ग्रीन पटाखों से होगी आतिशबाजी, दिवाली पर प्रदूषण रुकेगा : गृह विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश, मंजूरी इसी सप्ताह
55 हजार पटाखा विक्रेताओं को मिलेगी राहत, 20 लाख लोगों का रोजगार बचेगा
जयपुर। राजस्थान में दीपावली पर प्रदूषण रोकने के लिए पटाखों पर लगाई रोक और हजारों करोड़ के व्यापार पर आए संकट को टालने के लिए सरकार ग्रीन पटाखों के मार्फत तोड़ निकालने जा रही है। न्यूनतम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखों को दीपावली सहित अन्य आयोजन पर चलाने को जल्द मंजूरी जल्द मिल सकती है। हाल ही में पटाखा व्यापारियों के आतिशबाजी को प्रतिबंधित किए जाने के बाद सरकार को ग्रीन पटाखों का विकल्प खोलने की मांग की थी, जिस पर अब सरकार ने गृह विभाग को इसकी मंजूरी का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश जारी किए हैं। दिल्ली में पिछली साल आतिशबाजी पर रोक लगाई थी तो उसके बाद ग्रीन पटाखों को मंजूरी दी गई थी। अब प्रदेश में भी ग्रीन पटाखों को मंजूरी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंजूरी मिली तो प्रदेश में पांच हजार स्थाई और 50 हजार अस्थाई लाइसेंसधारी पटाखा विक्रेताओं के धंधे पर मंडराया संकट टल जाएगा। अप्रत्यक्षत: पटाखों के व्यापार से जुड़े 20 लाख लोगों के रोजगार की भी फिर से आस बंधेगी। प्रदेश में पटाखों के प्रतिबंध से अभी एक हजार करोड़ के व्यापार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
आसानी से पहचान होगी
पटाखों का कवर ग्रीन रंग और बार-कोड भी अंकित होगा। इन पटाखों के बार-कोड से इसके निर्माता और उसके पास निर्माण के लाइसेंस का आसानी से पता लग सकता है। इसके चलते नकली और घटिया ग्रीन पटाखों का अवैध धंधा भी रूक सकेगा।
ग्रीन पटाखों से प्रदूषण कैसे रुकेगा
चलने पर पानी निकलेगा-प्रदूषण सोखेगा : सल्फर-नाइट्रोजन की धुंआ की जगह खुशबू आएगी
ग्रीन पटाखों में आम पटाखों से एक तिहाई ही प्रदूषण होता है। आम पटाखों के जलने पर सल्फर डाई आक्साइड और नाइट्रोजन ड्राई आॅक्साइड उत्सर्जित होता है, जो हवा में घुलकर प्रदूषण पैदा करते हैं। वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को घटाते हैं। ग्रीन पटाखों के जलने के बाद पानी की बूंदे या कण पैदा होंगे। सेफ वॉटर रिलीजर नाम के ग्रीन पटाखों से थोड़ा बहुत नाइट्रोजन-सल्फर निकलेगा, वह पानी की बूंदें सोख लेंगी। वहीं स्टार क्रेकर नाम के अन्य पटाखों से निर्माण में आॅक्सीडाइजिंग एजेंट काम में लिया जाता है। इससे सल्फर-नाइट्रोजन न्यून मात्रा में ही पैदा होगी। अन्य ग्रीन पटाखों में 50-60 फीसदी एल्युमीनियम का कम इस्तेमाल होने से जलने पर प्रदूषण कम होगा। वहीं अरोमा क्रेकर्स नाम के ग्रीन पटाखों के जलने पर धुंआ की जगह खुशबू आएगी।
दोगुनी होगी कीमत
देश में अभी मात्र 500 के करीब फैक्ट्रियां ही ग्रीन पटाखों का उत्पादन कर रही हैं। वहीं वैज्ञानिक आधार पर निर्माण के चलते इनकी कीमत भी आम पटाखों से ज्यादा होगी। इसके चलते बाजार में करीब दोगुनी कीमत पर मिलेंगे।
नीर-सीएसआईआर की मंजूरी वाले पटाखों का ही बेचान
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर)और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट(नीर) के वैज्ञानिकों ने ग्रीन पटाखों का फॉर्मूला दो साल पहले इजाद किया था। देश में जिन पटाखा फैक्ट्रियों के पास सीएसआईआर-नीर का उत्पादन लाइसेंस होगा, उसी कंपनी के पटाखों का बेचान हो सकेगा।
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