ट्रेक पर उतरे तो, राजस्थान के लिए थैला भरकर पदक जीते

शिष्यों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब धूम मचाई

ट्रेक पर उतरे तो, राजस्थान के लिए थैला भरकर पदक जीते

प्रदेश के खेल जगत में कुछ ऐसे प्रशिक्षक रहे है, जो अपनी उपलब्धियों के दम पर उस खेल के पर्याय बन गए। क्रिकेट में एनडी मार्शल और फुटबाल में बीपी सूरी ने जयपुर में खूब नाम कमाया।

जयपुर। प्रदेश के खेल जगत में कुछ ऐसे प्रशिक्षक रहे है, जो अपनी उपलब्धियों के दम पर उस खेल के पर्याय बन गए। क्रिकेट में एनडी मार्शल और फुटबाल में बीपी सूरी ने जयपुर में खूब नाम कमाया। एथलेटिक्स में राजस्थान खेल परिषद के कोच रहे पोकरमल की गिनती प्रदेश के सबसे सफल प्रशिक्षकों में की जाती है। पोकरमल तो जब खिलाड़ी के रूप में ट्रेक पर उतरे, तो राजस्थान के लिए थैला भरकर पदक जीते और जब कोचिंग शुरू की तो उनके शिष्यों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब धूम मचाई। राष्ट्रीय स्तर पर तो पोकरमल का शायद की कोई शिष्य खाली हाथ रहा। पोकरमल ने 1965 से 1972 के बीच सात साल के अपने खेल करियर में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स हों या ऑल इंडिया ओपन इंटर स्टेट मीट, सभी में खूब पदक जीते। डिकेथलान के खिलाड़ी पोकरमल एथलेटिक्स की दस इवेंट में पारंगत रहे। हाई जम्प, लांग जम्प , ट्रिपल जम्प और पोलवॉल्ट में 100 से ज्यादा राष्ट्रीय पदक पोकरमल के नाम रहे।

एक दर्जन अंतरराष्ट्रीय एथलीट तैयार किए
अपने कोचिंग करियर में पोकरमल ने गोपाल सैनी, हमीदा बानो, राजकुमार, रामनिवास, हरि सिंह, राजवीर सिंह, बलजीत कौर और राजेन्द्र शर्मा सरीखे दर्जनभर अंतरराष्ट्रीय एथलीट देश को दिए। गोपाल सैनी, हमीदा बानो और राजकुमार ने तो 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों में एक साथ पदक जीते। पोकरमल ऐसे गुरु रहे जिनके दो शिष्यों गोपाल सैनी और राजकुमार को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया, वहीं गोपाल सैनी, राजकुमार और रामनिवास के राष्ट्रीय रिकॉर्ड बरसों तक कायम रहे। पोकरमल के राष्ट्रीय स्तर के शिष्यों की गिनती तो सौ के पार रही होगी।

जब पदकों से भरा थैला देख चौंक गए पूनमचंद बिश्नोई
पोकरमल ने राजस्थान खेल परिषद के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बताया कि 1974 में परिषद के अध्यक्ष थे स्वर्गीय रामजी काक। सीआरपीएफ में सबइंस्पेक्टर रहते काक साहब के पास कोच की नौकरी के लिए पहुंचे तो आपस में कहा-सुनी हो गई और उन्होंने डांट कर भगा दिया। पोकरमल ने बताया कि कांग्रेस के दिग्गज नेता पूनमचंद बिश्नोई भी साठ के दशक में परिषद के अध्यक्ष रहे। खिलाड़ी के रूप में जब-जब पदक जीते उनसे मुलाकात होती रही। जब पदकों से भरा थैला बिश्नोई को दिखाया, तो वे चौंक गए। मुझे साथ लेकर काक साहब के पास गए और अगले दिन से ही कोच की नौकरी मिल गई।

पोकरमल को ही मिला पहला गुरु वशिष्ठ अवार्ड
1982 में जब राजस्थान के खिलाड़ियों ने दिल्ली एशियाई खेलों में पदक जीते तब राज्य सरकार ने अपने खिलाड़ियों की उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए महाराणा प्रताप और प्रशिक्षकों को सम्मान देने के लिए गुरु वशिष्ठ पुरस्कार की शुरुआत की। एथलेटिक्स के कोच पोकरमल और साइक्लिंग के कोच बीकानेर के रामदेव शर्मा को पहले वशिष्ठ अवार्ड से नवाजा गया।

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