बारिश में असुविधाजनक रोडवेज का सफर यात्रियों को दे रहा दर्द

फर्स्ट एड व अग्निशामक यंत्र तक नहीं , महंगा किराया देकर टपकती छत, फटी सीटों पर यात्रा करने की मजबूरी

बारिश में असुविधाजनक रोडवेज का सफर यात्रियों को दे रहा दर्द

मानसून पूर्व रोडवेज की बसों की मरम्मत नहीं करना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। रोडवेज की पुरानी हो चुकी बसे बारिश में यात्रियों के सफर को कष्टकारक बना रहे है । टपकती छते, खिडकियों टूटे कांच और फटी सीटे रोडवेज की बदहाली की दास्ता बया कर रहे है।

कोटा।  मानसून पूर्व रोडवेज की बसों की मरम्मत नहीं करना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। रोडवेज की पुरानी हो चुकी बसे बारिश में यात्रियों के सफर को कष्टकारक बना रहे है । टपकती छते, खिडकियों टूटे कांच और फटी सीटे रोडवेज की बदहाली की दास्ता बया कर रहे है। यात्रियों की सुरक्षा से लेकर आरामदाय यात्रा के रोडवेज के दावे खोखले साबित हो रहे है। रोडवेज में बेडे में लगातार बसों की कमी हो रही है। जो बसे चल रही है उनकी मरम्मत नहीं हो रही है। ऐसे में यात्री महंगा किराया देकर अपने को ठगा ठगा सा महसूस कर रहा है।राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में सुरक्षा उपलब्ध करवाने के चाहे लाख दावे करता हो लेकिन यह धावे धरातल पर बिलकुल भी सच साबित नहीं होते। एमरजेंसी सुविधाओं के नाम पर यह निगम की बसें शून्य है। बसों में एमरजेंसी के समय काम आने वाली फर्स्ट एड व अग्निशामक यंत्र की सुविधा तक नहीं है।  यात्रियों की शिकायत निवारण के लिए बसों से शिकायत पेटिका तक गायब है तो अनेक बसों में यह पेटिका कचरा डालनें के काम आ रही है। फर्स्ट एड बॉक्स खुद बीमार हुए लटक रहे है। बसों की सीटें टूट चुकी है और इनमें से फोम निकलकर बाहर आ चुका है और कई बसों के खिड़कियों के कांच भी नहीं होने से बरसात के समय सवारियां पानी से भीग रही है। बसों में एमरजेंसी सुविधा के लिए लिखे गए हेल्पलाइन नम्बर तक मिट चुके है। इन बसों के पास एमरजेंसी के समय एक्सट्रा टायर स्टैपनी तक भी नहीं है।

बसों में लटक  रहे हैफर्स्ट एड बॉक्स
ज्यादातर रोडवेज की बसों से फर्स्ट एड बॉक्स गायब है। कई बसों में यह बॉक्स लगे है, लेकिन वह टूटकर लटके हुए है। रोडवेज द्वारा इन बॉक्स की मरम्मत और उनको अपडेट लंबे समय से नहीं किया है। इन बॉक्स में प्रथामिक उपचार करने वाली दवाइयां उपलब्ध नहीं है। बॉक्स खाली है। बस में सफर करते समय  किसी यात्री को चोट लग जाए तो उपचार करवाने के लिए क्लिनिक या अस्पताल आने का इंतजार करना होगा। या फिर बस को रूकवाकर उपचार के लिए जाना होगा।

शिकायत पेटिका में भरा कचरा
रोडवेज बसों में यात्रियों की समस्या निवारण के लिए लगाई गई समस्या व सुझाव पेटिका भी खुली हुई है। ये पेटिका खुली होने से के कारण यात्रियों द्वारा इनमें खाद्य पदार्थों के पॉलिथिन व कचरा भर दिया जााता है। इन बसों में यात्रियों के सुझाव लेने व समस्या का निवारण करने वाला कोई नहीं है। इन पेटियों में कचरा होने की वजह से कोई भी यात्री इनमें पत्र नहीं डालता और ना ही विभाग के कर्मचारियों द्वारा इन्हें चेक किया जाता है।

विज्ञापनों ने बिगाड़ी हालत
विज्ञापनों रोडवेज बसों की हालत बिगाड़ रखी है। बसों में हर जगह विज्ञापन लगे हुए है। हेल्पलाइन नम्बरों पर भी विज्ञापन लगाने से यात्रियों को ये नम्बर भी दिखाई नहीं देते है। कर्मचारियों द्वारा इन विज्ञापनों को हटाने पर बसों का कलर उतर जाता है।

इनका है कहना
 बसों में यात्री भार अधिक होने से धक्का मुक्की के कारण यह फर्स्ट एड बॉक्स टूट जाते है । कुछ बसों में फर्स्ट एड बॉक्स लगे हुए है जो सही है। सुझाव पेटिका को भी यात्री तोड़ देते है। कई बसों में अग्निशामक यंत्र नहीं है यह जल्द रखवा दिए जाएगें। विज्ञापन लगाने वाले बेरोजगार युवा है इनको काफी बार विज्ञापन नहीं चिपकाने के बारे में समझाया गया है लेकिन ये नहीं मानते।
- प्रदीप कुमार, सहायक आगार प्रबंधक,कोटा

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