पेशे से डॉक्टर सुराणा, प्रमोद आर्य, प्रभंजन राय और बीआर सोनी ने क्रिकेट में भी खेली सफल पारी, रणजी ट्रॉफी में भी किया राजस्थान का प्रतिनिधित्व
आस्ट्रेलिया में हरभजन को कार्रवाई से बचाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
डा. सुराणा ने रणजी ट्रॉफी में राजस्थान के साथ ही सेना की भी नुमाइंदगी की वहीं दाएं हाथ के बल्लेबाज प्रमोद आर्य ने राजस्थान के लिए 21 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 686 रन बनाए। लोकल क्रिकेट में जयपुर ब्लूज की ओर से खेलने वाले प्रभंजन रॉय ने भी रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।
जयपुर। प्रदेश के कुछ ऐसे डॉक्टर भी हैं, जिन्होंने चिकित्सा के साथ खेल जगत में भी नाम कमाया है। डा. हेमेन्द्र सुराणा, डा. प्रमोद आर्य, डा. बिमल राय सोनी और डा. प्रभंजन रॉय ऐसे चिकित्सक रहे हैं, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। डा. सुराणा ने रणजी ट्रॉफी में राजस्थान के साथ ही सेना की भी नुमाइंदगी की वहीं दाएं हाथ के बल्लेबाज प्रमोद आर्य ने राजस्थान के लिए 21 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 686 रन बनाए। लोकल क्रिकेट में जयपुर ब्लूज की ओर से खेलने वाले प्रभंजन रॉय ने भी रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। बिमल सोनी खिलाड़ी से ज्यादा खेल प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1984 में ही आरसीए के संयुक्त सचिव बन गए सोनी इसके बाद महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
आस्ट्रेलिया में हरभजन को कार्रवाई से बचाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
बिमल सोनी ने 2007-08 के आस्ट्रेलिया दौरे की घटना का जिक्र किया, जब उनकी पैरवी के बाद हरभजन सिंह निलंबन की कार्रवाई से बच गए। सोनी तब भारतीय टीम के मैनेजर थे। उन्होंने ने बताया कि टेस्ट सीरीज में कप्तान रिकी पोंटिंग ने हरभजन पर नस्लीय टिप्पणी का आरोप लगाया था। आईसीसी पैनल के समक्ष सुनवाई के दौरान मैनेजर की हैसियत से मैं भी मौजूद था और हम पैनल के समक्ष यह बताने में सफल रहे कि हरभजन ने एंड्रयू साइमंड्स की ओर से बार-बार उकसाने पर मंकी नहीं बल्कि मैनू की (मुझे मतलब नहीं) कहा। और इस तरह मामला खत्म हुआ। सोनी ने बताया कि कॉमनवेल्थ बैंक वनडे सीरीज में दर्शकों की ओर से हरभजन सिंह के खिलाफ स्लेजिंग की गई। हरभजन पर भीड़ के एक हिस्से की ओर इशारा करने और थूकने का आरोप लगाया गया। तब भी हमने मजबूती से भज्जी का पक्ष रखा और मैच रैफरी जैफ क्रो ने हरभजन के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया।
फौज में डॉक्टर रहे सुराणा खुद खेले और कई क्रिकेटर तैयार किए
जयपुर में सुराणा क्लिनिक का संचालन कर रहे डा. हेमेन्द्र सुराणा ने साठ के दशक में घरेलू क्रिकेट में गेंद और बल्ले से खूब धूम मचाई और एक अच्छे आॅलराउंडर के रूप में अपनी पहचान बनाई। सुराणा ने 1965 में राजस्थान की ओर से रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और 1969 में जब सेना में डॉक्टर बने तो 1973-74 तक सेना की ओर से खेले। इस दौरान उन्होंने 17 रणजी ट्रॉफी मैच खेले। फौज से लोटने के बाद भी सुराणा का क्रिकेट से जुड़ाव बना रहा। उन्होंने सुराणा क्रिकेट एकेडमी स्थापित की। इस एकेडमी से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी गगन खोड़ा समेत कई रणजी क्रिकेटर निकले हैं। क्रिकेटर के साथ- साथ सुराणा क्रिकेट प्रशासन से भी जुड़े रहे। वे जयपुर जिला और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। सुराणा 1969 में विल लॉरी की कप्तानी में भारत दौरे पर आई आस्ट्रेलिया टीम के खिलाफ मध्य क्षेत्र टीम में भी खेले।
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