एडवांस्ड हेड एवं नेक कैंसर से पीड़ित मरीजों में मेट्रोनॉमिक कीमोथेरेपी है कारगर

वर्ल्ड हेड एवं नेक कैंसर डे आज

एडवांस्ड हेड एवं नेक कैंसर से पीड़ित मरीजों में मेट्रोनॉमिक कीमोथेरेपी है कारगर

जयपुर। सिर एवं गले का कैंसर मध्य एशिया में पाए जाने वाले सबसे आम कैंसर और दुनिया में पाया जाने वाला छठवां सबसे आम कैंसर है। यह जीवनशैली की बीमारी भी कहा जाता है, क्योंकि यह अधिकांशतः तम्बाकू और मदिरा के सेवन के कारण होता है।

जयपुर। सिर एवं गले का कैंसर मध्य एशिया में पाए जाने वाले सबसे आम कैंसर और दुनिया में पाया जाने वाला छठवां सबसे आम कैंसर है। यह जीवनशैली की बीमारी भी कहा जाता है, क्योंकि यह अधिकांशतः तम्बाकू और मदिरा के सेवन के कारण होता है। एचएनसी (हेड एवं नेक कैंसर) के लिए दूसरा जोखिम एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) से है। आज बड़ी संख्या में युवाओं में सिर और गले का कैंसर पाया जा रहा है, जो मुख्यतः तम्बाकू और मदिरा की लत के कारण होता है।

डॉ. दिवेश गोयल, सीनियर कंसल्टेंट, एडल्ट एवं पीडियाट्रिक मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, हेमेटो ऑन्कोलॉजिस्ट, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, जयपुर ने एचएनसी और इसके इलाज की लेटेस्ट तकनीकों के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘नई टेक्नॉलॉजी जैसे टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी ने मरीजों में कम विषाक्तता के साथ उनके बचाए जाने की दर में सुधार किया है।’’ मेट्रोनॉमिक कीमोथेरेपी के बारे में डॉ. गोयल ने बताया, ‘‘कैंसर की एडवांस्ड स्टेज में मरीजों को नियमित अंतर से टेबलेट के रूप में लो डोज़ कीमोथेरेपी दी जाती है, यह इलाज आम तौर से लंबे समय तक चलता है। मेट्रोनॉमिक कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स की शून्य/बहुत मामूली वृद्धि के साथ कैंसर सेल्स को मार देती है और इलाज के बाद दर्द कम होता है। इसलिए मरीज को बचाए जाने की बेहतर संभावनाओं के साथ सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।’’

डॉ. गोयल के मुताबिक राजस्थान में हर रोज हेड एंड नेक कैंसर के 100 से 150 मामले सामने आते हैं, जबकि फोर्टिस जयपुर में ओपीडी में रोज 2 से 3 मामले दर्ज होते हैं। लेकिन जागरुकता की कमी के कारण ज्यादातर मरीजों में निदान एडवांस्ड स्टेज में हो पाता है। इसलिए लोगों को शुरुआती चरण में लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। यदि किसी को मुंह में लगातार छाले, होंठ पर छाले, आवाज में कर्कशपन, खाना निगलने में कठिनाई (डिसफेगिया), गले में गांठ आदि है, तो उन्हें तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। इस बीमारी की पुष्टि बायोप्सी, सीटी स्कैन, और एमआरआई से हो सकती है, जिससे कैंसर की स्टेज पता की ,जा सकती है।

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