महागौरी की विधि-विधान से करें पूजा
मां दुर्गा को समर्पित त्योहार नवरात्रि अब समापन की ओर की है।
मां दुर्गा को समर्पित त्योहार नवरात्रि अब समापन की ओर की है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। 13 अक्टूबर को नवरात्रि का आठवां दिन है। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। माता का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से पुकारते हैं। शास्त्रों के अनुसार मां महागौरी ने कठिन तप कर गौर वर्ण प्राप्त किया था। मान्यता है कि मां महागौरी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उनके बिगड़े कामों को पूरा करती हैं। माता महागौरी की पूजा करते समय पीले या सफेद वस्त्र भी धारण कर सकते हैं। महागौरी का पूजन करते समय पीले फूल अर्पित करने चाहिए। महागौरी को हलवा का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि माता रानी को काले चने प्रिय हैं।
पूजा-विधि
सबसे पहले सुबह उठकर स्रान आदि से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करना चाहिए।
अब चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।
इसके बाद चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका ,सिंदूर की बिंदी लगाएं आदि की स्थापना करें।
अब महाष्टमी या दुर्गाष्टमी व्रत का संकल्प लें और मंत्रों का जाप करते हुए मां महागौरी समेत समस्त देवी-देवताओं का ध्यान लगाएं।
मां महागौरी का आवाहन, आसन, अर्ध्य,आचमन, स्रान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली,हल्दी, सिंदूर, दुर्वा,आभूषण, फूल, धूप-दीप, फल,पान,दक्षिणा,आरती, मंत्र करें। इसके बाद प्रसाद बांटें।
महाष्टमी की पूजा के बाद कन्याओं को भोजन कराना उत्तम माना गया है।
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