बिचौलिए मालामाल, किसान बेहाल
खेत से बाजार तक पहुंचते ही दो गुना बढ़ जाते हैं सब्जियों के दाम
शहर सहित जिले की सब्जी मंडियों में किसानों की ओर से खेतों में हाड़-तोड़ मेहनत से तैयार की गई सब्जियों के भाव बारिश की वजह से धडाम गिर रहे हैं, लेकिन बाजार में सब्जियों के भाव कम नहीं हुए है।
कोटा । शहर सहित जिले की सब्जी मंडियों में किसानों की ओर से खेतों में हाड़-तोड़ मेहनत से तैयार की गई सब्जियों के भाव बारिश की वजह से धडाम गिर रहे हैं, लेकिन बाजार में सब्जियों के भाव कम नहीं हुए है। इसमें सीधे तौर पर बिचौलिए माल कमा रहे हैं, जो किसानों से औने-पौने दामों में सब्जी खरीद रहे हैं। इससे किसान और आमजन को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
किसानों को नहीं मिल रहा ज्यादा फायदा
जानकारी के अनुसार किसान बड़े पैमाने पर नकदी फसल के तौर पर सब्जी की खेती करते हैं। कुछ किसान तो परम्परागत खेती सिर्फ परिवार का खर्च चलाने के लिए ही कर रहे हैं, जबकि अधिकतर किसान खेतों में सब्जियों की खेती करने लगे हैं, लेकिन किसानों को सब्जी की खेती में जो मुनाफा मिलना चाहिए, वह बिचौलिए ले रहे हैं। सब्जी के व्यापार में घुसे बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं और किसान कड़ी मेहनत के बावजूद बेहाल हो रहे हैं। किसान मेहनत करने के बाद भी वहीं खड़ा है, जहां इसके पहले था। सब्जी की खेती करने वाले किसान हाड़-तोड़ मेहनत करने के बाद भी उस उपज का सीधा और ज्यादा लाभ नहीं ले पा रहा है। सबसे ज्यादा चोट सब्जी खरीदने वाले ग्राहकों पर पड़ रही है। ग्राहकों तक पहुंचते ही सब्जियां कई गुना महंगी हो जाती है।
सब्जी की खेती करने वाले अरंडखेड़ा निवासी किसान भरोस शर्मा ने बताया कि उसने छह बीघा से ज्यादा खेत में टमाटर की खेती की थी, लेकिन भाव नहीं मिलने से खेत में ट्रैक्टर चला दिया है। मंडी और बाजार में सब्जियों के भाव में डेढ़ से दोगुना का अंतर है। किसान तो बर्बाद हो रहा है।
सब्जी थोक फुटकर
टमाटर 7-10 30-35
मिर्च 15-20 40-45
लौकी 20-22 40-42
भिंडी 27-30 40-45
प्याज 7-10 20-22
ग्वारफली 25-30 60-80
ऐसे बढ़ते हैं सब्जियों के दाम
किसान कड़ी मेहनत से सब्जियां तैयार कर नजदीकी मंडी में बेचने ले जाते हैं। सब्जी की आवक एवं डिमांड के अनुसार आढ़तियां रेट निर्धारित करता है। थोक मंडी से सब्जी की खरीद कर बिचौलिए सब्जी का भाव बढ़ाकर छोटे व्यापारियों को बेचते हैं। ऐसे में फुटकर दुकानदार खरीद किए भाव को बढ़ा कर आमजन को बेचते हैं। किसानों के खेत से सस्ते में बिकने वाली सब्जी बाजार में पहुंचते-पहुंचते दो से ढाई गुना महंगी हो जाती है।
थोक फल सब्जी मंडी में किसानों का माल उचित दाम पर ही खरीदा जाता है। इसके बाद मंडी का व्यापारी अपना मुनाफा निकाल कर फुटकर व्यापारी को बेचता है। इस कारण सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। -संतोष कुमार, सब्जी व्यापारी
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