खाली मैदान में दिखा रहे विकास कार्यों की झलक

मेले के समय भीड़ आने पर मिलेगी कार्यक्रमों की जानकारी

खाली मैदान में दिखा रहे विकास कार्यों की झलक

शहर में स्मार्ट सिटी व नगर विकास न्यास के माध्यम से हजारों करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। उन विकास कार्यों को आमजन को दिखाने की जगह दो साल से खाली पड़े दशहरा मैदान में दिखाया जा रहा है। दशहरा मेले के समय जब यहां भीड़ आएगी उस समय यहां मेले के कार्यक्रमों की जानकारी लगाई जाएग़ी।

कोटा । शहर में स्मार्ट सिटी व नगर विकास न्यास के माध्यम से हजारों करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। उन विकास कार्यों को आमजन को दिखाने की जगह दो साल से खाली पड़े दशहरा मैदान में दिखाया जा रहा है।  दशहरा मेले के समय जब यहां भीड़ आएगी उस समय यहां मेले के कार्यक्रमों की जानकारी लगाई जाएग़ी। शहर में करीब दो साल से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। जिनमें से कई तो पूरे हो गए हैं और कई के काम अभी तक भी चल रहे हैं। शहर में चल रहे विकास कार्यों में कई काम तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत तो कई नगर विकास न्यास के माध्यम से किए जा रहे हैं। वैसे तो जिन स्थानों पर ये काम चल रहे हैं वहां से गुजरने वाले लोग उन्हें देख रहे हैं। लेकिन काम होने के बाद कैसे नजर आएंगे। इसकी झलक फ्लेक्स के माध्यम से आमजन को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन यह प्रयास उस जगह पर किया जा रहा है जहां पिछले दो साल से लोग ही नहीं जा रहे हैं।

कोरोना काल से खाली है दशहरा मैदान
शहर के विकास कायोरं की झलक दशहरा मैदान के श्रीराम रंगमंच के चारों तरफ बनी जगह पर दिखाई जा रही हैं। रंगमंच के चारों तरफ दीवार पर बीच-बीच में जगह बनाई गई है। वहां हमेशा से मेले के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी के बैनर व फलेक्स लगाए जाते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यहां दो साल से मेला ही नहीं भर रहा है। ऐसे में मैदान में लोगों का आवागमन भी बंद है। जिससे यह मैदान पूरी तरह से खाली है। लेकिन हालत यह है कि इस खाली मैदान में रंगमंच के  तीन तरफ दीवार पर शहर के विकास कार्यों के फ्लेक्स लगे हुए हैं। जिन्हें लगने के बाद शायद ही गिनती के लोग देख पाए होंगे।

मेला लगा तो नजर नहीं आएंगे विकास कार्य
दशहरा मैदान में जिस जगह पर वर्तमान में विकास कार्यों को दिखाया गया है। मेला शुरू होने पर वहां मेले के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी के फ्लेक्स लगाए जाएंगे। ऐसे में मेले के दौरान आने वालीे भीड़ भी उन विकास कार्यो को नहीं देख पाएगी। जानकारों का कहना है कि जिसने भी ये फ्लेक्स दशहरा मैदान में लगाए उनका चयन गलत था। इन्हें शहर के अलग-अलग स्थानों पर या चौराहों पर लगाया जाता तो जनता देखती। लेकिन खाली मैदान में लगाने का कोई औचित्य नजर नहीं आया। मेला शुरू होने से पहले इन्हें हटाया जाएगा। इससे फ्लेक्स बनाने व लगाने में किया गया खर्चा व्यर्थ हुआ है।

ऐसे दिखा रहे विकास कार्य
दशहरा मैदान में लगाए गए फ्लेक्स में मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सामने की तरफ सबसे पहले करीब 800 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहे चम्बल रिवरफ्रंट के अलग-अलग एंगल से कई फ्लेक्स लगे हुए हैं। जबकि मंच के दोनों तरफ विवेकानंद चौराहा, घोड़े वाले बाबा चौराहा, एरोड्राम चौराहे के टावर ऑफ लिबर्टी, राजकीय महाविद्यालय, अंटाघर चौराहा समेत कई विकास कार्य दिखाए गए हैं।

इनका कहना है
कोरोना काल में दो साल से मेला ही नहीं भरा। जिससे वहां आमजन का प्रवेश बंद है।  ऐसे में मैदान में किसी भी तरह के प्रचार संबंधी फ्लेक्स लगाने का कोई औचित्य भी नहीं है। मेला शुरू होने से पहले इन्हें हटवाकर नए सिरे से कार्यक्रमों के फ्लेक्स लगाए जाएंगे। जिससे मैदान में आने वालों को जानकारी मिल सके। --राजपाल सिंह, आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण

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