकड़ा गया तो उसे जब्त कर चालान काट दिया जाता है। 

गुलखेड़ी ने किया सरेंडर, 300 परिवार घर छोड़ने को राजी
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में आ रहे 8 गांवों में से एक गुलखेड़ी के 300 परिवारों ने विस्थापित होने पर सहमति जता दी है। प्रशासन द्वारा यहां सर्वे भी करवा दिया गया है। जिसमें कच्चे घर, पक्के मकान, मवेशियों की संख्या, जमीनों का सीमाज्ञान, लोगों की संख्या शामिल हैं। इस सर्वे की एक लिस्ट वन चौकी पर चस्पा है। यहां जिला कलस्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों के साथ बैठक कर चुके हैं। अब गुलखेड़ी गांव के विस्थापन की तैयारियां चल रही हैं। 

जेवर गिरवी रख बनाया मकान
विस्थापन का जिक्र आते ही, जावरा गांव निवासी रामभरोसी व रामूर्ति बाई की आंखें छलक पड़ी। वे कहतीं हैं, तीन साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान का निर्माण कार्य शुरू किया था। तीन किश्तों में 1 लाख 20 हजार रुपए मिले, जिससे नींव भरने के साथ ढांचा खड़ा किया, अधूरा काम पूरा करने के लिए गहने व जमीन गिरवी रखी और 5 लाख का कर्जा लेकर मकान बनाया। 16 मई 2022 को सरकार ने रामगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित कर दिया। अब इसे तोड़ने कैसे दे सकते हैं। सरकार मुआवजा में 15 लाख देने की बात कह रही है.  कर्ज चुकाने के बाद जो राशि बचेगी उसमें तो प्लॉट भी नहीं मिलेगा, मकान कैसे बनाएंगे।

5 दशक से गांव में रह रहे
किसान धनराज व गोपाल मीणा कहते हैं, रामगढ़ को टाइगर रिजर्व घोषित किए 2 साल ही हुए हैं, जबकि हम 5 दशक से गांव में रह रहे हैं। महंगाई के इस दौर में 15 लाख में प्लॉट भी नहीं मिलता तो हम घर-जमीन कैसे छोड़ दें। अधिकतर लोगों ने कर्जा लेकर पक्के मकान बनाए हैं। साहूकारों का कर्जा चुकाने के बाद हमारे पास क्या बचेगा। खेती करने को जमीन कहां से लाएंगे, बच्चों का पेट कैसे पालेंगे। जब तक जमीन के बदले जमीन, मकान के बदले मकान मूलभूत सुविधाओं के साथ नहीं मिलते तब तक हम गांव खाली नहीं करेंगे। जबरदस्ती की तो मर जाएंगे पर 15 लाख में गांव नहीं छोड़ेंगे।

गुढ़ाकमदू से शहर में होता है दूध सप्लाई
खटकड़ ग्राम पंचायत का गुढ़ामकदु गांव, जिले में दुग्ध व्यवसाय के लिए जाना जाता है। 700 की आबादी वाले इस गांव की आय का मुख्य स्त्रोत पशुपालन है। बूंदी शहर व आसपास की पंचायत क्षेत्र में यही से ही दूध सप्लाई किया जाता है। यहां चारों तरफ पहाड़ियों पर हरियाली होने से मवेशियों को पर्याप्त चारा उपलब्ध हो जाता है। विस्थापन की लहर यहां पहुंची तो लोगों को बेदखली का डर सताने लगा। जैसे ही नवज्योति टीम गुढ़ामकदु पहुंची तो लोगों ने वन विभाग की सर्वे टीम समझ घरों के दरवाजे बंद कर दिए। काफी समझाने के बाद वे लोग घरों से बाहर निकले और अपनी पीड़ा बयां की।

ब्याज पर 4 लाख लेकर बनाया मकान
कन्याबाई कहती हैं, जवानी से बुढ़ावा कच्चे घर में कट गया। बेटा-बहू पक्के मकान में रहे, इसलिए प्रधानमंत्री आवास के तहत मिले 1.20 लाख से मकान की नींव रखी। अधूरा काम पूरा करवाने के लिए ब्याज पर 4 लाख रुपए लिए और दीवारें खड़ी करवाने के साथ छत डलवाई। जैसे-तैसे मकान तो बन गया लेकिन, प्लास्टर व फर्शी का काम अटक गया। वन विभाग वाले गांव में कोई भी काम नहीं करवाने दे रहे। रेती, सीमेंट, गिट्टी सहित अन्य निर्माण सामग्री लेकर आती टैक्टर-ट्रॉलियों को नाके पर ही रोक दी जाती है। इतने पैसे लगाकर पक्का मकान बनाया वह अधूरा रह गया।

यह स्वैच्छिक रिलोकेशन प्लान है। किसी को भी जबरदस्ती निकाला नहीं जा सकता। सरकार द्वारा प्रत्येक विस्थापित परिवारों को 15 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। इस प्लान के तहत परिवार में पति-पत्नी दोनों को मिलाकर 15 लाख रुपए व उनके बच्चे जिनकी उम्र 21 वर्ष है तो उन्हें भी अलग से 15-15 लाख मुआवजे के रूप में मिलेंगे। यानी, एक परिवार में 4 बच्चे हैं, जिनकी उम्र कम से कम 21 वर्ष हैं तो उन चारों बच्चों को भी अलग-अलग यह मुआवजा राशि मिलेगी। यदि कोई जमीन के बदले जमीन व घर के बदले घर लेना चाहे तो वह ले सकता है। लेकिन, उन्हें मुआवजा राशि नहीं मिलेगी।
- तरुण मेहरा, एसीएफ रामगढ़ टाइगर रिर्जव अभयारण्य

रिर्जव क्षेत्र में आने वाले सभी गांवों के बाशिंदों को मुआवजे से संबंधित कोई नुकसान नहीं होगा। इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे है। मुआवजे के लिए दोनों ही विकल्प खुले हैं। ग्रामीण जमीन के बदले जमीन ले सकता है, इसमें एक हैक्टेयर जमीन वर्तमान से ज्यादा मिलेगी। वहीं, दूसरे विकल्प के रूप में 15 लाख रूपए ले सकता है। वहीं,जो परिवार जमीन लेगा उसे पैसा नहीं मिलेगा और जो परिवार पैसा लेगा, उन्हें जमीन नहीं मिलेगी।
- अशोक डोगरा, बूंदी विधायक

गुलखेड़ी गांव के बाशिंदे विस्थापन के लिए मान गए हैं। प्रशासन ने वहां रात्रि चौपाल लगाकर सर्वे भी करवा लिया है। जिसकी सूची वन चौकी, पंचायत मुख्यालय पर चस्पा है। इनका नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। जल्द ही इन्हें विस्थापित कर दिया जाएगा।
- रेनू जयपाल, जिला कलक्टर बूंदी

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