रूपपुरा, बरवाली, तोषीणां, थेबड़ी में नहीं जले चूल्हे
अमरनाथ हादसे में काल कवलित हुए चारों मृतकों का अंतिम संस्कार
अमरनाथ जल दुखान्तिका में काल-कवलित हुए जिले के चारों युवकों के शव सोमवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा, जहां सैंकड़ों ग्रामीणों ने नम आंखों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी।
कुचामनसिटी। अमरनाथ जल दुखान्तिका में काल-कवलित हुए जिले के चारों युवकों के शव सोमवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा, जहां सैंकड़ों ग्रामीणों ने नम आंखों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी। इसी क्रम में मकराना में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत ग्राम बरवाला निवासी विजयसिंह (बलजी) का शव सोमवार प्रात: करीब 9 बजे उनके पैतृक गांव पहुंचा तो परिजन के साथ ही ग्रामीणों की भी रुलाई फूट पड़ी। परिवार वाले रोके नहीं रुक पाए। आस-पड़ौसियों की आंखे भी नम हो गई। करीब एक घण्टे बाद उनकी शव यात्रा घर से रवाना हुई। ग्रामीणों ने नम आंखों के साथ 41 वर्षीय विजयसिंह को अंतिम विदाई दी। गांव के लोगों ने बताया कि विजयसिंह व्यवहार कुशल तथा ग्रामीणों को शिक्षा के प्रति जागृत करने वाले नेक दिल इंसान थे। उधर, ग्राम रूपपुरा निवासी वीरसिंह(48) का शव भी करीब 9.30 बजे उनके पैतृक गांव पहुंचा। इस दौरान परिजनों का करुण कृन्दन सुख हर किसी की आंखे सजल हो गई। हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान तहसीलदार कुलदीप चौधरी, थानाधिकारी हनुमानसिंह चौधरी, पूर्व सरपंच मनोहरसिंह रूपपुरा, पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि जोगेन्द्रसिंह रूपपुरा सहित कर्इं गणमान्य लोग मौजूद थे। इसी प्रकार ग्राम थेबड़ी (डीडवाना) निवासी यजुवेन्द्रसिंह (42) और तोषीणां निवासी प्रहलादराम (36) का भी सोमवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया।
...तो बच जाते
जानकारी के अनुसार विजयसिंह सहित चारों के मित्रों का एक और दल बर्फानी बाबा के दर्शनार्थ मकराना, कुचामन से रवाना हुआ था। इस दल के सदस्यों ने विजयसिंह सहित चारों लोगों को सुझाव दिया कि अमरनाथ जाने के दो रास्ते है। एक बालटाल होकर एवं दूसरा पहलगाम होकर। बालटाल होकर जाने में एक दिन एवं पहलगाम होकर जाने में तीन दिन लगते है, लिहाजा बालटाल होकर जाना चाहिए। चारों लोग पहलगाम होकर रवाना हो गए। 8 जुलाई मध्याह्न करीब 3.30 बजे बर्फानी बाबा के दर्शन भी कर लिए। थकान मिटाने के लिए टेंट में रुके तथा रवाना होने की तैयारी ही कर रहे थे कि करीब 5.30 बजे बादल फट गया और उनकी मौत हो गई। यदि वे बालटाल मार्ग से जाते तो दो दिन पहले ही अपने घर पहुंच जाते। उनके साथ ही बालटाल मार्ग से रवाना हुआ दूसरा दल एक दिन पहले ही घर पहुंचा था।
दोस्तों को शेयर किए फोटो
अमरनाथ दुखान्तिका में काल-कवलित हुए चारों युवाओं ने करीब दो घण्टे पहले परिवारजनों से बात की। उन्होंने बर्फानी बाबा के दरबार के फोटो भी मित्रों को शेयर किए तथा अपने स्टेटस पर भी फोटो एवं वीडियो अपलोड किए। दो घण्टे बाद ही वे कू्रर काल का शिकार हो गए।
कू्रर काल ने छीना सहारा
अमरनाथ हादसे में काल कलवित हुए चार दोस्तों में से दो जनों के तो परिवार में कोई कमाने वाला भी नहीं है। विजयसिंह एवं वीरसिंह का परिवार पूरी तरह उन्हीं पर निर्भर था। विजयसिंह के परिवार में उनकी मां शीला कंवर (68), पत्नी रीनू कंवर (39) सहित दो पुत्र हरेन्द्र (10) एवं तनवीर (8) है। वीरसिंह के परिवार में भी उनकी मां सुगन कंवर (73), पत्नी मंजू कंवर (45) सहित पुत्र-पुत्री देवेन्द्र (10) एवं पुत्री मेघना (6) है। यजुवेन्द्र के तीन बेटियां एवं एक बेटा है, जो काफी छोटे है। कुल मिलाकर मृतकों के परिवारों के समक्ष जीविकोपार्जन का संकट आ गया है।
सोशल मीडिया पर छाया देवेन्द्र
सोशल मीडिया पर सोमवार को देवेन्द्र सोनी पुत्र प्रेमचंद सोनी पौत्र अर्जुनलाल सोनी का फोटो एवं मानवता की भावना खूब शेयर हुई। जानकारी के अनुसार देवेन्द्र 10 जुलाई को बालटाल कैम्प में था। उसे पता चला कि नागौर के चार जने जल त्रासदी का शिकार हुए है तो वह तुरन्त बालटाल से रवाना होकर श्रीनगर हॉस्पिटल पहुंचा तथा चारों की पहचान कर चारों शवों के साथ आया। युवक ने शवों को घरों तक पहुंचाने में सहयोग किया तथा बाबा अमरनाथ के दर्शन किए बिना वापस लौट आया।
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