बजट का अभाव:रोडवेज की व्यवस्थाओं का स्टीयरिंग जाम

मरम्मत की बाट जोह रहा पुराना बस स्टैंड

बजट का अभाव:रोडवेज की व्यवस्थाओं का स्टीयरिंग जाम

कोटा जिला मुख्यालय का पुराना बस स्टैंड लंबे समय से अपनी मरम्मत की बाट जोह रहा है। बस स्टैंड परिसर में सड़क की स्थिति बेहद बेहाल है। बारिश के दिनों में यहां कीचड़ रहने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कोटा । कोटा जिला मुख्यालय का पुराना बस स्टैंड लंबे समय से अपनी मरम्मत की बाट जोह रहा है। बस स्टैंड परिसर में सड़क की स्थिति बेहद बेहाल है। बारिश के दिनों में यहां कीचड़ रहने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं बस स्टैंड के अंदर छत का प्लास्टर भी आए दिन गिरता रहता है, जिसे आए दिन हादसे होते रहते है। साथ ही बस स्टैंड में सुअरों का जमावड़ा भी लगा रहता है। बस स्टैंड में फैली गंदगी व दुर्गंध के कारण यहां से यात्री पानी तक पीने से कतराते है। बस स्टैंड परिसर के आस पास रहने वाले लोग यहां मलबा पत्थर डाल जाते है, जिसकी वजह से बसों की आवाजाही के समय यह पत्थर उछलकर यहां आने वाले यात्रियों को चोटिल करते है। बस स्टैंड में स्वच्छता कहीं नजर नहीं आ रही है। यहां पर न तो एक भी कूड़ेदान है और न ही सफाई का बेहतर प्रबंध। नतीजतन स्टैंड परिसर में इधर-उधर गंदगी बिखरी रहती है। कूड़ेदान के अभाव में यात्री मनचाही जगह पर गंदगी फेंक रहे हैं। स्टैंड में गंदी नालियों व बारिश का पानी खड़ा होने से पानी पर मच्छर पनपते है,जिसे मौसमी बीमारियों होने का खतरा बना रहता  है।

बस स्टैंड में  फैला गंदा पानी
रोडवेज बस स्टैंड पर नालियों की स्थिति बदतर है। यहां नालियों की नियमित सफाई नहीं कराई जाती है। यात्रियों द्वारा स्नैक्स आदि खाने के बाद रैपर नालियों में ही फेंक दिए जाते हैं। डिस्पोजेबल और प्लास्टिक वाली पानी की बोतलों को भी जहां-तहां फेंका जाता है। सबसे बड़ी समस्या तो यूरीनल की है। सड़क के किनारे ही यूरीनल बना हुआ है। सफाई की व्यवस्था न होने की वजह से लगभग 50 मीटर तक के एरिया में दुर्गंध उठती रहती है। परिसर में डस्टबिन न होने की वजह से यात्री कुछ भी खाने के बाद खुले में ही कचरा फेंक देते हैं।

लगे हुए है मलबे के ढ़ेर
बस स्टैंड परिसर में मलबे के बडेÞ-बड़े ढ़ेर लगे हुए है। बस स्टैंड के आस-पास रहने वाले लोग यहां पर मलबा डाल जाते है। मलबे के ढेÞर से कंक्रीट पत्थर निकलकर पूरे बस स्टैंड परिसर में बिखरे हुए है। इन कंक्रीट पत्थरों की वजह से यहां आने वाले यात्रियों व वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यात्रियों को इन पत्थरों से ठोकरे लगती है और वाहनों से पत्थर उछलकर यात्रियों को लगते है, जिससे यात्री चोटिल होते है।

छत से गिर रहा प्लास्टर
बस स्टैंड परिसर की इमारत काफी पुरानी है। इमारत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। बस स्टैंड की छत से आए दिन प्लास्टर गिरता रहता है। हालांकि छत की काफी बार मरम्मत भी करवाई जा चुकी है। कोटा से यात्रा करने वाले अधिकतर यात्री इस बस स्टैंड से ही सफर करते है। लेकिन इसके बावजूद भी सरकार का इसके जिर्णोद्धार की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। भवन की छतों के सरिए नजर आने लगे है। बस स्टैंड पर कई बार इससे हादसे भी हो चुके है।

गड्डों में भरा पानी
बस स्टैंड में कई जगह गहरे गड्डे बने हुए है। बारिश के समय इन गड्डों में पानी भर जाता है। वहीं पूरे बस स्टैंड परिसर में पानी भर जाने से यह गड्डे दिखाई नहीं देते, जिसकी वजह से इनमें वाहन व यात्रियों के गिरने का खतरा बना रहता है। गड्डों में भरे पानी में मच्छर पनपते है । जिससे यात्रियों को डेंगू मलेरिया होने का खतरा रहता है।

बस स्टैंड के आस-पास रहने वाले लोग परिसर में कचरा व मकानों का मलबा डाल जाते है। इन लोगों को काफी बार मलबा डालने से रोका गया है, लेकिन इसके बावजूद भी लोग नहीं मानते और गाली गलौच करने लगते है। मलबे की वजह से यहां आने वाले यात्रियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। काफी बार यह कचरा उठवा दिया गया है।-प्रदीप कुमार, सहायक आगार निगम

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