आईवीएफ की आड़ में एग डोनेशन रैकेट का भांडाफोड

सूचना पर सीएमएचओ ने की कारवाई, आईवीएफ में प्रयुक्त भारी मात्रा में इंजेक्शन जब्त

आईवीएफ की आड़ में एग डोनेशन रैकेट का भांडाफोड

उदयपुर। शहर में धडल्ले से खुल रहे आईवीएफ सेंटरों में आईवीएफ के नाम पर एग डोनेशन का एक अवैध कारोबार बन चुका है। इसके जरिए ये सेंटर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। इस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी की टीम ने मधुवन क्षेत्र में हिरण एक्सरे वाली गली में संचालित एंजल एग डोनर सेंटर पर कारवाई करते हुए मौके पर उपलब्ध दस्तावेज व अन्य कागजात जब्त किए।

उदयपुर। शहर में धडल्ले से खुल रहे आईवीएफ सेंटरों में आईवीएफ के नाम पर एग डोनेशन का एक अवैध कारोबार बन चुका है। इसके जरिए ये सेंटर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। इस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी की टीम ने मधुवन क्षेत्र में हिरण एक्सरे वाली गली में संचालित एंजल एग डोनर सेंटर पर कारवाई करते हुए मौके पर उपलब्ध दस्तावेज व अन्य कागजात जब्त किए। 


सीएमएचओ डॉ खराड़ी ने बताया कि सूचना मिली कि मधुवन में एग डोनर सेंटर के रूप में क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है, जहां आईवीएफ के लिए एग डोनेशन क्रिया अवैध रूप से संचालित की जा रही है। एग डोनेशन में 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों को भी लिप्त किया जा रहा है। उक्त सूचना पर एंजल एग डोनर सेंटर पर छापा मारा गया। इस पता चला कि इस केंद्र का संचालन मल्लातलाई निवासी सितारा बानो कर रही है जो मौके पर नहीं मिली। क्लिनिक का न तो क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में पंजीयन पाया गया और ना ही बायो मेडिकल वेस्ट का पंजीयन है। मौके पर भारी मात्रा में आईवीएफ में काम आने वाले इंजेक्शन बरामद हुए। इस पर ड्रग कंट्रोलर को बुलाकर ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में कार्रवाई के लिए कहा गया। इस दौरान इंजेक्शन लगवाने आई महिलाओं के बयान भी लिए गए। हालांकि मौके पर कोई नाबालिग नहीं पाया गया। क्लिनिक पर उपलब्ध समस्त दस्तावेज जब्त कर लिए गए है जिनकी जांच कर आगे की कारवाई को अंजाम दिया जाएगा। बताया गया कि गत दिनों एक नाबालिग की एग डोनेशन के बाद हालत बिगड़ने से मौत होगई थी।


एक कमरे में क्लीनिक
यह क्लिनिक एक कमरे में संचालित होता पाया गया। एक लड़की इसे संभाल रही थी। टीम के सामने ही तीन लड़कियां एग डोनेट के लिए इंजेक्शन लगवाने आई जिनसे सीएमएचओ ने पूछताछ की। क्लिनिक से दवाइयों की आपूर्ति करने वाले लड़के से भी पूछताछ की गई। इस दौरान तीन और महिलाएं आई जिनके नाम-पते नोट किए गए। सोनोग्राफी करना भी पाया गया।


बाहर भी भेजते हैं एग डोनर को
पूछताछ में बताया गया कि सेंटर से एग डोनेट करने के लिए महिलाओं को राजस्थान से बाहर भी भेजा जाता है। एक बार एग डोनेट करने पर 15 से 18 हजार रुपए तक मिलते हैं। मौके पर एग डोनेशन के 200 फार्म मिले जिसमें कुछ के नाम-पते भी मिले हैं।

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 पूरी खेल एक डोनर की जुबानी
सीमा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मैं दो वर्ष पूर्व चेकअप करवाने लिए शहर के एक हॉस्पिटल गई, जहां एक महिला ने एग डोनेशन के बारे में बताया। तब से मैं डोनर बन गई। मुझे 15 हजार रुपए मिलते हैं, अगर मैं किसी और को लाती हूं तो 12 हजार रुपए।  ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हूं। डॉक्टर बताते हैं कि यह कोई अपराध नहीं है। इस कारोबार में हॉस्पिटल, डॉक्टर, एजेंट और डोनर का पूरा रैकेट होता है।

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ऐसे चलता है रैकेट
डॉक्टर संतान की चाह रखने वाले दंपती से डेढ़ से दो लाख रुपए लेता है। लेडी एजेंट को 25 से 30 हजार मिलते हैं। एजेंट ही डोनर महिला को 12 से 15 हजार देकर हॉस्पिटल तक लाती है।

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एग डोनेशन में करीब 8 फीसदी महिलाओं की मौत
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एग डोनेशन में करीब 8 फीसदी महिलाओं की मौत हो जाती है। इसलिए डोनर महिला के पति को जानकारी जरूर देनी चाहिए। जरूरत से ज्यादा एग डोनेट करने वाली महिला को परेशानी हो सकती है। महिला को एलर्जी, यूटरस में सूजन, पेट दर्द और प्रक्रिया में लापरवाही पर डोनर की जान पर बन सकती है।क्लिनिक पर उपलब्ध समस्त दस्तावेजों को जब्त कर लिया गया है जिसकी जांच पड़ताल की जाएगी। सेंटल संचालिका ने स्वयं के बाहर होने की बात कही है, उससे भी पूछताछ की जाएगी। -डॉ. दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ

 

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