बस कागजों में हिला डुला, क्रूज ना यहां चला न वहां चला

चम्बल नदी में क्रूज चलाने की योजना नहीं ले सकी मूर्त रूप , पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बनाई गई है योजना

  बस कागजों में हिला डुला, क्रूज ना यहां चला न वहां चला

औद्योगिक से शिक्षा नगरी और अब पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो रहे कोटा शहर से गुजर रहे चम्बल नदी में क्रूज चलाने की योजना तो है। कोटा बैराज से गरड़िया महादेव तक और चम्बल रिवर फ्रंट दोनों जगह में से अभी तक कहीं पर भी क्रूज नदी में नहीं उतर पाया है सिर्फ कागजों में ही इधर से उधर हिल रहा है।

कोटा । औद्योगिक से शिक्षा नगरी और अब पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो रहे कोटा शहर से गुजर रहे चम्बल नदी में क्रूज चलाने की योजना तो है। केन्द्र व रा’य सरकार की इन दोनों योजनाओं पर काम तो हो रहा है लेकिन अभी तक वह मूर्त रूप नहीं ले सकी है। कोटा बैराज से गरड़िया महादेव तक और चम्बल रिवर फ्रंट दोनों जगह में से अभी तक कहीं पर भी क्रूज नदी में नहीं उतर पाया है सिर्फ कागजों में ही इधर से उधर हिल रहा है। कोटा में जिस तरह से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। उससे कोटा को पर्यटन नगरी बनाने का दावा किया जा रहा है। नगर विकास न्यास की ओर से चम्बल रिवर फ्रंट व आॅक्सीजोन के तहत सिटी पार्क का निर्माण करने पर यहां देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी अधिक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। उसे देखते हुए कोटा को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित भी किया जा रहा है। ऐसे में यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने और चम्बल नदी के आस-पास के स्थानों को नदी में सवारी के माध्यम से दिखाने की योजना है। इस योजना को साकार करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से नदी में क्रूज चलाने की योजनाएं बनाई गई हैं। 

कोटा बैराज से जवाहर सागर तक हुआ सर्वे
केन्द्र की योजना के तहत वन विभाग के माध्यम से चम्बल नदी में कोटा बैराज से जवाहर सागर तक क्रूज चलाने की योजना बनी थी। चम्बल नदी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है।   कोटा में टाइगर रिजर्व स्थापित होने के बाद यहां नदी में जंगल सफारी के साथ यहां क्रूज चलाने की भी योजना बनी थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से दिल्ली में जहाजरानी मंत्रालय के राज्यमंत्री के साथ चर्चा भी की गई थी। उसके बाद इसके लिए  प्रारम्भिक सर्वे भी किया जा चुका है। इसमें कोटा बैराज से जवाहर सागर तक के क्षेत्र को क्रूज के लिए उपयुक्त माना गया था। करीब 30 किमी. लम्बे इस मार्ग में कोटा बैराज, गढ़ पैलेस, हैंगिंगब्रिज, कोडिया भील का महल, गेपरनाथ  व गरड़िया महादेव जैसे दर्शनीय स्थलों को शामिल किए जाने की योजना है। इस योजना पर अभी काम किया जा रहा है। लेकिन यह योजना अभी तक कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। जानकारों के अनुसार वन विभाग की आपत्ती व केन्द्र के स्तर पर ही इसकी आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है।

चम्बल रिवर फ्रंट में भी क्रूज चलाने की योजना
नगर विकास न्यास की ओर से चम्बल नदी के दोनों किनारों पर कोटा बैराज से रियासतकालीन पुलिया तक रिवर फ्रंट का निर्माण कराया जा रहा है। करीब 800 करोड़ रुपए की लागत से पहले फेज में बन रहे इसका काम पहले मार्च में पूरा होना था। लेकिन अब इसका काम दिसम्बर तक पूरा होने का दावा किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने रिवर फ्रंट पर आने वो देशी विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए नदी में क्रूज चलाने की भी योजना बनाई है। जिस पर न्यास अधिकारी काम कर रहे हैं। इसके लिए चम्बल नदी में नयापुरा की तरफ एक एनिकट भी बनाया गया है। जिससे बैराज से आने वाले पानी को वहां रोककर रिवर फ्रंट क्षेत्र में जल स्तर को बढ़ाया जा सके। कोटा बैराज से नयापुरा की तरफ बने एनिकट के बीच में ही क्रूज चलाने की योजना है। लेकिन यह योजना  भी कब तक मूर्त रूप लेगी। इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है।

चम्बल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत नदी में क्रूज चलाने की योजना तो है। उस पर काम भी हो रहा है। लेकिन पहले रिवर फ्रंट का काम पूरा होगा उसके बाद ही उसका काम गति पकड़ेगा।
- आर.डी. मीणा, विशेषाधिकारी, नगर विकास न्यास

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