बाघ जिंदा तो फिर जमीन खा गई या आसमान!

मुकुंदरा टाइगर हिल्स : करोड़ों का ई-सर्विलांस सिस्टम, 16 कैमरा टॉवर, 200 कैमरा ट्रेप, सैकड़ों कर्मचारियों की फौज फिर भी खोज नहीं पा रहे बाघ,एमटी -1 व दो शावक अब तक लापता , टेक्नोलॉजी के युग में भी टाइगर को नहीं ढूंढ पा रहा विभाग

बाघ जिंदा तो फिर जमीन खा गई या आसमान!

राज्य सरकार वन्यजीवो की निगरानी व शिकार विरोधी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए तकनीकी संसाधनों में इजाफा कर रही है. जिसके लिए बजट भी उपलब्ध करा रही है। फिर भी वन विभाग लापता टाइगर्स को ढूंढने में नाकाम है। मुकुंदरा में करीब 3 करोड़ की लागत से ई-सर्विलांस सिस्टम लगा होने के बावजूद बाघ एमटी-1, बाघिन एमटी-2 व एमटी-4 का एक-एक शावक भी डेढ़ साल से गायब है। जिनका अभी तक कोई पता नहीं चला। हालांकि दोनों शावकों के जिंदा होने की उम्मीद वन अधिकारी भी छोड़ चुके हैं।

कोटा । टेक्नोलॉजी के इस युग में जहां छोटी से छोटी चीज आसानी से ढूंढी जा सकती है। हजारों की भीड़ में मोबाइल ढूंढा जा सकता है। दूसरी तरफ साधन-संसाधन और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से सम्पन्न वन विभाग लापता बाघों को खोज नहीं पा रहा। जबकि, राज्य सरकार वन्यजीवो की निगरानी व शिकार विरोधी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए तकनीकी संसाधनों में इजाफा कर रही है. जिसके लिए बजट भी उपलब्ध करा रही है। फिर भी वन विभाग लापता टाइगर्स को ढूंढने में नाकाम है। मुकुंदरा की बात करें तो यहां करीब 3 करोड़ की लागत से ई-सर्विलांस सिस्टम लगा होने के बावजूद बाघ एमटी-1, बाघिन एमटी-2 व एमटी-4 का एक-एक शावक भी डेढ़ साल से गायब है। जिनका अभी तक कोई पता नहीं चला। हालांकि दोनों शावकों के जिंदा होने की उम्मीद वन अधिकारी भी छोड़ चुके हैं।

लापता बाघ एमटी-1 का दो साल से नहीं लगा सुराग
मुकुंदरा की वादियों से 19 अगस्त 2020 में ओझल हुआ बाघ एमटी-1 का 2 साल बाद भी सुराग नहीं लगा। वन विभाग की लापरवाही का आलम यही नहीं रूका। बाघ एमटी-1 को खो देने के बाद 3 अगस्त 2020 को बाघिन एमटी-2 का एक शावक लापता हो गया। इसके अगले ही महीने 22 मई को एमटी-4 का शावक भी गायब हो गया। जिनका दो साल से कोई पता नहीं चला। इन शावकों के जीवित होने की उम्मीद वन विभाग के अधिकारी भी छोड़ चुके है। जबकि, बाघ के गले में जीपीएस बेस्ड रेडियोकॉलर लगा हुआ था।

लापरवाही : रेडियोकॉलर की बैट्री खराब थी फिर भी नहीं बदली
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ एमटी-1 के गले में लगे रेडियोकॉलर की बैट्री खराब हो चुकी थी। जिसकी जानकारी डीएफओ बीजो रॉय सहित अन्य वन अधिकारियों को थी। इसके बावजूद उसकी बैट्री नहीं बदली गई। बाघ के गायब होने में सबसे ज्यादा लापरवाही ई-सर्विलांस सिस्टम को संचालित करने वाली डीओआईटी विभाग की नजर आई। 24 घंटे जंगल की निगरानी, बाघ का मूवमेंट व अवैध गतिविधियों पर नजर रखने और तत्काल अधिकारियों को सूचना देने का जिम्मा इसी विभाग का है। ऐसे में सवाल उठता है, जब बाघ एमटी-1 मुकुंदरा की सीमा लांघ रहा था तब डीओआईटी ने इसकी सूचना क्यों नहीं दी।

मुकुंदरा में 3 करोड़ का सर्विलांस और 16 कैमरा टावर
मुकुंदरा टाइगर रिर्जव 760 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसमें 342.82 वर्ग किमी बफर जोन तथा 417.17 वर्ग किमी कोर एरिया है। पूरे रिजर्व को कवर करने के लिए 6 रेंजों में बांटा गया है। जिसमें दरा, जवाहर सागर, कोलीपुरा, रावंठा, बोराबांस व गागरोन रेंज शामिल है। टाइगर रिजर्व पर निगरानी के लिए 3 करोड़ की लागत से एक ई-सर्विलांस एंड एंटी पोचिंग सिस्टम, 16 कैमरा टावर और 200 से ज्यादा कैमरा ट्रैप लगे हुए हैं। दरा रेंज में ही सर्विलांस लगा है, जिससे सभी रेंजों में लगे कैमरा टावर जुड़े हैं। इसकी मॉनीटरिंग डीओआईटी डिपार्टमेंट करता है। इसके लिए यहां सेंटलाइज कमाण्ड सेंटर बना हुआ है। जिससे 24 घंटे जंगल की एक-एक गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। सभी कैमरे टावर नाइट विजन हैं। अत्याघुनिक तकनीक से लैस होने के बावजूद टाइगर व शावकों का लापता होना और खोज नहीं पाना, वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठता है।

एक्सपर्ट व्यू
वन विभाग के पास अत्याधुनिक टैक्नोलोजी है। ई-सर्विलांस सिस्टम केवल ट्रैकिंग के लिए ही नहीं बल्कि जंगल की एक-एक गतिविधियों पर नजर रखता है। वहीं, एमटी-1 के गले में जीपीएस बेस्ड रेडियोकॉलर लगा हुआ था। इसके बावजूद बाघ को ढूृंढ नहीं पाना उनकी लापरवाही दर्शाती है। अधिकारियों ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए बाघ एमटी-1 को लापता घोषित कर जिंदा टाइगर की सूची में रखा हुआ है।
- तपेश्वर सिंह भाटी, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट

बाघ एमटी-1 दुनिया में होता तो ढूंढा जा सकता था। वन विभाग बाघ को लापता बताकर वन्यजीव प्रेमियों व जनता को भ्रमित कर रही है। यदि, बाघ जीवित है तो सबूत के तौर फोटो, गतिविधि या कोई मूवमेंट से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराएं। 
- बाबूलाल जाजू, पर्यावरण विद तथा पीपुल्स फॉर एनीमल के प्रदेशाध्यक्ष

तत्कालीन डीएफओ ने  स्वीकारा था कि रेडियोकॉलर की बैट्री खराब थी। रेडियोकॉलर की बैट्री चेंज नहीं की गई, वहीं, ई-सर्विलांस सिस्टम के बावजूद टाइगर का एनक्लोजर से बाहर निकल जाना  डीओआईटी टीम की गंभीर लापरवाही का नतीजा है।
- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर

एक रात में बाघ करीब 40 से 50 किमी का मूवमेंट कर सकता है। वन विभाग दो-तीन दिन तक बाघ को इस ओर ढूंढने के बजाए दरा रेंज में ही तलाश करते रहे, इसके बाद आसपास के इलाके में निकले। तब तक तो बाघ काफी दूर निकल चुका था।
-कृष्णेंद्र सिंह नामा, वाइल्ड लाइफ ,एक्सपर्ट एवं रिसर्च सुपरवाइजर

बाघ एमटी-1 की गर्दन पर लगा रेडियोकॉर्लर खराब था। जिसे बदलने के लिए टाइगर को टेंकूलाइज करना पड़ता है। जिसके लिए अलग प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें समय लगता है। मैंने उच्चाधिकारियों को इस संबंध में पत्र भेज सूचना दे दी थी। इसी बीच बाघ लापता हो गया। जिसे ढूंढने के लिए प्रदेश के सभी रिजर्व में सघन मॉनिटरिंग की गई। लेकिन, बाघ के मूवमेंट के कोई एविडेंस प्राप्त नहीं हुए। आज भी बाघ एमटी-1 को ढूंढा जा रहा है। 
-बीजो जॉय, डीएफओ टाइगर मुकुंदरा हिल्स रिजर्व

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