मानसून के चलते बिजली की मांग में कमी, 3 महीने बाद बढ़ सकता है संकट

मौसम ने भले ही कुछ दिनों के लिए संकट स्थगित कर दिया

मानसून के चलते बिजली की मांग में कमी, 3 महीने बाद बढ़ सकता है संकट

कोयले की कमी से राजस्थान में बिजली का संकट बरकरार है। कटौती के जरिए बिजली मैनेजमेंट के बीच बदलते मौसम ने भले ही कुछ दिनों के लिए संकट स्थगित कर दिया है, लेकिन 3 महीने बाद बिजली संकट फिर गहरा सकता है।

जयपुर। कोयले की कमी से राजस्थान में बिजली का संकट बरकरार है। कटौती के जरिए बिजली मैनेजमेंट के बीच बदलते मौसम ने भले ही कुछ दिनों के लिए संकट स्थगित कर दिया है, लेकिन 3 महीने बाद बिजली संकट फिर गहरा सकता है। ऊर्जा विभाग अभी से अक्षय ऊर्जा के जरिए बिजली के व्यवस्था में लग गया है। प्रदेश में कोयला संकट के चलते प्रदेश की 23 बिजली उत्पादन इकाइयों में करीब 6 में उत्पादन बंद पड़ा है। शेष उत्पादन इकाइयों में कोयले की कम आपूर्ति के कारण पर्याप्त क्षमता से उत्पादन नहीं हो पा रहा।संकट के बीच छत्तीसगढ़ सरकार से बातचीत नहीं बनने के कारण राजस्थान को आवंटित दो खान ब्लॉक से भी खनन समय पर अभी तक शुरू नहीं हुआ। सरकार को आम उपभोक्ताओं के साथ किसानों को फसली सीजन में बिजली देने की चुनौती बनी हुई है। ऊर्जा विभाग की चिंता यह भी है कि कोयला उत्पादित इकाइयों पर निर्भरता के चलते अक्टूबर के बाद बिजली संकट और गहरा सकता है।

अभी मानसून के चलते तापमान में जारी गिरावट से बिजली की डिमांड में कमी बनी हुई है। किसान के पास भी अभी खेतों में काम नहीं है। संकट थोड़ा कम नजर आ रहा है। अक्टूबर के बाद स्थितियों में बदलाव होगा, क्योंकि बारिश सीजन के बाद फसली सीजन शुरू होगा, तो किसानों में बिजली की डिमांड बढ़ेगी। ऐसे में प्रदेश में पर्याप्त कोयला नहीं मिला, तो बिजली का संकट खड़ा होगा। इसी वजह से ऊर्जा विकास निगम ने अभी से अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन इकाइयों से सस्ती बिजली खरीद प्रक्रिया तेज कर दी है।

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